Sahitya Akademi साहित्य अकादमी द्वारा किया गया वाद-विवाद-संवाद का आयोजन
Sahitya Akademi रायपुर। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् के अंतर्गत साहित्य अकादमी द्वारा वाद-विवाद-संवाद का आयोजन किया गया. पक्षधरता बनाम साहित्यिकता विषय पर आयोजित इस गोष्ठी में प्रसिद्ध साहित्यकार और चिन्तक उदयन वाजपेयी और प्रणय कृष्ण ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत की। आयोजन में शहर के तमाम साहित्य और कला प्रेमी श्रोताओं की मौजूदगी रही।
Sahitya Akademi इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रणय कृष्ण ने कहा कि आज के इस आयोजन में जिन दो पदो पर चर्चा हो रही है उनमें पक्षधरता तो स्पषट है, एक कॉमनसेंस है, लेकिन साहित्यिकता के बारे में वैसा कॉमनसेंस नहीं है। उन्होंने कहा कि इन दोनों पदों का बहुत पुराना इतिहास नहीं है, लेकिन इनके पीछे अर्थ की एक विस्तृत परंपरा है. प्रणय कृष्ण कहते हैं साहित्य को वांगमय से अलग किन लक्षणों के आधार पर किया जाए? इस प्रश्न के उत्तर में ही साहित्य की प्राथमिक परिभाषाएं उत्पन्न होती है।
Sahitya Akademi इसके बाद जाने-माने साहित्यकार उदयन वाजपेयी ने इस विषय पर अपना वक्तव्य दिया उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में भाषा के तीन तरह के प्रयोग स्वीकृत हैं। एक तो ऐसा प्रयोग जहां शब्द केन्द्रित हो दूसरा प्रयोग अर्थ केन्द्रित था तीसरा प्रयोग उभयकेन्द्रित यानि भाषा का ऐसा प्रयोग जहां शब्द और अर्थ दोनों केन्द्रीय है इसे साहित्य कहा गया। इस तरह दोनों विद्वानों ने पक्षधरता बनाम साहित्यिकता विषय पर सार्थक संवाद किया।
Sahitya Akademi छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईशअवर सिंह दोस्त ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पक्षधरता और साहित्यिकता पर चिंतन हो रहा है। इस अर्थ में ये संवाद कई मायनों में कई परतें खोलने वाला रहा। इस सार्थक संवाद का लाभ लेने जनधारा समूह के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा, नाट्य निर्देशिका रचना मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी, समेत कई साहित्य प्रेमी संस्कृति विभाग के महंत घासीदास संग्रहालय के सभागार में मौजूद रहे।