Nitish can give life to Congress कांग्रेस को संजीवनी दिला सकते हैं नीतीश

Nitish can give life to Congress

Nitish can give life to Congress नीतीश बचा सकते हैं कांग्रेस को

Nitish can give life to Congress
Nitish can give life to Congress कांग्रेस को संजीवनी दिला सकते हैं नीतीश

Nitish can give life to Congress बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके विरोधी भी बहुत होशियार राजनेता मानते हैं। पिछले करीब ढाई दशक से वे सत्ता में हैं और अब तक बहुत सुरक्षित और सधा हुआ दांव खेलते रहे हैं। पहली बार उन्होंने अपने को इतने बड़े दांव पर लगाया है।

विपक्षी एकजुटता का दांव उनके कौशल की परीक्षा है। उनका पहला लक्ष्य भाजपा को रोकना दिख रहा है लेकिन उनके इस प्रयास का फायदा कांग्रेस को हो सकता है। नीतीश को इस बात का अंदाजा है। ध्यान रहे बिल्कुल हाशिए पर पहुंच गई कांग्रेस को बिहार में 2015 के चुनाव में नीतीश के कारण ही संजीवनी मिली थी। इस बार फिर कांग्रेस को संजीवनी दिला सकते हैं नीतीश।

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Nitish can give life to Congress  उन्होंने नई दिल्ली में राहुल गांधी से मिल कर साफ कर दिया है कि वे भाजपा विरोधी मोर्चा कांग्रेस के बगैर नहीं बन सकता है। राहुल से मिलने के बाद नीतीश जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से मिले और दिल्ली आने से पहले के चंद्रशेखर राव उनसे मिलने पटना गए थे। ये दो ऐसे राज्य हैं, जहां अगर नीतीश कुमार दोनों प्रादेशिक पार्टियों के साथ कांग्रेस का तालमेल करा देते हैं तो कांग्रेस को बहुत बड़ा फायदा हो सकता है।

Nitish can give life to Congress  कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की साझा सरकार थी, जिसे भाजपा ने गिरा दिया। अगर नीतीश के प्रयास से दोनों पार्टियां साथ मिल कर लडऩे को तैयार हो जाती हैं तो अगले साल मई में कर्नाटक में फिर उनकी साझा सरकार बन सकती है और 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों की सीटें बढ़ जाएंगी।

राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस और जेडीएस दोनों को सिर्फ एक-एक सीट मिली है। वहां बड़ा उलटफेर हो सकता है। इसी तरह तेलंगाना की 17 में से कांग्रेस को सिर्फ तीन सीट मिली है। वहां भी अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। टीआरएस और कांग्रेस के मिल कर लडऩे पर भाजपा को ध्रुवीकरण का मौका मिलेगा। लेकिन अगर दोनों के बीच सीटों का रणनीतिक तालमेल होता है तो उसका फायदा हो सकता है।

Reality check required रियलिटी चेक जरूरी है
नीतीश कुमार के प्रति विपक्षी नेताओं का जो सद्भाव है उसका इस्तेमाल कर अगर वे कुछ और राज्यों में कांग्रेस और प्रादेशिक पार्टियों के बीच तालमेल बनवाते हैं तो उसका बड़ा लाभ कांग्रेस को होगा। ऐसे दो राज्य हैं- उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। अखिलेश यादव अभी कांग्रेस से बहुत नाराज हैं। लेकिन उनको भी पता है कि वे अकेले भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकते हैं।

सपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन हो तो तीनों पार्टियों को फायदा हो सकता है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के दो सांसद हैं और लेफ्ट का एक भी सांसद नहीं है। अगर नीतीश ममता बनर्जी को कांग्रेस के रणनीतिक तौर पर सीटों के एडजस्टमेंट के लिए तैयार करते हैं तो कांग्रेस को उसका भी फायदा होगा।

महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कांग्रेस के पास सहयोगी है। जहां तक आम आदमी पार्टी की बात है तो उसे गठबंधन में लाना संभव नहीं लग रहा है।

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