Regional sports हद है, अब गिल्ली-डंडा भी महंगा

Regional sports

राजकुमार मल

Regional sports  गुलेल और पिठ्ठूल भी उछले

Regional sports  भाटापारा– लकड़ी महंगी, इसलिए पारंपरिक खेलों के लिए इनसे बनी खेल सामग्रियों की कीमत में 10 से 15 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। आसार आगे भी बढ़त के ही बने हुए हैं क्योंकि मांग बनी हुई है।

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गिल्ली-डंडा अब ग्रामीण क्षेत्र में नहीं बनते। गुलेल तो, कब का कंपनियों के हिस्से में जा चुका है। इसी तरह पिठ्ठूल भी खेल सामग्रियां बनाने वाली इकाइयों के हाथों में जा चुका है। अपने प्रदेश में छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार जो खेल होते रहे हैं और जिस तरह प्रतिसाद मिल रहा है या प्रयास किया जा रहा है, उसके बाद एक बार फिर से गिल्ली डंडा और पिठ्ठूल की मांग बढ़त लेती नजर आती है। निर्माण करने वाली इकाईयों के लिए मौका बेहतर है लेकिन मांग की तुलना में लकड़ियों की आपूर्ति सीमित है। इसलिए कीमत में तेजी आने लगी है।

Regional sports  यह सबसे ज्यादा

गिल्ली-डंडा अभी भी शिखर पर है। छत्तीसगढ़ सरकार की छत्तीसगढ़ ओलंपिक ने इसकी पूछ-परख ना केवल बढ़ा दी है बल्कि निर्माण इकाइयों को कारोबार का जोरदार मौका दिया है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब यह नहीं बनते। इसलिए उपलब्धता की जिम्मेदारी कंपनियों पर आन पड़ी है। खरीदी करनी है तो 20 रुपए प्रति नग लगेंगे।

गुलेल दूसरे नंबर पर

Regional sports  गुलेल सभी जगह बनते थे। अब दिन लद गए हैं। बच्चों की मांग है। इसलिए इसे भी छोटी इकाईयां बनाने लगीं हैं। दिलचस्प यह कि ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी मांग भी बढ़त लेती नजर आ रही है। यही वजह है कि किराना दुकानों में भी यह बिकते हुए नजर आते हैं। खेल सामग्री विक्रय करने वाली संस्थानें पहले से ही बेच रहीं हैं।

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पिठ्ठूल और कंचा

Regional sports खपरैल की मदद से यह खेल, खेला जाता था। अब यह जगह लकड़ियों ने ले ली है। यह भी खेल सामग्रियां बनाने वाली इकाइयों के हवाले हो चुकी है। डिजाइनर होने की वजह से निर्माण लागत बढ़ चली है। इसलिए इसकी खरीदी अब 280 रुपए में की जा सकेगी। इसके पहले यह 180 रुपए में मिलता था। जबकि कंचा 30 रुपए की जगह 50 रुपए में लिया जा सकेगा। यह कीमत 50 नग वाले पैकेट की है।

महंगा हुआ रस्सी कूद

Regional sports  बालिकाओं का मनपसंद खेल है, रस्सी कूद। घरों में नहीं, अब यह भी खेल सामग्री बनाने वाली इकाइयां इसका भी निर्माण कर रहीं हैं। मांग के बाद उत्पादन लागत बढ़ चुकी है। इसलिए यह प्रति नग 50 रुपए में खरीदा जा सकेगा। तेजी के पहले यह 40 रुपए प्रति नग पर मिल रहा था।

रॉ मटेरियल महंगा

खेल सामग्री बनाने के लिए जरूरी कच्चे माल की कीमत में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। इसलिए सभी खेल सामग्रियों की कीमत बढ़ी हुई है।
– भूपेंद्र वर्मा, संचालक, श्री स्पोर्ट्स, भाटापारा

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