oxidative stress ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस क्या है?
oxidative stress जब शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट और फ्री रेडिकल्स के बीच असंतुलन होता है तो इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होने लगता है। आमतौर पर उम्र बढऩे की प्रक्रिया का एक हिस्सा माना जाने वाला ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है। बता दें कि लंबे समय तक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होने से कैंसर, हृदय की स्थिति और मधुमेह भी हो सकता है। आइए आज ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय जानते हैं।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस क्या है?
oxidative stress फ्री रेडिकल्स ऑक्सीजन युक्त अणु होते हैं, जो शरीर के कई असमान इलेक्ट्रॉनों को ले जाकर अन्य अणुओं के साथ आसानी से प्रतिक्रिया करने लगते हैं। ये आपके शरीर में ऑक्सीकरण नामक बड़ी श्रृंखला में रासायनिक प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकते हैं।
वहीं, एंटी-ऑक्साडेंट नामक तत्व फ्री रेडिकल्स को स्थिर करने और कम प्रतिक्रियाशील बनाने में मदद कर सकता है। हालांकि, दोनों के बीच असंतुलन ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का कारण बनता है।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण
oxidative stress ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाने के लिए मोटापा, चीनी से भरपूर चीजों का अधिक सेवन, तंबाकू सेवन सहित धूम्रपान अधिक करना आदि जिम्मेदार होते हैं। शराब, कुछ दवाओं का नियमित सेवन, औद्योगिक रसायनों और कीटनाशकों के संपर्क में आने से हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, विटामिन- डी की कमी भी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का कारण बनती है।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के लक्षण
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के सामान्य लक्षणों में थकान, याददाश्त में कमी, त्वचा पर झुर्रियां पडऩा और बालों का सफेद होना शामिल है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, शोर के प्रति संवेदनशीलता, आंखों की रोशनी कम होना और संक्रमण संवेदनशीलता भी पैदा कर सकता है।
शरीर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसका प्रभाव भिन्न तरीके से पड़ता है। लंबे समय तक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शरीर में फैटी टिश्यू, प्रोटीन और डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है, जो समय के साथ कई बीमारियों का कारण बन सकता है। यह मधुमेह, शारीरिक सूजन, हाई ब्लड प्रेशर, एथेरोस्क्लेरोसिस और कैंसर का कारण बन सकता है।
इस स्थिति को नियंत्रित करने और बचाव के उपाय
फ्री रेडिकल्स स्वाभाविक रूप से शरीर द्वारा निर्मित होते हैं और यह पूरी तरह से सामान्य है। हालांकि, इनका बहुत अधिक या बहुत कम होना हानिकारक हो सकता है और इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इन गंभीर परिणाम से सुरक्षित रहने के लिए अपनी डाइट में एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त फलों और सब्जियों को शामिल करें, प्रोसेस्ड चीजों का सेवन सीमित करें, रोजाना एक्सरसाइज करें और धूम्रपान छोड़ दें। इसके साथ ही पर्याप्त नींद लें और ज्यादा खाने से बचें।