(Red Brick Manufacturing) राजस्व द्वारा कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति, बंद नहीं हो रहा लाल ईट निर्माण

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(Red Brick Manufacturing) सैकड़ों की संख्या में अवैध ईंट भट्टे

(Red Brick Manufacturing) भानुप्रतापपुर। क्षेत्र में इन दिनों सैकड़ों की संख्या में अवैध ईंट भट्टे चल रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से अवैध ईंट भट्टों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित हो रही रहा है। साथ ही राजस्व को होने वाले आय का भी नुकसान हो रहा है।

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(Red Brick Manufacturing) शिकायत के बाद भी अब तक खनिज विभाग व राजस्व विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। भानुप्रतापपुर तहसीलदार सुरेंद्र उर्वसा द्वारा कुछ स्थानों में जकर कागजी कार्रवाई कर खानापूर्ति की जा रही है। लेकिन लाल ईँट निर्माण बंद नहीं हो रहा है।

(Red Brick Manufacturing) ज्ञात हो कि भानुप्रतापपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण अंचलों में बगैर कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ही ईट भट्टों का संचालन हो रहा है। चौकानें वाली बात तो यह है कि इन ईट भट्टों में वन विभाग तथा प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण के चलते जंगल की लकड़ी से सुलग रही है।

जंगल से सटे कुल्हाड़कट्टा, रानीडोंगरी, रानवाही, चिचगांव, जलिनकसा, मुल्ला, नारायणपुर, पण्डारपुरी, सम्बलपुर, कराठी सहित ब्लॉक के विभिन्न गांवों में लाल ईट भट्टे से जुड़ा कारोबार व्यापक पैमाने पर चल रहा है। यहां बड़ी मात्रा में जंगल की लकड़ी खप रही है। वहीं ईट निर्माण के लिए राजस्व भूमि से रेत का अवैध खनन भी किया जा रहा है।

(Red Brick Manufacturing) स्थानीय ग्रामीणों की माने तो कि ईंट भट्टों में खुलेआम वनोपज को खपाया जा रहा है। लगातार जल रही लकडिय़ां इस बात का पुख्ता सबूत हैं। वह बताते हैं कि यहां से अक्सर वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गुजरते हैं। लेकिन सब कुछ देखते जानते हुए भी जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि अगर वन विभाग के अधिकारी मौके पर निरीक्षण करें तो असलियत सामने आ जाएगी।

सूत्रों की माने तो ईंट भट्टों के लिए लकड़ी कटाई के आड़ में वन माफिया जंगलों का सफाया करने में जुटे हुए हैं। ईट बनाने के लिए जहां एक तरफ अवैध रुप से जंगल से खुदाई की जाकर मिट्टी लाई जा रही है। वहीं राजस्व भूमि से रेत का भी खनन किया जा रहा है। ईट भट्टों को जलाने के लिए बड़े पैमाने पर जंगल से पेड़ काटे जा रहे हैं।

(Red Brick Manufacturing) जंगल में मौजूद ठूंठ कटाई की दास्तान बयां कर रहे हैं। गौरतलब हो कि ईट भट्टा संचालन करने के लिए पर्यावरण विभाग, खनिज विभाग व राजस्व विभाग से अनुमति लेनी होती है, लेकिन यहां बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के ही ईट भट्टों को संचालन हो रहा है।

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दूसरी तरफ ईंट भट्टों से निकलने वाले धुंए से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, इसी धुएं से स्थानीय ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ रहा है। ग्रामीणों ने ईट भट्टों पर अंकुश लगाने की मांग की है। लाल ईँट के संबंध में भानुप्रतापपुर एसडीएम व तहसीलदार से संपर्क किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

नहीं हो रहा नियमों का पालन

 

(Red Brick Manufacturing) प्राप्त जानकारी अनुसार ईट भट्टे का संचालन करने के लिए धारा 172 के अनुसार डायवर्सन होना चाहिए। इसके अलावा खनन के लिए भी अनुमति लेनी होती है। बिना अनुमति के खनन करना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। मगर, फिर भी कृषि भूमि में ही ईट-भट्टों का धड़ल्ले से कारोबार चल रहा है।

ईट-भट्टे के काराबोर से जुड़े जानकारों का कहना है कि इन भट्टों में ईटों को उच्च ताप पर पकाया जाता है, तब कहीं जाकर ईट का रंग भूरा से लाल हो पाता है। ईट के भट्टो में चूल्हा बनाकर बड़े-बड़े लट्ठों को उनमें लगाया जाता है। पूरी तरह से जब भट्टा लकड़ी से ढक जाता है, तब उसमें आग लगा दी जाती है। इस प्रक्रिया में भारी तादाद पर लकड़ी का उपयोग होता है।

राजस्व विभाग कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर रही

(Red Brick Manufacturing) कार्रवाई नही होने से संचालकों के हौसले बुलंद अवैध ईट भट्ठा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के अभाव में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ईंट ठेकेदार और राजस्व, खनिज और जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ाते अनगिनत ईट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है साथ ही राजस्व को होने वाले आ का भी नुकसान हो रहा है। किसी अन्य विभाग की तो बात छोडि़ए खनिज विभाग ने भी कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं कर पाया है। हालांकि राजस्व विभाग द्वारा लाल ईँट निर्माण कर रहे कुछ लोगों पर कागजी कार्रवाई कर खानापूर्ति की जा रही हैं।

जिला खनिज अधिकारी – बीके चंद्राकर

लाल ईट निर्माण पूर्ण रूप से प्रतिबंध हैं। भानुप्रतापपुर ब्लॉक में निर्माण करने की बात आ रही हैं उस पर कार्रवाई की जायेगी।

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