Raipur Breaking रंग श्रृंखला नाट्य मंच एवं इम्पल्स एक्टिंग अकादमी की प्रस्तुति
जनमंच सड्डू में नाटक अंधा युग का मंचन
Raipur Breaking रायपुर। रंग श्रृंखला नाट्य मंच एवं इम्पल्स एक्टिंग अकादमी की ओर से सोमवार को सड्डू स्थित जनमंच पर नाटक अंधा युग का मंचन किया गया। धर्मवीर भारती द्वारा लिखित नाटक अँधा युग जिसका निर्देशन हीरा मानिकपुरी ने किया। नाटक अंधा युग यह संदेश देता है कि युद्ध चाहे धर्म के लिए हो या अधर्म के लिए हमेशा विनाशकारी होता है। ये नाटक हिंदी के कालजयी नाटकों में से एक है इस नाटक के बिना आधुनिक हिंदी नाटक को पूर्ण नहीं माना जा सकता।
Raipur Breaking महाभारत के पौराणिक पात्रों और घटनाओ को लेकर एक बेहद गंभीर विचार रखता है, युद्ध हमेशा महानाश देता है जिसमे सारी वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती है, ये युद्ध चाहे धर्म के लिए हो या अधर्म के लिए, विनाश प्रकृति का निश्चित है। यह नाटक हर काल में समसमायिक लगता है, क्योकि इस नाटक में जो अँधापन है वो हर काल में मिल जाता है, जिस अंधेपन की वजह से महायुद्ध होता है।
Raipur Breaking महाभारत में धृतराष्ट्र के अंधेपन ने दुर्योधन को इस विनाश तक जाने में नहीं रोका, उसके अधर्मयुक्त कार्यों को उस अंधेपन ने नहीं देखना चाहा, क्योकि वो सिर्फ आँखों से ही अँधा नहीं था वो पुत्र मोह में अँधा था, सत्ता मोह में अँधा था। और इसी लिए महाभारत का युद्ध हुआ जिसे धर्म की जय कहा जाता है। ये नाटक इस धर्म की जीत पर सवाल उठाता है। नाटक में गांधारी की आस्था इस अधर्म से आहत होती है और वो एक उद्दत अनस्था को जन्म देती है, वो क्रोधवश भगवान कृष्ण को श्राप देती है लेकिन कृष्ण के श्राप स्वीकारने के बाद फिर से गांधारी की ममता कृष्ण के प्रति और भी तीव्र वेग से जाग जाती है और अपराधबोध अपनी उस उद्दत अनस्था पर रोती है।
Raipur Breaking नाटक में ऐसे पात्रो का केंद्र बिंदु बनाया गया है जो इस धर्म युद्ध में अपनी परिणिति पर जीवन भर अपने को अभागा महसूस किया और वो इस धर्म की जीत पर सवाल उठाते रहे , जिनमें युयुत्सु एक है जो धर्म के लिए पांडओ की तरफ से लड़े क्योकि व्यास ने कहा था धर्म जिधर होगा जय भी उधर होगा। पर जय के बाद उसे सिर्फ नफरत और उलाहना घृणा का पात्र बना और अंत में उसे आत्मघात करने पर विवश किया पर युयुत्सु अभी भी पूछते हैं की जय है ये कृष्ण की ? जिसमे मै मातृ वंचित हूँ, सभी की घृणा का पात्र हूँ, ये कैसी जय है ?
Raipur Breaking वहीं एक पात्र है अश्वथामा जिसके पिता गुरु द्रोण को अधर्म युक्त नीति से मारा गया। युधिष्ठिर के एक अर्धसत्य ने उसकी हत्या कर दी। अश्वथामा अपने पिता की हत्या का बदला लेता है वैसे ही अधर्म वार से पर उसे कृष्ण का श्राप मिला। पर वही दुर्योधन को अधर्म वार से भीम ने मारा पर उसे श्राप नहीं दिया कृष्ण ने। इस पर ही क्रोधित को कर गांधारी ने श्राप कृष्ण को श्राप दिया ये नाटक इसलिए आधुनिक नाटकों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योकि की ये पौराणिक चरित्रों को साधारण लोगो के अंतद्र्वंद्व के साथ जोड़ कर देखता है इसलिए ये पात्र भी हमारी तरह मानवीय प्रवृत्तियों से परिचालित लगते हैं।
पात्र परिचय
मंच पर
कथा गायक – विवेक निर्मल, अंजू कुजूर, बृजेश राव इंगले
सिपाही एक -युधिष्ठिर सुनानी
सिपाही दो – यश मथरानी
विदुर – सत्यम
धृतराष्ट्र-अभिषेक उपाध्याय
गांधारी – मनीषा साहू
संजय – उत्कर्ष श्रीवास्तव
अश्वथामा -अमित कुमार
कृपाचार्य – विवेक निर्मल
कृतवर्मा – बृजेश राव इंगले
युयुत्सु -अमित नन्द
वृद्ध याचक – यश नारा
मंच परे
साउंड ट्रैक – प्रियांशु शर्मा
लाईट -अमन राय
पोस्टर – शैव्या सहारे
प्रॉप्स , प्रोपर्टी -अरुण भांगे
मंच व्यवस्था – रंग श्रृंखला के कलाकार
विशेष आभार – सुभाष मिश्र एवं रचना मिश्रा