राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन में विश्व शांति एवं बंधुत्व मैत्री के लिए हुई विभिन्न भाषाओं में सुत्त पठन ... भिक्खु धम्मतप
जनधारा समाचार |
राजनांदगांव। शिवनाथ नदी तट के किनारे तपोभूमि ऑक्सीजोन मोहारा भंवरमरा में बुध्द रूप के तृतीय स्थापना दिवस व डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के प्रथम शाला प्रवेश के अवसर पर आयोजित “राज्य स्तरीय बौध्द धम्म सम्मेलन” में भारत देश के अनेक राज्यों से विख्यात विद्वान बौद्ध भिक्खु संघ ने शिरकत किया । कार्यक्रम के आयोजक पूज्य भदन्त धम्मतप, अध्यक्ष मेत्ता संघ राजनांदगांव के मार्गदर्शन में भिक्खु संघ द्वारा बुद्ध सरणं गच्छामि, धम्मं सरणं गच्छामि व संघं सरणं गच्छामि की मधुर धुन पर पैदल मार्च कर रहे भिक्खु संघ के चरणों में पुष्प अर्पित किया गया | पूज्य भदन्त धम्मतप जी राजनांदगांव* के द्वारा जापानी भाषा में सुत्त पठन कर हजारों की संख्या में उपस्थित उपासक - उपासिकाओं को त्रिसरण - पंचशील प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भिक्खु संघ का पुष्प माला से स्वागत किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भिक्खु धम्मतप ने कहा कि अकुशल व कुशल व्यक्ति के भीतर ही होता है बहार नहीं, उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बुद्ध कहते है मानव जैसा सोचता है वैसा बन जाता है आप अच्छा सोचोंगे अच्छे बन जाओंगे, आप बुरा सोचोंगे बुरे बन जाओंगे, बुद्ध का धम्म अच्छे बनने का मार्ग दिखाता है, हमने बुद्ध के दिखाये मार्ग के अनुरूप जीवन जीना चाहिए तभी विश्व में बंधुत्व, मैत्री एवं शांति स्थापित हो सकती है।
इस दौरान राजनांदगांव के पूर्व लोकसभा सांसद मधुसूदन यादव ने कहा कि ’मैं वचन देने आया हूँ ...’ अच्छे कार्य में बाधाएँ आती है आने दें घबरायें नहीं, चिंता ना करें जो कुछ भी होता है अच्छे के लिये ही होता है, तथागत गौतम बुद्ध जी ने जब ज्ञान प्राप्त किया तो उससे पहले भी और उसके बाद में भी हजारों बाधाएँ आयी लेकिन आज पूरे विश्व में उनकी शिक्षा को पहुंचने से कोई नहीं रोक पाया तो आगे कोई कैसे रोक पायेगा | साथ ही ग्वालियर से पधारे पूज्य भदन्त सद्धातिस्स ने धम्मदेशना से प्रेरित होकर मैं भविष्य में यह प्रयास करूँगा की फुल - माला और मंच - मान सम्मान की ज्यादा अपेक्षा ना करते हुये जनता की सेवा व उनकी मदद करता रहू। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर महापौर हेमा देशमुख ने कहा कि जो कुछ भी हम है डॉ. भीमराव आम्बेडकर के कारण ही संभव हो पाया है, हमें हमेशा बुद्ध के शांति के मार्ग को अपनाने की आवश्यकता है। इस दौरान आयु. एस. के पासवान ने चक्रवर्ती सम्राट अशोक के जीवन पर प्रकाश डाले। विशिष्ट अतिथि दिलीप वासनीकर दुर्ग, बी. एस. जागृत रायपुर, सुनील रामटेके भिलाई, अनिल मेश्राम भिलाई उपस्थित थे। संदीप कोल्हाटकर, संतोष बौद्ध, कन्हैयालाल खोब्रागड़, कुणाल बोरकर, संजय हुमने, सागर रामटेके, शुभम रावत, राजू बारमाटे, दयानंद रामटेके, शशि श्यामकुवर, विनोद सावरकर, अविनाश खोब्रागडे़, आयु. नंदा मेश्राम, आयु. बुद्धिमित्रा वासनिक, डॉ. विजय उके, डॉ. पन्नालाल वासनिक, भोलाराम भोईर आदि। निःशुल्क मेडिकल शिविर हेतु डॉ. दीवाकर रंगारी, डॉ. उदय कुमार धाबर्डे, डॉ. सतीश मेश्राम, नरेश चन्द्र लांगे आदि डॉक्टरों का सहयोग रहा। भीमराव रामटेके पनेका एवं सम्पूर्ण समितियों के पदाधिकारियों का विशेष तौर पर सहयोग रहा। एवं पांच हजार से अधिक संख्या में बौध्द अनुयायी उपस्थित हुये।