राजकुमार मल
Record broken in poha आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार से मांग नहीं
Record broken in poha भाटापारा– सीजन। फिर भी मांग नहीं। उपभोक्ता राज्यों की खरीदी लगभग बंद जैसी ही है। उम्मीद थी घरेलू बाजार से लेकिन इसने भी रुचि दिखानी बंद कर दी है। ऐसे में उत्पादन महज 40 फ़ीसदी ही हो रहा है। संकेत आने वाले दिनों में और कम किए जाने के मिल रहे हैं।
Record broken in poha संकट में हैं पोहा मिलें। दीप पर्व के लिए एडवांस सौदे होना तो दूर, पूछ-परख तक के लिए पोहा मिलें इंतजार में हैं लेकिन इसमें भी निराशा ही मिल रही है। उपभोक्ता राज्यों की मांग टूटने के बाद, अब घरेलू मांग भी गिरावट की राह पर है। असर पोहा की गोता लगाती कीमत के रूप में देखा जा रहा है। दूसरा असर पोहा क्वालिटी के धान के भाव में कमी के रूप में देखा जा रहा है।
उत्पादन महज 40 फ़ीसदी
Record broken in poha देश स्तर पर मांग में गिरावट की स्थिति के बाद पोहा मिलों ने उत्पादन में 60 फ़ीसदी की कटौती कर दी है। शेष मात्रा इसलिए निरंतरता के क्रम में है क्योंकि इसे यदि बंद कर दिया गया, तो संकट में वह श्रमिक आ जाएंगे जो इस क्षेत्र के दम पर रोजी-रोटी की व्यवस्था कर रहेंं हैंं।
देश में यह प्रदेश
Record broken in poha बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश। देश के यह राज्य पोहा के लिए बड़े उपभोक्ता बाजार हैं। बीते कुछ माह से इन राज्यों से मांग में गिरावट का दौर जारी है। उम्मीद थी कि दीपावली के लिए मांग निकलेगी लेकिन स्थितियां इस कदर बदहाल हैं कि पूछ-परख तक नहीं है।
प्रदेश में यह शहर
रायपुर, राजनांदगांव और बालोद जिले में भी पोहा मिलेंं हैं। लेकिन भाटापारा की यूनिटें गुणवत्ता में इन सभी पर भारी हैं। बताते चलें कि उपभोक्ता मांग वाले जिलों में बिलासपुर, कोरबा, रायपुर, दुर्ग, भिलाई के अलावा सरगुजा के साथ बस्तर संभाग से भी पोहा की मांग नहीं निकल रही है। घरेलू बाजार की यह टूट, आगत संकट का संकेत के रूप में देखी जा रही है।
भाव तब और अब
बीते दीपावली पर पोहा क्वालिटी के धान की खरीदी पोहा मिलोंं ने 2300 से 2500 रुपए क्विंटल पर की थी। अब यह 2100 से 2300 रुपये पर चल रहा है। मांग के दिन याने पिछली दिवाली पर पोहा में सौदे 4300 से 4500 रुपए क्विंटल पर हुए थे। इस समय रिकॉर्ड टूट के बाद 3400 से 3800 रुपए क्विंटल पर आ चुका है। इसके बावजूद उपभोक्ता मांग नही है।
संकट का दौर
उपभोक्ता मांग बेहद कमजोर है। संकट का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि उत्पादन 40 फ़ीसदी ही हो रहा है। स्थितियां जैसी बनी हुई हैंं उसे देख कर आगे की धारणा पर कुछ कहा नहीं जा सकता ।
– रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा