Reasonable concern for donations चंदे की वाजिब चिंता

Reasonable concern for donation

Reasonable concern for donations चंदे की वाजिब चिंता

Reasonable concern for donations ऐसे मामलों में पारदर्शिता लाने की एक दशक पहले ही हुई पहल उलटी दिशा में मुड़ते हुए अब काफी आगे बढ़ गई है। इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स का चलन बढऩे के बाद तो इस मसले से जुड़े बाकी पहलुओं पर बात करना भी बेमतलब मालूम पडऩे लगा है।

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निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक चंदे पर जो पहल की है, वह स्वागतयोग्य है। ये दीगर बात है कि इस पहल के सफल होने की न्यूनतम संभावना है। इसलिए कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता लाने की एक दशक पहले ही हुई पहल उलटी दिशा में मुड़ते हुए अब काफी आगे बढ़ गई है।

Reasonable concern for donations  इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स का चलन बढऩे के बाद तो इस मसले से जुड़े बाकी पहलुओं पर बात करना भी बेमतलब मालूम पडऩे लगा है। आखिर जब करोड़ों के चंदे के बारे में गोपनीयता का प्रबंध कर लिया गया है, तो दो हजार या 20 हजार रुपये की आखिर क्या औकात रह गई है। फिलहाल राजनीतिक अनुदान में कालेधन पर रोक के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त का कानून मंत्रालय को पत्र लिखा है।

पत्र में नकदी चंदे को 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ (जो भी कम हो) की सीमा तक करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने बेनामी चंदे को 20 हजार से घटकर दो हजार करने की भी बात कही है।
चुनाव आयोग के प्रस्ताव को लागू करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव करना होगा।

Reasonable concern for donations  निर्वाचन आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि राजनीतिक दलों के लिए एक बार में मिलने वाले नकद चंदे की अधिकतम सीमा 20 हजार रुपये से घटाकर दो हजार रुपये की जाए और कुल चंदे में नकद की सीमा अधिकतम 20 प्रतिशत या 20 करोड़ रुपये तक सीमित की जाए, ताकि चुनावी चंदे को कालेधन से मुक्त किया जा सके।

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Reasonable concern for donations मकसद और सुझाव दोनों बेहतर हैं। मगर मौजूदा माहौल में ये महज एक रस्म-अदायगी मालूम पड़ते हैँ। आयोग की ओर से यह कदम उस वक्त उठाया गया है, जब हाल ही में उसने 284 ऐसे दलों को पंजीकृत सूची से हटा दिया था, जो नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे थे। मगर समस्या यह है कि ऐसी कार्रवाइयों की आंच बड़े दलों तक नहीं पहुंचती, जिनके पास कानूनों को अपने ढंग से ढालने और जांच एजेंसियों को निर्देशित करने की शक्ति होती है। इसलिए चंदे से जुड़ी जो संस्थागत अपारदर्शिता होती है, वह कायम रहती है।

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