Online fraud ऑनलाइन फ्रॉड : रोकने की कठिन चुनौती

Online fraud

Online fraud भगवती प्र. डोभाल

Online fraud देश भर में ग्राहकों को इस वर्ष की दीपावली में साइबर फ्रॉड के जरिए खूब ठगा गया है। इसकी जांच-पड़ताल साइबर सिक्योरिटी के ग्लोबल लीडर की पहचान रखने वाले नार्टन की ओर से ‘दि हैरिस’ पोल नाम की संस्था ने की है।

Online fraud संस्था ने त्योहारों के दौरान खरीदारी करने वाली जनता को, जो ऑनलाइन घर में सामान मंगा रहे थे, उनका अध्ययन किया और उसे सार्वजनिक किया है।

Online fraud अध्ययन के अनुसार सव्रे में शामिल दो तिहाई भारतीय लगभग 78 फीसद अपनी गोपनीय जानकारी के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंतित थे, दूसरी ओर 77 फीसद लोगों को र्थड पार्टी रिटेलर की ओर से ठग लिये जाने की चिंता सता रही थी।

Online fraud ऑनलाइन खरीदे गए रिफरबेस्ड डिवाइस के संबंध में 72 फीसद लोग चिंतित थे। सव्रे में शामिल किए गए 69 फीसद लोग अपने खरीदे गए सामान की हैकिंग के बारे में सोचकर भी परेशान थे। सव्रे में 78 फीसद लोगों ने यह भी माना कि अपने डिवाइसेज के माध्यम से ऑनलाइन रहकर समय बिताकर उन्होंने त्योहारों के दौरान अधिक जुड़ा हुआ महसूस किया है।

Online fraud  इस बात को भी 74 फीसद लोग मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी में यह सहायक रहा है। अध्ययन में 65 फीसद भारतीय वयस्कों ने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि त्योहारों के दौरान उनकी ऑनलाइन उपकरणों तक पहुंच नहीं होती, तो उनका मानसिक स्वास्थ्य इससे प्रभावित होता। रिपोर्ट यह भी बताती है कि कितने ही भारतीय त्योहारों के दौरान ऑनलाइन शापिंग करते हुए ठगी के शिकार हुए हैं।

Online fraud  सव्रे में शामिल किए गए लोगों में हर व्यक्ति को औसतन करीब 6,216 रुपयों का नुकसान हुआ है। यह तो एक छोटा सव्रे था, लेकिन यदि हम ऑनलाइन शापिंग पर गहरी नजर से देखें, तो कई-कई लोगों को बैंकों में जमा पूंजी से भी हाथ धोना पड़ा है। लोग ऑनलाइन शापिंग में माहिर न होने के कारण ऑर्डर किए गए सामान को भी नहीं पा सके।

सामान के बदले किसी को मिट्टी-पत्थर मिला तो किसी को वह सामान नहीं मिला, जिसका उन्होंने ऑर्डर किया। घटिया स्तर के सामान से संतोष करना पड़ा। एक भुक्तभोगी से मिलकर पता चला कि जिस सामान को उसने मंगाया था, वह आ तो गया, पर डिफेक्टिव था।

Online fraud  उसने उसे वापस किया, इसके बावजूद उसे दोबारा उसी तरह का कंडम पीस भेजा गया। लौटाने-भेजने का यह सिलसिला तीन बार चला, पर सही सामान ग्राहक को नहीं मिल सका कंपनी को उस बात की जानकारी देने का कोई साधन नहीं था, जिसमें डिफेक्टिव पीस की जगह सही पीस को प्राप्त किया जा सकता। कई तो थक-हारकर अपने खर्च किए गए पैसों को बचाने के चक्कर में वैसे ही संतोष कर जाते हैं। कोई सही जानकारी साझा करने वाला ऑनलाइन नहीं मिल पाता है।

सिर्फ ऑर्डर करो और घटिया माल को प्राप्त करो। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हर वक्त होते रहते हैं। इसी तरह जिसके पास मोबाइल होता है, उसको ढेरों सूचनाएं मिलती रहती हैं। जिसमें बैंक की ओर से संदेश आता है कि आपका इतना होम लोन पास हो चुका है, आप स्वीकृति दें। कहीं गिफ्ट भेजने का संदेश मिलता है तो किसी को ई मेल के जरिये ऐसे गोरखधंधे के संदेश प्राप्त होते हैं तो कहीं कम दरों पर यात्रा करने का ऑफर होता है।

जब इनकी असलियत को देखते हैं, तब फाड्र के अलावा कुछ नहीं होता है। तेजी से बदलती दुनिया में जहां आज ज्यादातर काम डिजिटल माध्यम से होता है; इस बात का डर हमेशा बना रहता है कि कहीं उसके साथ कोई धोखाधड़ी न हो जाए।

सेकेंड भर के लिए फोन कॉल आने के भीतर आपका बैंक अकाउंट कुछ ही क्षण में खाली किया जा सकता है। आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं और आश्चर्य की बात है कि इस मामले में कार्रवाई बेहद सतही हो रही है। यहां तक कि रिकवरी की दर भी बेहद कम है।

इससे बचने के लिए कुछ उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है। गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने 155260 हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है। यदि आप किसी भी तरह के ऑनलाइन फ्रॉड के झांसे में फंस जाते हैं, तो इस नंबर पर काल करें, 7 से 8 मिनट में आपके खाते से उड़ाये गए पैसे जिस आईडी से दूसरे खाते में भेजी गई होगी।

हेल्पलाइन, उस बैंक या ई-साइट्स को अलर्ट मैसेज पहुंचाएगा फिर रकम होल्ड पर चली जाएगी। करीब 55 बैंकों, ई-वालेट्स, ई-कामर्स साइट्स, पेमेंट गेटवे व अन्य संस्थानों ने मिलकर एक इंटरकनेक्ट प्लेटफार्म लांच किया है, जिसका नाम ‘सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिग सिस्टम’ है।

इस प्लेटफार्म के जरिए कम समय में फाइनेंशियल फ्रॉड्स के शिकार लागों को बचाया जा सकता है। आप साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके साइबर फ्रॉड की शिकायत कर सकते हैं। ऑनलाइन कार्य करने की तकनीक तो हमारे पास आ गई है, पर उसके उपयोग और दुरुपयोग दोनों होने के खतरे हैं। इनसे बचने के लिए आपको बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।

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