Sexual Abuse रायपुर : बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने मददगार बनें-चुप्पी तोड़ें

Sexual Abuse रायपुर : बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने मददगार बनें-चुप्पी तोड़ें
  1. Sexual Abuse रायपुर : बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने मददगार बनें-चुप्पी तोड़ें

  2. Sexual Abuse, बच्चों के अच्छे शरीरिक, मानसिक, भावनात्मक और समाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है

रायपुर, 16 जुलाई 2022

Sexual Abuse ,बच्चों के अच्छे शरीरिक, मानसिक, भावनात्मक और समाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि हर स्तर पर उनके हितों और अधिकारों की रक्षा पर ध्यान दिया जाए।

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भारतीय संविधान में भी बच्चों के हित और अधिकारों के संरक्षण के लिए कई प्रावधान किये गए हैं।

Sexual Abuse ,इनमें संविधान का अनुच्छेद 15 का खंड (3) राज्यों को बालकों के लिए विशेष उपबंध करने के लिए सशक्त करता है।

जिसके तहत महिलाओं के लिए आरक्षण और बच्चों की मुफ्त शिक्षा जैसे प्रावधान किये जा सकते हैं।

Sexual Abuse ,इसके साथ ही बच्चों पर लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए विशेष अधिनियम लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 लागू किया गया है।

जिसे सामान्य रूप से पोक्सो एक्ट के नाम से जाना जाता है।

बालकों का लैंगिक शोषण और लैंगिक दुरूपयोग जघन्य अपराध हैं। इंटनेट के बढ़ते उपयोग के साथ इस प्रकार के अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है, जिस पर प्रभावी मॉनिटरिंग और करवाई करने की आवश्यकता है।

Sexual Abuse ,पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों का लैंगिक शोषण करना या उसका प्रयास करना, अश्लील साहित्य हेतु बच्चे का उपयोग करना अथवा इन कृत्यों को करवाना गंभीर अपराध माना गया है। यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र के बालक तथा

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बालिकाओं दोनों पर समान रूप से लागू होता है। इस कानून के तहत प्रकरणों के लिए विशेष अदालत नामित किये गए हैं, जिन्हें हम सामान्य भाषा में फास्ट ट्रैक कोर्ट के नाम से जानते हैं।

इनमें तेजी से सुनवाई होती है और दोषी को शीघ्र सजा मिलती है।

Sexual Abuse ,अब इस कानून में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। ऐसे मामलों की सुनवाई का विचारण बंद कमरे में किये जाने की भी व्यवस्था की गई है। इस अधिनियम के क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग का जिम्मा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को प्रदान किया गया है।

Sexual Abuse रायपुर : बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने मददगार बनें-चुप्पी तोड़ें
Sexual Abuse रायपुर : बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने मददगार बनें-चुप्पी तोड़ें

इस कानून के तहत ऐसी घटनाओं को छुपाना या सूचना ना देना भी अपराध माना गया है और 6 माह से 1 वर्ष तक की कैद का भी प्रावधान है।

यदि यह अपराध बच्चे के संरक्षक द्वारा किया जाता है तो उसे और भी ज्यादा गंभीर माना गया है। इसके लिए उसे आजीवन कारावास या कम से कम 10 वर्ष तक कैद हो सकती है।

साथ ही जुर्माने की राशि से पीड़ित के पुनर्वास और चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए भी उपबंध में प्रावधान किया गया है।

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में बच्चों के विरूद्ध लैंगिक अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है तथा उसे गंभीर स्तर तक परिभाषित कर दण्ड के प्रावधान किये गये हैं।

इस अधिनियम के अंतर्गत अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बच्चों का उपयोग करना अपराध घोषित करते हुए उसके लिए दण्ड के प्रावधान किये गये हैं।

बच्चों के प्रति इस प्रकार के अपराधों को करने के लिए किसी को दुष्प्रेरणा देना याने उकसाना या प्रेरित करना भी दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है।

यदि किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध की जानकारी है एवं वह सूचना नहीं देता है तो उसे भी सूचना देने में विफल रहने के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है।

अधिनियम के तहत बच्चों की पहचान प्रकट करने वाली किसी भी सूचना को मीडिया द्वारा प्रकट करना भी प्रतिबंधित किया गया है। अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत मीडिया के लिए प्रक्रिया निर्धारित करते हुए यह प्रावधान किया गया है

कि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के मीडिया या स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी प्रमाणों के बिना किसी बच्चे के संबंध में कोई रिपोर्ट या ऐसी टीका टिप्पणी नहीं कर सकेगा,

जिससे बच्चे की प्रतिष्ठा हनन या उसकी गोपनीयता का उल्लंघन हो। किसी भी मीडिया से ऐसा कोई भी ब्यौरा प्रकाशित नहीं किया जा सकता, जिससे पीड़ित बच्चे की पहचान जैसे नाम, पता,

Sexual Abuse ,फोटो, परिवार का विवरण, विद्यालय, पड़ोस या अन्य कोई विशेष सूचना प्रकट हो जाये। इसका तात्पर्य यह है कि पीड़ित बच्चे की पहचान प्रकट नहीं होनी चाहिए।

मीडिया या स्टूडियो या फोटो चित्र संबंधी सुविधाओं के प्रकाशक या स्वामी संयुक्त रूप से और पृथक रूप से अपने कर्मचारी के किसी ऐसे कार्य जिसमे उक्त धाराओं का उल्लंघन हो उत्तरदायी माना जायेगा।

इसके उल्लंघन की दशा में न्यायालय द्वारा दोषी पाने जाने पर कम से कम 6 माह से 1 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

आवश्यक है कि बालकों की निजता, सम्मान और गोपनीयता का अधिकार भी संरक्षित हो और इसके लिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग अपनी जिम्मेदारी समझें।

किसी आपत्तिजनक पोस्ट को रीट्वीट करना, साझा करना या फॉरवर्ड करना भी आपको अपराधी बना सकता है। बच्चें का लैंगिक शोषण बहुत गंभीर अपराध है, इसकी रोकथाम में मददगार बनें।

Sexual Abuse ,याद रखिये कि बच्चों का लैंगिक शोषण चुप्पी के अंधेरे में ही पनपता है इसलिये चुप्पी तोड़ें और ऐसी घटनाओं का पता लगने पर निकटतम पुलिस थाने या 1098 पर सूचना दें।

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