Korea News : सूचना के अधिकार अधिनियम के अलग-अलग नियम से कार्यकर्ता परेशान

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Korea News : सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना

Korea News : कोरिया। सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है।

बावजूद कोरिया जिले के शासकीय विभागों में इस अधिनियम के अलग अलग नियम से कार्यकर्ता परेशान नजर आ रहे हैं।

बताते चलें कि जिला कोरिया स्थित गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के लगभग पार्क परिक्षेत्रों में प्रभारी रेंजर ही सेवा दे रहे हैं।

विभाग में संचालित विभिन्न मदो से इन प्रभारी रेंजरों के क्षेत्र में वन्यप्राणियों को पीने का पानी उपलब्ध हो सके इसके लिए बड़े पैमाने पर तालाब बांध बनाया जा रहा है, इसके अलावा उनके सुरक्षा के लिए कई उपाये के साथ सड़क व बिल्डिंग का भी निर्माण इन्ही के भरोसे है।

कम तकनीकी ज्ञान होने की वजह से तय स्टीमेट अनुसार कार्य कर पाना इनके बस का नहीं है ऐसे में अगर कोई इनके कार्यक्षेत्र की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांग लें तो मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई इनकी सम्पति मांग लिया हो।

वन विभाग में सूचना का अधिकार-अवलोकन करें

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जैसा विभाग वैसा यहां का कानून! यहां सूचना के अधिकार में जानकारी पाने के लिए बहुत जटिल प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है।यहाँ पधारे जनसूचना अधिकारीयों का एक ही रामबाण धारा आठहै,धारा 8 के उपधारा क, ख, ग,ज,झ…का प्रयोग यहां के प्रभारी रेंजर सह जनसूचना अधिकारी अपने-अपने ज्ञान अनुसार ही करते हैं।

पुल-पुलिया सड़क तालाब हो या वाहन का लाकबुक इनके नजर में ये सब जानकारी गुप्त श्रेणी में आते है जिन्हें के साझा नही कर सकते और गुप्त श्रेणी आये भी क्यों न काम ही छुपाने वाला जो हुआ है।

यहां के अल्प ज्ञानी जनसूचना अधिकारी तो दस्तावेज 50 पेज से अधिक होने पर अवलोकन करने पत्र भेजते है और ऐसा कोरिया जिले में ही नही बल्कि समूचे सरगुजा वनवृत का यही हाल है।

भ्रष्टाचार की कलई न खुले जाए इसलिए 50 पृष्ठ से ऊपर बताकर अवलोकन करने बाध्य भी करते है जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम में 50 पृष्ठ तक मुफ्त में जानकारी प्रदान करना और इससे ऊपर होने की दशा में अवलोकन पश्चात दस्तावेज प्रदान करना गरीबी रेखा के तहत प्राप्त आवेदन से संबंधित है वह भी जब वह व्यक्ति शुल्क अदा करने में सक्षम न हो, खैर सूचना के अधिकार का ऐसा नायाब प्रयोग कुछेक विभागों में ही है जबकि ज्यादातर विभाग में सैकड़ों पृष्ठ तक के दस्तावेज नियमानुसार शुल्क जमा करा कर दिए जाते हैं।

चार पन्ने की जानकारी- शुल्क पूरे बंच का

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कोरिया में सूचना के अधिकार, अधिनियम का प्रयोग अपने तौर तरीके से करने वाले विभागों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और स्वास्थ्य विभाग भी शामिल है।यहां पदस्थ जन सूचना अधिकारी भारी-भरकम शुल्क जमा कराने बावतचिठ्ठी  लिखने के आदि हो गए है। जानकारी भले ही चार पन्ने की क्यों न हो किंतु शुल्क पूरे बंच का भेजते हैं और एक वन विभाग को देखिए 50 पृष्ठ तक कि जानकारी न देना पड़े इसके लिए कितना दांव-पेंच लगाते हैं।

कार्यशाला हो तो मुफ्त में देंगे जानकारी : राजकुमार मिश्रा

आरटीआई विशेषज्ञ राजकुमार का मिश्रा से सूचना के अधिकार पर कार्यशाला के विषय पर चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि कार्यशाला होना चाहिए अगर प्रशासन कार्यशाला का आयोजन करता है तो वे एकदम नि:शुल्क जानकारी देंगे। उनका भी मानना है कि आज बहुत ऐसे भी जनसूचना अधिकारी है जिन्हें इस अधिनियम की जानकारी नही है, इसलिए समय समय पर कार्यशाला होना चाहिए।

कोरिया में जनसूचना अधिकारी किस प्रकार कर रहे हैं यह तो हमने उनके पत्र जुबानी बता ही दिए। अब ये सब राज्य सूचना आयोग को पता ही नही चल पाता क्योंकि जन सूचना अधिकारी इतना थका देते हैं कि लोग अपील का रास्ता ही भूल जाते हैं। फिर भी इस लेख के माध्यम से राज्य सूचना आयोग से गुजारिश है और आरटीआई कार्यकर्ताओं की मांग भी है कि जन सूचना अधिकारियों को समय समय पर कार्यशाला का आयोजन कर विशेषज्ञों द्वारा अधिनियम से अवगत कराएं !

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