Raipur Big news दो पुस्तकों का विमोचन
Raipur Big news रायपुर। डॉ स्नेहलता पाठक की दो पुस्तकों का छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित गरिमामय समारोह में विमोचन हुआ।मुख्य अतिथि डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा कि डॉ स्नेहलता पाठक ने समाज में व्याप्त शोषण और हिंसा का विरोध करती हैं। कैसे स्त्री समाज से संघर्ष करके जीत जाती है, यह कथाकार ने प्रस्तुत किया है। रचनाकार अपनी संस्कृति को अपनी रचनाओं में अभिव्यक्त करता है।
समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्री रवि श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ स्नेहलता पाठक ने कथा में आंचलिकता का सुंदर समावेश किया है। स्त्री संघर्ष का लोक रूप अत्यंत करूणा के साथ प्रस्तुत हुआ है। गांव से शहर की यथार्थ यात्रा है। डॉ स्नेहलता पाठक ने अपनी विमोचित पुस्तकों की रचना प्रक्रिया पर अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि जो लेखक अपनी जीवन की यादों को स्मरण में रखेगा, वह एक अच्छा कथाकार होता है।
हमारे आसपास ही कहानी के पात्र मौजूद हैं जो संवेदना के साथ प्रस्तुत होते हैं।डॉ नेहा दीवान ने लेखिका का परिचय प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत डॉ डी के पाठक, डॉ नेहा दीवान, दिलीप वरवंडकर, वीरेंद्र साहू और डॉ अर्चना पाठक ने किया। प्रारंभ में समिति के सचिव डॉ सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण दिया।अतिथियों ने कहानी संग्रह दीपशिखा और उपन्यास लाल रिबन वाली लड़की का विमोचन किया !
समीक्षक सरला शर्मा ने उपन्यास लाल रिबन वाली लड़की पर चर्चा करते हुए कहा अपने सपने, अपने आत्मबल को अपने लाल रिबन में गूंथ रखा है। एक मध्यमवर्गीय लड़की के संघर्ष की गाथा है। स्त्री विमर्श का एक श्रेष्ठ उपन्यास है यह।समीक्षक शीलकांत पाठक ने उपन्यास के शिल्प, भाषा और शैली के नयेपन पर चर्चा की। स्मृतियां इस उपन्यास का उत्स है।
यथार्थ का प्रकटीकरण है। पात्रों के नाम भी अर्थपूर्ण हैं।कहानी दीपशिखा की समीक्षा करते हुए डॉ मृणालिका ओझा ने कहा कि प्रेम और संघर्ष की कहानियां हैं, रिश्तों की सच्चाई है इसमें।कुछ कहानियां आत्मकथात्मक हैं। औरत को सीधे खड़ी होने का अधिकार है।दीपशिखा कहानी संग्रह की समीक्षा करते हुए रूपेंद्र राज तिवारी ने कहा कि ये कहानियां जीवन के उतार चढ़ाव की कहानियां हैं। कहानियां स्मृतिलोक का सैर करती हैं।
व्यंग्य की शैली के साथ कथात्मक शैली को अपनाया गया है।विशिष्ट अतिथि और समिति के अध्यक्ष श्री गिरीश पंकज ने कहा कि ये कथाएं नैतिकता के पैमाने पर कसी हुई हैं। आज की कहानियां अराजकता की ओर उन्मुख हो रही हैं। भारतीय परिवेश में रची गई डॉ स्नेहलता पाठक की कहानियां परंपरा का पोषण करती है।
विशिष्ट अतिथि भाषाविद डॉ चित्तरंजन कर ने कहा कि कल्पना यथार्थ का ही स्वरूप है। वह रचनात्मक होती है। इन कहानियों में मनुष्यता है, प्रेम है। लेखक अपनी अभिव्यक्ति के लिए कोई भी विधा चुन लेता है। भाषा संस्कृति है तो साहित्य संस्कार है।
समारोह में अरूणकांत शुक्ल, वीरेंद्र पांडेय, सुरेश मिश्रा, सुमन मिश्र, माधुरी कर, रामेश्वर शर्मा, शिवमंगल सिंह, राम पटवा, हसन खाश, राजेश गनोदवाले, डॉ महेन्द्र ठाकुर, राजशेखर चौबे, आशा मानव, लालाराम शर्मा, डॉ ममता शर्मा, ममता शुक्ल, सुधा वर्मा, रवि तिवारी, मंजुला उपाध्याय आदि उपस्थित थे। समारोह का संचालन डॉ सुधीर शर्मा ने किया।