(Rajim Maghi Punni Fair) प्रसिद्ध लोक गायक दिलीप षडंगी ने पत्रकारों से की बेबाक बातचीत

(Rajim Maghi Punni Fair)

(Rajim Maghi Punni Fair) छत्तीसगढ़ी फिल्म को टिकट कटाकर टॉकीज में जरूर देखें

(Rajim Maghi Punni Fair) राजिम। माघी पुन्नी मेला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संगीत सम्राट दिलीप षडंगी ने कहा कि आज तक मैंने किसी का दिल नहीं दुखाया है कोई मेरा दुश्मन नहीं है। लोक कला मेरे रग-रग में बसा हुआ है। प्रस्तुति के दौरान सामाजिक चेतना का भाव होना बहुत जरूरी है। लोक संस्कृति शाशवत है इसमें वह बात होती है जो दिल की धडक़न को बढ़ा देते हैं।

(Rajim Maghi Punni Fair) उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्म में अच्छा कैरियर है लगातार प्रोग्रेस कर रहे हैं भले सोशल मीडिया का जमाना है। यूट्यूब के माध्यम से पूरी फिल्में देखी जाती है। जब छत्तीसगढ़ी फिल्में लगे तो उन्हें देखने के लिए टिकट कटाकर जरूर जाए। आपका 50 रूपए किसी प्रोड्यूसर के लिए पचास लाख के बराबर है। यदि आप टिकट देकर उन्हें देखते हैं तो इससे बड़ा आशीर्वाद उनके लिए और कुछ नहीं हो सकता। एक्टिंग करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने अपनी कला यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि ड्रामा से कला क्षेत्र में मेरा पदार्पण हुआ।

(Rajim Maghi Punni Fair) बशीर गुरुजी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैं बड़ा रोल करना चाहता था लेकिन मुझे मदारी नहीं बल्कि जमूरे का रोल दिया गया। इसमें मेहनत तो किया लेकिन छोटा रोल होने के कारण मैं खूब रोया। मंचों में जैसे ही प्रस्तुति दी उसके बाद तो मुझे मेरे नाम पर प्रसिद्धि का लेबल चल गया और आगे बढऩे का मार्ग प्रशस्त हुआ। मंचीय प्रस्तुति के दरमियान मुझे बहुत डर लगता है जब तक गाना पूर्ण नहीं होता, चिंता बनी रहती है। इसी उहापोह की स्थिति में कार्यक्रम बहुत ही अच्छा जम जाता है।

(Rajim Maghi Punni Fair) उन्होंने अपने शुरुआती दौर के बात मीडिया से शेयर करते हुए कहा कि मंच में गीत प्रस्तुत करते थे तब दर्शक मुझे नाक से गाते हैं कह कर बाहर कर दिया। हताश हुआ और गायन को छोडक़र मिमिक्री करना शुरू कर दिया। उसी समय रंगो बती रंगो बती गीत के गायक के साथ मेरी मित्रता हो गई। मैं मिमिक्री के साथ ही एंकरिंग भी करता था। मुझे टाटानगर, कोलकाता, संबलपुर, राउरकेला मिमिकरी आर्टिस्ट के रूप में प्रसिद्ध मिली।

उन्होंने आगे बताया कि मैं तकदीर का बहुत धनी हूं इंग्लिश में एम. ए. किया हूं परीक्षा देने के पूर्व मेरी कोई तैयारी नहीं थी। अलबत्ता मात्र सात प्रश्न की ही तैयारी कर पाए थे इत्तेफाक यह हुआ कि उसमें से पांच प्रश्न परीक्षा में आ गए और मैं अच्छे नंबरों से पास हो गया।

(Rajim Maghi Punni Fair) अपने जीवन काल में मैं खुद 13 सर्विस को छोड़ चुका हूं चौदहवीं सर्विस बिजली विभाग में लगा। वहां 32 साल तक रहा। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने मुझे डी लीड की उपाधि दी। मेरे साथ में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है जिस गीत में मैंने बहुत मेहनत किया वह नहीं चला, लेकिन जिस में श्रम कम किया उसने बाजी मार दी।

मेरा अगला गाना मुड़ी म बाल नईये लगावत हे कंघी, सुर ताल जाने नहीं गावत हे षड़ंगी शीघ्र आ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि धर्म नगरी राजिम से मेरा बेहद लगाव है सौभाग्य से मेरा नाम भी राजीव लोचन षड़ंगी है। यहां की भाषा शैली अत्यंत मीठी है। नए कलाकार को मेहनत ज्यादा करने की आवश्यकता है साहित्यकार गायक वकील पुलिस यदि सरल हो जाए तो आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकती।

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