Raipur Press Club रायपुर प्रेस क्लब में हमारा समय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर संवाद का आयोजन
Raipur Press Club रायपुर । राजधानी रायपुर में भारतीय जन नाट्य संघ, जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर की ओर से “हमारा समय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण” विषय पर वक्तव्य और संवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात विज्ञानवेत्ता और विज्ञान लेखक अमिताभ पांडे ने अपनी बात रखी।
बता दें कि अमिताभ पांडे ने कई क्षेत्रों में अपनी योगदान दिए हैं। उन्होंने स्कूलों और कालेजों के छात्रों को खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान को पढ़ाया है। उन्होंने आर्य भट, प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्री पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
अमिताभ ने छात्रों और शिक्षकों को विज्ञान और खगोल विज्ञान को बताने के लिए देश के विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, एनआईटी और आईआईटी द्वार आमंत्रित किए गए हैं !
उन्होंने अपनी व्याख्यान की शुरुआत में कहा कि अगर हम बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तो ज्यादातर लोग विज्ञान को आम टेक्निकल यह तकनीक की भाषा समझते हैं विज्ञान के लाभ और हानि भी हैं उन्होंने अपनी बात की शुरुआत विज्ञान क्या है? से की। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमे यह समझना होगा की विज्ञान की शुरुआत कब से हुआ है और उससे पहले की कार्य प्रणाली क्या थी।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के विकास की कहानी कहीं न कहीं बंदर और चिंपेंजी से मिलती है। मनुष्य का विकास कई चरणों में हुआ है। मनुष्य का विकास में सबसे पहले हाथों का विकास हुआ। इसके साथ ही दिमाग और विभिन्न अंगों का विकास हुआ।
मनुष्य अपनी आवश्यकता अनुसार चीजों को डेवलप्ड करना शुरू किया पहले उन्होंने पत्थर से औजार बनाना फिर आग का आविष्कार किया जैसे-जैसे आवश्यकता हुई उन्होंने चीजों को डेवलप्ड करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि पहले कोई ये नहीं सोचा था की बंदर या चिम्पांजी आज चांद तक पहुंच जाएगा…वैज्ञान ने काफी तरक्की की है और आज हमलोग यहां तक पहुंचे हैं !
वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जरूरी
उन्होने कहा की विज्ञान के ज्ञान का प्रयोग हम समाज के लिए करे ना की केवल परीक्षा पास करने के लिए । विज्ञान ने ही बताया की सारे मनुष्य एक जैसे है तो हमें विज्ञान को सीखने और सिखाने में 3 बिन्दुओ पर सोचने की आवश्यकता है उन्होंने कहा सेकुलरिज्म डेमोक्रेसी और हुमानिज्म अगर हम आज इन्हे खो दिया तो हम कई साल पीछे चले जाएंगे ।
उन्होने वैज्ञानिक सोच को ‘वैज्ञानिक मूल्य’ कहा और उसे अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया जिससे समज में मानवता को लाया जा सके ।