Raipur Special News : शहर में आधी रात मौत बनकर दौड़ रहीं गाडिय़ां
– अभियान : तेलीबांधा से टाटीबंध 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं गाडिय़ां
– ट्रैफिक पुलिस के पास रात में स्पीड मापने नहीं है नाइट विजन राडार मशीनें
विशेष संवाद्दाता
रायपुर। राजधानी की सड़कों पर तेज रफ्तार गाडिय़ां मौत बनकर दौड़ रही हैं। टाटीबंध से तेलीबांधा और तेलीबांधा से एयरपोर्ट तक गाडिय़ों की रफ्तार निर्धारित मानक से दोगुना अधिक होती हैं।
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खासकर लग्जरी कारों की रफ्तार बेलगाम होती हैं। इससे अक्सर तेज रफ्तार गाडिय़ों की चपेट में आकर बाइक से लेकर पैदल गुजरने वाले हादसे का शिकार होते हैं।
यही नहीं, तेज रफ्तार की चपेट में आकर मौत भी हो जाती है, लेकिन सालों बाद पुलिस और प्रशासन ने मौत की रफ्तार पर लगाम लगाने मजबूत इंतजाम नहीं कर सका। नतीजनत हर महीने शहर के भीतर आधा दर्जन से अधिक हादसे होते हैं।
170 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं गाडिय़ां
जानकारी के मुताबिक स्पीड मापने के लिए शहर में दो सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इनमें एक सरस्वीनगर थाना के पास और एक तेलीबांधा के पास लगा है।

इन कैमरों की जांच में रात १२ से सुबह ५ बजे तक की गाडिय़ों की रफ्तार १७० से १९० किमी प्रति घंटे तक मिल चुकी है, जबकि जीई रोड पर ५ किमी तक स्पीड मापने का इंतजाम नहीं है। इतने खतरनाक स्पीड का खुलासा होने के बाद भी रात के समय वाहनों की रफ्तार कंट्रोल करने कोई इंतजाम नहीं हो सका।
नाइट विजन स्पीड राडार नहीं
जानकारी के मुताबिक रात १२ बजे से सुबह ६ बजे तक लग्जरी कारों की रफ्तार अधिक होती हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के पास हवा में दौड़ती रफ्तार को पकडऩे के लिए एक भी पर्याप्त स्पीड राडार नहीं है।
ट्रैफिक पुलिस के पास दो स्पीड राडार है, जो रात के समय स्पीड मापने के लिए पर्याप्त नहीं है। वहीं, रात के समय स्पीड मापने के लिए नाइट विजन स्पीड राडार की जररुत पड़ती है, जो ट्रैफिक पुलिस के पास नहीं है। ऐसी दशा में हवा में दौड़ रही गाडिय़ों पर शिकंजा कसना बेहद मुश्किल है।

रात 10 बजे के बाद ट्रैफिक पुलिस नहीं रहती है
जानकारी के मुताबिक रात १० बजे के बाद सड़कों से ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी समाप्त हो जाती है। इसके बाद आश्रम तिराहा, शारदा चौक, शास्त्री चौक, भगत सिंह चौक से तेलीबांधा चौक तक और जयस्तंभ चौक से फाफाडीह चौक तक समेत बीच शहर में वाहनों की रफ्तार को पकड़े का ट्रैफिक पुलिस के पास कोई इंतजाम नहीं है।
हाइवे पेट्रालिंग और पुलिस पेट्रोलिंग की रातभर ड्यूटी रहती है, लेकिन हाइवे पेट्रोलिंग शहर के आउटर हाइवे पर रहती है और पुलिस की पेट्रोलिंग से वाहनों की रफ्तार को कोई लेना-देना नहीं रहता है। यही वजह है, शहर में अक्सर हीट एंड रन के केस होते हैं।
शहर में गुजरती हैं ट्रकें
जानकारी के मुताबिक रात १२ बजे के बाद भारी मालवाहकों का भी प्रवेश होता है। भनपुरी से फाफाडीह चौक होते हुए ट्रकें शहर में प्रवेश करते हैं। इनकी भी रफ्तार मानक से अधिक होती है। इससे भी हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है।

40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार निर्धारित
जानकारी के मुताबिक शहर के भीतर वाहनों की रफ्तार निर्धारित है। इन सड़कों पर वाहनों की ४० से ६० किमी प्रति घंटे की रफ्तार से स्पीड निर्धारित है। इससे अधिक रफ्तार में दौडऩे पर वाहन चालकों के खिलाफ कारवाई का प्राविधान है, जिसके बाद भी वाहनों चालकों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है।

ट्रैफिक पुलिस की रात १० बजे के बाद ड्यूटी नहीं रहती है। रात के समय पुलिस पेट्रोलिंग और हाइवे पेट्रोलिंग ओवर स्पीड वाहनों की निगरानी करते हैं। आवेर स्पीड रोकने नया सिस्टम बनाया जाएगा।
जय प्रकाश बढई, एडिशनल एसपी, ट्रैफिक