(Pt. Baban Prasad Mishra) पं. बबन प्रसाद मिश्र उच्च कोटि के साहित्यकार और पत्रकार रहे: महंत राम सुंदर दास

0 पंडित बबन प्रसाद मिश्र स्मृति समारोह का आयोजन
0 -प्रदेश भर के कई प्रतिभावान और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों कका सम्मान
रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार व पत्रकार पंडित बबन प्रसाद मिश्र स्मृति समारोह का आयोजन सोमवार को वृंदावन हॉल में किया गया। कार्यक्रम का आगाज मुख्य अतिथि राजेश्री राम सुंदर दास, डॉक्टर संजय अनंत, सुभाष मिश्रा और प्रमोद दुबे ने किया।
कार्यक्रम के तहत व्याख्यानमाला पुस्तक विमोचन एवं अलंकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को संगवारी सोशल मीडिया ग्रुप की ओर से छ: विभूतियों को अलंकृत किया गया। बतौर मुख्य अतिथि महंत रामसुंदर दास ने कहा कि पंडित बबन प्रसाद मिश्र उच्च कोटि के साहित्यकार और पत्रकार रहे। जिन्होंने अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर चलते हुए समाज को नई राह दी। इसी कारण आज उनको इस तरह से याद किया जा रहा है।
इस अवसर पर डॉ. संजय अलंग ने कहा कि हम लोग इसी समाज से हैं जब हम समाज से कुछ लेते हैं तो समाज को कुछ देना भी चाहिए। यही काम बबन प्रसाद मिश्र ने बखूबी निभाया। इस अवसर पर उन्होंने छत्तीसगढ़ के नामकरण पर भी रोचक जानकारी दी। वहीं जनधारा मीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र ने बबन प्रसाद मिश्र के बारे में कहा कि एक इंसान या साहित्यकार या लेखक या पत्रकार अगर कई चीजों में सक्रिय रहता है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो यह सबसे बड़ी बात होती है उन्होंने कहा कि यही वृंदावन हॉल में एक व्याख्यान देते हुए मिश्रा जी की मृत्यु हुई यह एक साहित्यकार के लिए बड़ी बात है। उन्होंने कहा मिश्रजी ज्ञान की बड़ी रोशनी रखने वाले संपादक थे हिंदी पत्रकारों की एक पीढ़ी उन्हें देख पढ़ ही पली-बढ़ी है उनके लेख अपने संस्कारों एवं सशक्त भाषा के कारण पाठकों के मानस पटल पर अंकित हो जाते थे।


बबन प्रसाद मिश्र के बारे में-
बात करें पंडित बबन प्रसाद मिश्र की तो वे अविभाजित मध्यप्रदेश एवं वर्तमान छत्तीसगढ़ में 4 दशकों से अधिक समय से पत्रकारिता व साहित्य एवं समाज से जुड़े रहे 16 जनवरी 1938 की पूर्वर्ती मध्यप्रदेश के बालाघाट वारासिवनी में जन्मे बबन प्रसाद मिश्र पत्रकारिता की यात्रा जुलाई 1962 में युगधर्म जबलपुर से प्रारंभ किया। वे सन् 1972 से 1988 तक रायपुर युगधर्म के संपादक रहे स्वदेश भोपाल में अपनी सेवाएं दी उसके बाद सन् 2001 तक नवभारत के संपादक और उसके बाद दैनिक भास्कर के सलाहकार भी रहे। बबन प्रसाद मिश्र आज के जनधारा के प्रधान संपादक रहे। उन्होंने लोकमानस के नाम से सप्ताहिक पत्रिका कभी प्रकाशन किया। लगातार देश के विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में भी लेखन करते रहे मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें पत्रकारिता के राष्ट्रीय सम्मान मानिकचंद वाजपेई सम्मान से 2015 में सम्मानित किया गया छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सर्वोच्च साहित्य सम्मान पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान से सम्मानित किया गया साहित्य अभिरुचि के कारण उन्होंने पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष के रूप में साहित्यिक जगत में बहुत से आयोजन किए। साथ ही रायपुर प्रेस क्लब छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद छत्तीसगढ़ संस्कृति विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई।
पुस्तकें एवं पत्रिकाएं
बबन प्रसाद मिश्र की बहुत चर्चित पुस्तकें मैं और मेरी पत्रकारिता, मूल्यों की पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हुई। उनकी अन्य पुस्तकें जैसे की आजादी की आधी सदी, पहाडिय़ां उजास भरा मन का आंगन, अंतसमत, भारतीय पत्रकारिता मुद्दें एवं अपेक्षाएं एवं प्रतिसर्ग रही हैं।

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