Now the situation of wheat import अब गेंहू आयात की नौबत

Now the situation of wheat import अब गेंहू आयात की नौबत

Now the situation of wheat import ये सारा प्रकरण एक बार फिर वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर एक प्रतिकूल टिप्पणी है। सरकार के अंदर निर्णय प्रक्रिया क्या अब ठोस आंकड़ों और हकीकत के पारदर्शी अनुमान पर आधारित नहीं रह गई है?

https://jandhara24.com/news/102083/international-yoga-day-many-celebrities-including-home-minister-sahu-mp-saroj-pandey-did-yoga-gave-these-messages/
अगर इस खबर को कौतूहल से लिया गया है, तो उसमें लोगों का दोष नहीं है कि भारत सरकार अब गेहूं के आयात को प्रोत्साहित करने वाली है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी ये खबर चर्चित हुई है कि भारत संभवत: गेहूं आयात पर लगने वाले 40 फीसदी आयात शुल्क को हटा लेगी, ताकि कोराबारी प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर बाहर से गेहूं मंगवा कर देसी बाजार में संभावित कमी को पूरा कर सकें।

इस खबर में कौतूहल इसलिए है, क्योंकि यूक्रेन शुरू होने के बाद इस वर्ष मार्च प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घोष किया था कि भारत पूरी दुनिया को खिला सकने की स्थिति में है। तब अचानक भारत सरकार ने नीति में बड़ा परिवर्तन लाते हुए गेहूं निर्यात की अनुमति दे दी। लेकिन दो महीने के अंदर सरकार को ये अहसास हुआ कि ये कदम भारतीय बाजारों में पहले ही ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति दर को और और ऊपर धकेल सकता है। तो मई में निर्यात पर रोक लगा दी गई।

अब अगस्त में आयात को प्रोत्साहित करने की खबर चर्चित हुई है। वजह देश में गेहूं पैदावार में आई भारी गिरावट है। सरकार और बाजार का ताजा अनुमान है कि इस वर्ष गेहूं की पैदावार पहले लगाए गए अनुमान से बहुत कम रहेगी। इस अनुमान के कारण जुलाई में गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी का ट्रेंड रहा। तो अब आयात को बढ़ावा देकर समस्या का हल निकालने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन ये सारा प्रकरण एक बार फिर वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर एक प्रतिकूल टिप्पणी है।

आखिर सरकार के अंदर निर्णय प्रक्रिया क्या अब ठोस आंकड़ों और हकीकत के पारदर्शी अनुमान पर आधारित नहीं रह गई है? विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि भारत कभी भी गेहूं का बड़ा निर्यात या आयातक नहीं रहा। लेकिन अचानक निर्यातक बनने की कोशिश से अब आयातक बनने को मजबूरी सामने आ गई है।

Metabolism : मेटाबॉल्जिम को तेज करने में मदद कर सकते हैं ये खाद्य पदार्थ, डाइट में करें शामिल

जब विदेशी मुद्रा भंडार में हर हफ्ते गिरावट की खबर आ रही है, तब ये अच्छी खबर नहीं है। बहरहाल, ऐसा लगता है कि नोटबंदी से लेकर जीएसटी के अमल तक में सरकार का जो तदर्थ नजरिया दिखा, उससे वह अपने मुक्त नहीं कर पा रही है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU