archeology पुराने समझौते को किया जाना चाहिए रद्द
archeology मथुरा। उत्तर प्रदेश में मथुरा जिला जज की अदालत में जहानारा मस्जिद आगरा , श्रीकृष्ण जन्मस्थल मथुरा एवं शाही मस्जिद ईदगाह का वैज्ञानिक परीक्षण कराने का अनुरोध पूर्व में दायर किये गए एक वाद के वादियों के एक प्रतिनिधि ने शुक्रवार को किया है।
archeology वादियों के प्रतिनिधि शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान एवं अन्य बनाम इन्तेजामिया कमेटी एवं अन्य वाद के अन्तर्गत यह प्रार्थनापत्र दिया गया था। प्रार्थना पत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या किसी अन्य एजेंसी से दोनो मस्जिदों का वैज्ञानिक परीक्षण करने के लिए प्रार्थना की गई है।
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archeology इस मामले में उनके समेत लखनऊ के चार अधिवक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय की तीन एलएलबी के छात्राएं, शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी लखनऊ की दो एलएलबी की छात्राएं एवं आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी देहरादून की एक छात्रा वादी हैं।
archeology इसी वाद के वादियों ने शुक्रवार को ही एक दूसरा प्रार्थनापत्र दिया था जिसमें उनके वाद को ’’रिप्रेजेन्टेटिव कैपसिटी (समाज के प्रतिनिधि की हैसियत से )’’ में स्वीकार करने का अनुरोध करते हुए इस प्रार्थनापत्र को धारा 92 सहपठनीय 91 सिविल प्रोसीजर कोड और 151 सीपीसी स्वीकार करने को कहा गया है क्योंकि यह वाद एक धार्मिक स्थल से संबंधित है। उनका कहना था कि आज तक जहानारा मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मस्थल एवं शाही मस्जिद ईदगाह का कभी भी वैज्ञानिक परीक्षण नहीं कराया गया ।
archeology उन्होंने बताया कि अदालत से पूर्व में दिए गए एक प्रार्थनापत्र को वापस लेने की स्वीकृति देने का भी अनुरोध किया गया था क्योंकि इसमें कुछ कमियां रह गई थीं। उनका कहना था कि अदालत ने पूर्व में दिए गए प्रार्थनापत्र को वापस लेने की स्वीकृति दे दी है।
अधिवक्ता सिंह के अनुसार शुक्रवार को दिए गए नये प्रार्थनापत्र पर अदालत 15 जुलाई को सुनवाई करेगी।
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archeology उधर जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल संजय गौड़ ने बताया कि शुक्रवार को बार के एक वरिष्ठ अधिवक्ता के निधन के कारण अन्य किसी वाद पर कोई सुनवाई नही हो सकी तथा मनीष यादव एवं अधिवक्ता राजेन्द्र माहेश्वरी आदि के वादों की सुनवाई पांच जुलाई को होगी शेष सभी वादों की सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
विभिन्न हिन्दू संगठनों द्वारा दायर किये गए इन सभी वादों में यह दावा किया गया है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ क्षेत्र के एक भाग में शाही मस्जिद बनी हुई है इसलिए उसे वहां से हटाया जाना चाहिए तथा इस संबंध में किये गए पुराने समझौते को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि जिन्होंने समझौता किया था उन्हें समझौता करने का अधिकार नही था।