Raipur News update : डीएमएफ फंड में 300 करोड़ की हेराफेरी

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विशेष संवाद्दाता

Raipur News update : बगैर मांग और सरकारी दर तय किए कृषि यंत्रों की खरीदी

कृषि यंत्रों की बजाय प्रोसेसिंग यूनिट पर कर दिए करोड़ों रुपए खर्च

 

Raipur News update : रायपुर। छत्तीसगढ़ में डिस्ट्रीक्ट माइनिंग फंड और केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के पैसे का जमकर बंदरबांट पहले किया जाता रहा है, लेकिन इस बार कृषि यांत्रों की खरीदी पर करोड़ों रुपए खर्च कर सरकारी पैसे में हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है।

बगैर डिमांड लेटर और रेट कांट्रेक्ट ही राज्यभर के कई जिलों में 300 करोड़ रुपएकी लागत से प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए मशीनें खरीदी गई हैं, जो बाजार रेट से चार-पांच गुना अधिक रेट पर खरीदी कर सरकारी पैसे की हेराफेरी की गई है।

डीएमएफ फंड से मिनी आटा चक्की, तेल मिल, मिनी दाल और राईस मिल की खरीदी मनमाने रेट पर की गई है। यही नहीं, मशीनों को खरीदने के बाद वितरण भी नहीं गया।

अब गोदामों में रखे-रखे करोड़ों की मशीनें कबाड़ में तब्दील हो गई हैं।

मशीनों की खरीदी के दस्तावेज आज की जनधारा के पास उपलब्ध हैं। वहीं, लेकर भाजपा  कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है।

इधर, कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे गोठानों के पैसे से खरीदे गए उपकरणों की जांच कराकर उचित कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।

गोठानों के पैसे में बंदरबांट

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जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आने वाली गौठानों के लिए मिली 50 करोड़ रुपए मशीनरी समेत अन्य पर खर्च कर दिया गया, जबकि एक-एक सामान की खरीदी का रेट तय है। इसके बाद भी मनमाने तरीके से करोड़ों रुपए पानी में फेंक दिया गया।

 

सवा लाख की मशीनें 8 लाख में लेने की तैयारी

जानकारों के मुताबिक प्रोसेसिंग की 4 मशीनों की बाजार में कुल कीमत महज एक लाख 25 हजार रुपए है। चार मशीनों की कीमत करीब 5 लाख रुपए हुआ, लेकिन इन मशीनों को कृषि विभाग 8 लाख रूपए में खरीदने तैयार है।

मशीनों की आरसी तय नहीं

जानकारों के मुताबिक डिस्ट्रीक्ट माइनिंग फंड की राशि से कृषि यंत्रों के खरीदी की दरें तय हैं, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट की दरें तय नहीं है। सीएसआईडीसी, जे स, चैंप्स या विभाग द्वारा आरसी यानि कि रेट कॉन्ट्रेक्ट का होना अनिवार्य होता है, लेकिन इन मशीनों की कोई दरें भी तय नहीं है और न ही कोई शर्तें हैं। डीएमएफ और र तार योजना के खबर से संबंधित दस्तावेज जनधारा के पास मौजूद है।

9 हजार करोड़ से अधिक का बजट

जानकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में साल 2015 में डीएमएफ योजना लागू होने के बाद से अब तक जिलों में करीब 9223 करोड़ रुपए का संग्रहण हुआ है।

इसी तरह केंद्र की र तार योजना के तहत साल 2020 में 20 और साल 2020 में अब तक करीब 30 करोड़ मिलाकर 50 करोड़ रुपए किसानों के लिए कृषि उपकरणों की खरीदी के लिए बजट आया।

इन जिलों में कृषि यंत्रों की खरीदी

जानकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के डीएमएफ की राशि से सात बड़े जिलों में किसानों के लिए यंत्र खरीदी की गई। इनमें कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बस्तर और सरगुजा संभाग के जिले शामिल है। इनमें डीएमएफ और र तार योजना के पैसों को खरीदी की गई, लेकिन सरकारी दरें तय नहीं की गईं।

साल 2017 में बने पोर्टल

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कृषि यंत्रों की खरीदी के लिए बकायदा साल 2017 से चैंप्स पोर्टल बनाया गया। इस पोर्टल में अधिकृत एजेंसियों द्वारा मशीनों की अधिकतम कीमत (एमआरपी) का उल्लेख किया गया है। किसी भी यंत्र की खरीदी पोर्टल या फिर रेट कांट्रेक्ट पर किया जाता है, जिसका पालन कृषि यंत्र खरीदी में नहीं किया गया है।

वर्जन

भाजपा सरकार से पूछा जाए कि डीएमएफ के पैसे से घरों की मर मत कराई जाती थी। डीएफओ के लिए स्वीमिंग पुल बनाए जाते थे। यह सवाल का जवाब उनको देना चाहिए। रही बात गौठानों के पैसे जो खरीदी की तो उसकी जांच कराई जाएगी और दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
रविंद्र चौबे, कृषि मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन

वर्जन

डीएमएफ में गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। रातों रात कागज तैयार कर करोड़ों रुपए की हेराफेरी की जा रही है। कोरबा और रायगढ़ का मामला सामने आया है। इस तहर की गड़बड़ी पूरे राज्यभर में हो रहा है।
डॉ. रमन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़

वर्जन

डीएमएफ मंद से ज्यादेतर खरीदी बीजा नियम और उद्यानिकी में हो रही है। एक ही सप्लायर है जो राज्यभर में खरीदी कर रहा है। डेढ़ से दोगुना बाजार से अधिक दर पर खरीदी की जा रही है। कमीशन लेकर अमानक उपकरण की खरीदी की जा रही है।
सौरभ सिंह, विधायक

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