super food प्रधानमंत्री की पहल पर सुपर फूड के नाम से जोरदार वापसी की तैयारी

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राजकुमार मल

Super food भोजन की थाली में मोटा अनाज की वापसी की तैयारी

super food भाटापारा- हरित क्रांति के दौर में रसोई घर से बाहर कर दिया गया मोटा अनाज एक बार फिर भोजन की थाली में पहुंचने वाला है।

इस बार यह सुपर फूड के नाम से जोरदार वापसी की तैयारी में है।

प्रधानमंत्री की पहल के बाद देश के 5 राज्यों में इसकी खेती का रकबा बढ़ाया जा रहा है।

वह 60 का दशक था, जब हरित क्रांति की योजना देश में लाई गई।

योजना को ऐसा प्रतिसाद मिला कि ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज की जगह धान और गेहूं जैसी फसलों की बोनी प्राथमिकता के आधार पर की जाने लगी।

होगी सुपर फूड फसलों की खेती

super food इस योजना के सफल होने के बाद, हमारी भोजन की थाली में मोटा अनाज की जगह गेहूं और चावल नजर आने लगे।

अब स्थितियां फिर से पुराने दिनों की ओर लौट रहीं हैं और मोटा अनाज के दिन बहुरने लगे हैं।

इस बार ऐसे अनाज, सुपर फूड जैसे नाम से ना केवल लौट रहे हैं बल्कि खेती का रकबा भी बढ़त ले रहा है।

क्यों मोटा अनाज

super food ज्वार, बाजरा, रागी, जौ, कोदो, सांवा, सामा, कुटकी, कांगनी और चीना जैसे अनाज को मोटा अनाज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी खेती के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।

कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी यह बेहतर फसल देते हैं।

महत्वपूर्ण यह कि इसकी खेती के लिए रासायनिक या जैविक खाद की जरूरत नहीं होती।

मिट्टी की हर किस्म में तैयार होने वाले मोटे अनाज की यह प्रजातियां जलवायु परिवर्तन को सहने में सक्षम है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि 10 से 12 साल तक रखे रहने के बाद भी यह उपयोग किया जा सकता है।

भरपूर पौष्टिक तत्व

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super food अनुसंधान में बाजरा में प्रोटीन की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 11.06 मिलीग्राम पाई गई है। 67.07 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 8 मिलीग्राम आयरन और 13 मिलीग्राम कैरोटीन का होना पाया गया है।

इन्हीं गुणों की वजह से बाजरा को कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में सक्षम माना गया है।

मैग्नीशियम और पोटेशियम की मात्रा होने से रक्तचाप को भी नियंत्रित रखा जा सकता है।

भरपूर मात्रा में फाइबर की उपलब्धता पाचन तंत्र को नियंत्रण में रखती है।

ज्वार में जो तत्व मिले हैं उसकी वजह से डबल रोटी, बेबी फूड उत्पादन करने वाली कंपनियों की मांग में है।

मध्यान्ह भोजन और राशन दुकानों में

super food साल 2018 का था। तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह की पहल पर 2018 को मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया गया था।

इसी बरस से इन प्रजातियों की फसल लेने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया ।

आज मोटा अनाज की प्रजातियों की खेती छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण भारत में हो रही है।

पौष्टिक गुणों के खुलासे के बाद इन प्रजातियों का अनाज मिड-डे-मील और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

बेहद उपयोगी बाजरा

जंक फूड वाले इस दौर में हमें अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा।

भागदौड़ की जिंदगी में खानपान में बाजरा जैसे बेहद उपयोगी अनाज को भी शामिल करें।

ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में नई पीढ़ी को परिभाषित नहीं कर पाएंगे कि बाजरा आखिर होता क्या है ?

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– अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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