Rite of passage for children : बच्चों को संस्कार सहित शिक्षा दिया जाए तो वह उत्तम होगा : पंडित अविनाश

Rite of passage for children :

Rite of passage for children : श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के दूसरे दिवस

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Rite of passage for children : भानुप्रतापपुर। श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के दूसरे दिवस रविवार को पंडित अविनाश जी महराज ने कथा के माध्यम से बताया कि यदि बच्चों को संस्कार सहित शिक्षा दिया जाए तो वह उत्तम होगा।

 

सांई मंदिर प्रांगण स्थल पर आयोजित नव दिवसीय संगीत मय श्रीमद्भागवत कथा में उन्होंने कहा कि साधु संत की संगत से ईश्वर की प्राप्ति होती है, इसलिए मनुष्य को अपने जीवन साधु संतों से संगत बनानी चाहिए।

Rite of passage for children :  बच्चों में माँ-बाप के प्रति सेवा व समपर्ण की भाव होनी चाहिए। क्योंकि माँ-बाप की सेवा ईश्वर कि सेवा के समान है। आज के परिवेश में देखा जाए तो बच्चे अपने बूढे मा बाप को छोड़कर पत्नी के साथ तीरथ व बाहर घूमने चले जाते है, ऐसा नही करना चाहिए।

  महराज जी ने कहा कि भक्ति व समपर्ण का तात्पर्य ही प्रेम है, भगवान शिवजी ने माता पार्वती को अमरग्रंथ श्रीमद्भागवत कि कथाविस्तार पूर्वक सुनाई। इस दौरान पक्षी तोते के रूप में भगवान सुकदेव ऋषि व्यास व माता विद्या के गर्भ से जन्म होने की कथा।

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Rite of passage for children :  साथ ही ऋषि व्यास जी महाराज संत के द्वारा 4 वेद व 18 पुराण की रचना की लेकिन रचना करना ही नही बल्कि ईश्वर की गुणगान वाले इस ग्रंथ को जन जन तक सुनाने व प्रचार प्रसार होनी चाहिए। इसके लिए ऐसे संत चाहिए जो लोभ,मोह, क्रोध, काम व वासना को जीत लिया हो इसके लिए भगवान सुकदेव जी महाराज की परीक्षा लिया गया।

राजा परीक्षित को श्राप मिला था कि एक सप्ताह के अंदर उनकी मौत हो जाएगी, राजा को भगवान सुकदेव जी महाराज ने श्रीमद्भागवत की अमरकथा बताते हुए।

शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का श्री राधाकृष्ण जी के भव्य झाँकी व भव्य कलश यात्रा के साथ ही प्रारंभ हुआ। कल प्रथम दिवस रहा मूलपाठ परायण कलश पूजा, गणेशवेदी पुजन, अखंडदीप प्रज्वलित, व्यासपीठ पूजन, भागवत महात्यम एवं गोकर्ण कथा। रविवार को मंगलाचरण, परिक्षित जन्म, कुंती स्तूति, भीष्म स्तुति,परिक्षित श्राप व सुकदेव आगमन की कथा बताई गई।

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