Non-Vegetarian : मांसाहार सभ्य मनुष्यों का भोजन नहीं 

Non-Vegetarian :

Non-Vegetarian :  ईश्वर कदापि आज्ञा नहीं देता कि हम उसकी बनाई सृष्टि को नष्ट करें

 

Non-Vegetarian :  पहली बात तो यह है कि हर पशु-पक्षी में आत्मा का वास होता है। ईश्वर यह कदापि आज्ञा नहीं देता कि हम उसकी बनाई सृष्टि को नष्ट करें। हमारे बच्चों को काँटा भी चुभता है तो हम परेशान हो जाते हैं परन्तु उस परमपिता की जिन्दा संतानों को हम मारकर खा जाते हैं। एक मनुष्य को मारने पर आजीवन कारावास की सजा मिलती है तो उन निरीह मूक जीवों को मारने की सजा का क्या प्रावधान है? शायद उनका न्याय उस ईशवर की बड़ी अदालत में होता है।क्येकि वे अपना दर्द बता नही सकते और न ही उनके लिए धरती पर कोई न्यायालय बना है।

Non-Vegetarian :  शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति मांसाहार का सेवन करता हैँ, वो तामसी अपवित्र और पापी व्यक्ति अधोगती अर्थात नरक को प्राप्त होता है।
भोजन के दो प्रकार हैँ, शाकाहार और मांसाहार, शाकाहार मनुष्यो का आहार हैँ और मांसाहार राक्षस, पशु, हिंसक जानवर का आहार हैँ।
मांसाहारी तर्क कर्ते है कि वनस्पतियों में भी तो जीव है। परमात्मा की निर्माण की हुई वनस्पतियों में जीव तो है परन्तु वह सुषुप्ति अवस्था में है।कहा भी जाता है कि घोर अत्याचारी,दुराचारी,व्यभिचारियों को परमात्मा जो उनके कर्मों का फल देता है,वह फल उन्हें सुषुप्ति अवस्था में भोगना पड़ता है।यह योनिया़ अन्धकारमय हैं। वृक्षों के अत्यन्त अन्धकार(तमोगुणी) महा सुषुप्ति,महान नशे में होने से भक्ष्या-भक्ष्य,पाप-पुण्य,हिंसा-अहिंसा से होने वाली पीड़ा उन्हें नहीं होती इसलिए उन्हें काटने से हिंसा नहीं होती,वेद ने वृक्षों के फलों को तथा साग-भाजी,कन्द-मूल आदि को भक्ष्य बताया है अतः उनके खाने में कोई पाप नहीं।

हमारे किसी भी धर्म शास्त्र में माँस खाना नही लिखा न ही हमारा कोई देवी देवता महापुरूष जिन्हें लोग भगवान की तरह पूजते है वे कभी माँस खाते थे।

मनुष्य अगर मांसाहार का सेवन करेगा तो उसे भी राक्षस, कुत्ता ,कव्वा, गिधड़, सिंह, बाघ, लोमडी, सियार, बिल्ली भी कहना पडे़गा क्योंकी, मांसाहार इन्हीं जानवरों का ही तो आहार हैँ।

कुछ माँसाहारी तर्क करते है कि हम धरती पर बैलेंस बना रहे है वरणा धरती पर पशुओं की संख्या बहुत अघिक बढ़ जाएगी। ईश्वर ने अपनी सृष्टि को बैलेंस करने के लिए खुद ही विधान बनाया है कुछ जीव उसने शाकाहारी बनाए हैं और कुछ मांसाहारी जीव बनाए हैं। समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं के माध्यम से जीवों का सामंजस्य बिठा देता है।हमें ईशवर के विधान में दख़लंदाज़ी का कोई अधिकार नही।इस तरह की सोच तो कभी मनुष्यो को भी काट कर खाने लगेगी ताकि धरती पर बैलेंस बनाये रखें क्योकि धरती पर मनुष्यो की संख्या तो बहुत अधिक बड़ चुकी है।

माँसाहारी प्राणी पैदा होते ही आपने स्वभाव से कच्चा माँस खाना अरम्भ कर देते है लेकिन मनुष्य का बच्चा पैदा होने पर दुध पीता है और उसे माँस पका कर खिलाना सिखाया जाता है वे आपनी रूचि से माँस कभी नही खायेगा। मनुष्य के बच्चे के आगे लाल सफ़ेद नीले रंग का माँस रखे साथ सेब केला आम अमरूद आदि फल काट कर रखें बच्चा फलो की तरफ़ अकर्षित होगा न कि माँस की तरफ़। इस से पता चलता है कि शाक फल हमारा अहार ईशवर ने हमारे मूल स्वभाव से ही बनाकर भेजा है। केवल कुछ मिंट के ज़ुबान के स्वाद के लिए हम मसाले डालकर माँस को भोजन बना लेते हैं।

माँसाहारी प्राणियों को दूर से ही माँस की गंध आ जाती है और आपने शिकार को ढूँढ लेते है। लेकिन मनुष्य को फल सब्ज़ी शाकाहार की गंध तो आती है लेकिन कच्चे माँस की गंध नही आती अगर माँस की दुर्गंध आती है तो वे उससे मुँह फेर लेता है।

मांसाहारी प्राणीयो की भोजन नलिका साडे तीन फ़ुट होती है तभी तो वे हड्डी खाने पर भी नही मरते। मनुष्य की भोजन नलिका बाईस फ़ुट और मनुष्य के पेट में गया माँस लम्बी प्रक्रिया से गुज़रने के कारण सड़ान करता है और रोग पैदा करता है।

मांस में तुरन्त सड़ने ख़राब होने की प्रक्रिया अरम्भ हो जाती है शाक सब्ज़ियाँ कई दिन तक सुरक्षित रहती है।किसी घर में मृत्यु हो तो शव को जल्दी शमशान ले जाने की कोशिश करते है ताकि बदबू से घर का वातावरण ख़राब न हो।शव को छूने पर नहाने जाते है लेकिन माँस कई दिनों तक फ्रीज में रखते है और खाते समय भी सोचते नही की इस शव में भी गलने संडने की प्रक्रिया अरम्भ हो चूकी है। इस पशु की लाश को छूने पर नहाना तो दूर अन्दर पेट में डाल लेते है।

शाकाहार हमें अधिक स्वस्थ रखता है। मांसाहार खाने वाले अपेक्षाकृत अधिक रोगी बनते हैं। इस मांसाहार से तामसिक वृत्तियाँ बढ़ती हैं। क्रोध, हिंसा, असहिष्णुता आदि की वृद्धि होती है।

अब विज्ञान ने भी मांसाहार के नुकसान सिद्ध किए हैं।

 

Kisan Vriksha Mitra Yojana : किसान वृक्ष मित्र योजना के तहत वन विभाग बांटेगा पांच लाख पौधे

1. मांसाहारीयो को दिल के दौरे का खतरा 23 गुणा अधिक
2. मालाहार कैलोस्ट्रोल की मात्रा खतरनाक स्तर तक ले जाता है
3. कैंसर के 80 % रोगी मांसाहारी हैं।
4. दुनिया के 95% वैज्ञानिक शाकाहारी हैं
5. दुनिया के 98 % समाजसेवी शाकाहारी हैं।
6. मनुष्य के दाँत शाकाहारी जीवों जैसे हैं।
7. मनुष्य के पेट आंत और लीवर की कार्य प्रणाली शाकाहारी जीवों जैसी है।
8. हर बिमारी के आसार मांसाहार में अधिक पाए जाते हैं।
9. हत्या के समय पशु की चीख पुकार मानसिक रोगो का कारण।जो लोग उच्च रक्तचाप के रोगी है उसका एक कारण माँसाहारी भी है क्योंकि माँस खाने से मन हिंसा बड़ती है जो को अन्दर ही अन्दर से अशांत करती रहती है।
मांस को सुरक्षित रखना ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण है।
10. मांसाहार शाकाहार से 1000 गुणा अधिक पानी बरबाद करता है।
11. मांसाहार हिंसक और स्वार्थी विचार बढ़ाता है।
12. अमेरिका में हर साल 20% लोग शाकाहारी बन रहे हैं।
13. दुनिया में भूख से मरने वाले लोगों को शाकाहार बचा सकता है।
14. धर्म न सही विज्ञान की मानें और शाकाहार अपनाकर स्वस्थ रहें।
अब आप सुधीजन अपनी तर्क की कसौटी पर परखें। रोगों के आ जाने पर तो डाक्टरों के परामर्श से शाकाहार अपनाना ही पड़ता है।डाक्टर कभी भी रोगी को शाकाहार छोड़ने को नही कहते। मांसाहारी जवाब दें क्या ज़रा सा जुबान तक के स्वाद के लिए वे पापों की सजा व रोगों को भोगने को तैयार हैं ??

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU