राजकुमार मल
Rice घट रहा महामाया धान का रकबा
Rice भाटापारा- इस बरस धान उपार्जन केंद्रों और कृषि उपज मंडियों में सरना, एचएमटी और विष्णुभोग की भरपूर आवक होगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि किसानों ने इन तीन प्रजातियों के Rice बीज की खरीदी को प्राथमिकता दी हुई है।
भरपूर डिमांड के बाद जहां सरना के बीज की शॉर्टेज होने लगी है, तो सुगंधित किस्मों में कमी के संकेत मिलने लगे हैं।
Riceकी खेती करने वाले किसान अब महामाया से किनारा करते नजर आ रहे हैं और धान की ऐसी प्रजाति की बोनी कर रहे हैं,जिनका उत्पादन बेहतर माना गया है और कीमत भी संतोषजनक मिलती है।
धान उपार्जन केंद्रों और कृषि उपज मंडियों विष्णुभोग की भरपूर आवक

Rice बदलाव की बयार के बीच सरना की मांग इतनी ज्यादा है कि सप्लाई लाइन कमजोर होती नजर आ रही है।
Rice निजी क्षेत्र की कंपनियां उपलब्धता के लिए 2 से 3 दिन का समय ले रही हैं तो सोसायटियों में उपलब्धता अंतिम चरण में है। इसलिए मांग का दबाव खुले बाजार पर पड़ने लगा है।
महामाया नहीं सरना…

Rice सरना के बीज की बढ़ती खरीदी को लेकर जैसा रुझान देखने में आ रहा है उसके मुताबिक भरपूर उत्पादन पहली और बड़ी वजह मानी जा रही है।
धान उपार्जन केंद्रों की खरीदी बंद होने के बाद कृषि उपज मंडी में कीमत एक समान बना रहना दूसरी वजह के रूप में देखी जा रही है।
जबकि महामाया में स्थिति ठीक विपरीत है।आवक के अनुसार कीमत का तय होना, घटते रुझान की वजह बन चुकी है।उत्पादन भी संतोषप्रद नहीं आ रहा है।
इसलिए एचएमटी और विष्णु भोग

सुगंधित धान की किस्मों में एचएमटी और विष्णुभोग को अब परिचय देने की जरूरत नहीं है।
पूरे साल तेजी जैसी स्थितियों के बीच खरीदी जाने वाली धान की यह दोनों प्रजातियां चावल बाजार में भी अपना दबदबा बनाए हुए हैं।
संतोषप्रद उत्पादन और बढ़िया कीमत देने की वजह से किसानों ने चालू खरीफ सत्र में इसकी खेती को विस्तार दिया हुआ है।
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सरना में शॉर्टेज
Problem महामाया के लिए कम होती जगह के बीच सरना की डिमांड में जैसी तेजी आई है, उससे बीज बाजार शॉर्टेज की स्थिति में आ चुका है।
इसी तरह आंशिक कमी से एचएमटी और विष्णुभोग के बीज बेचने वाली संस्थानें भी दो-चार होती नजर आतीं हैं।
खरीदी को लेकर रुझान का हाल ऐसा है कि 70 से 75 रुपए किलो की कीमत पर भी सरना के बीज की शॉर्टेज हो चली है। यही हाल विष्णुभोग के बीज की भी है, जिसकी खरीदी 140 से 150 रुपए किलो में हो रही है।
ऐसा है हाल सोसाइटियों में

Rice सहकारी समितियों के गोदाम तेजी से खाली हो रहे हैं। विभाग सूत्रों का मानना है कि सरना और महामाया बीज की जहां उपलब्धता है, वहां मांग नहीं है,जहां भंडारण नहीं है, वहां से मांग निकल रही है।
इस तरह की विपरीत परिस्थितियों के बीच किसानों के लिए ओपन मार्केट ही बड़ा सहारा बनी हुई है। जहां मांग के अनुरूप उपलब्धता हो रही है।
Rice सहकारी समितियों के गोदाम तेजी से खाली हो रहे हैं। विभाग सूत्रों का मानना है कि सरना और महामाया बीज की जहां उपलब्धता है, वहां मांग नहीं है,जहां भंडारण नहीं है, वहां से मांग निकल रही है।
इस तरह की विपरीत परिस्थितियों के बीच किसानों के लिए ओपन मार्केट ही बड़ा सहारा बनी हुई है। जहां मांग के अनुरूप उपलब्धता हो रही है।