भुवनेश्वर प्रसाद साहू
Martyr Veer Narayan Singh 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के वर्तमान जयस्तंभ चौक पर फांसी दे दी गई थी !
कसडोल समाचार
Martyr Veer Narayan Singh बलौदाबाजार ! वर्तमान में बलौदाबाजार जिला कसडोल विकासखंड के अंतिम छोर में बसे ग्राम सोनाखान के वीर नारायण सिंह बिंझवार ( 1795 से 1857 ) छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक सच्चे देशभक्त व गरीबों के मसीहा थे ! सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय उन्होंने जेल से भागकर अंग्रेजों से लोहा लिया था जिसमें वह गिरफ्तार कर लिए गए थे !
https://jandhara24.com/news/125586/another-naxalite-conspiracy-foiled-breaking-15-kg-ied-destroyed/
Martyr Veer Narayan Singh 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के वर्तमान जयस्तंभ चौक पर फांसी दे दी गई थी !
शहीद वीर नारायण सिंह को शत-शत प्रणाम
आदिवासियों के शेर कहे जाने वाले अमर शहीद वीर नारायण सिंह को राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा प्राप्त है ! देश की आजादी के लिए अपनी जान देने वाले शहीद वीर नारायण सिंह जमींदार परिवार में जन्मे थे ! चाहते तो अंग्रेजों के राज में भी , आराम की जिंदगी जी सकते थे लेकिन उन्होंने आजादी को चुना !
Martyr Veer Narayan Singh अंग्रेजों से बगावत की , आज रायपुर के उनकी शहादत स्थल पर जयस्तम्भ नाम का स्मारक बनवाया गया है जो सालों से शहर की विभिन्न गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है !
Martyr Veer Narayan Singh वीर नारायण सिंह पिता की निडरता और देशभक्ति को देखते हुए बड़े हुए ! पिता के मृत्यु के बाद 1830 में वे सोनाखान के जमींदार बने ! स्वभाव से परोपकारी , न्याय प्रिय तथा कर्मठ वीर नारायण सिंह जल्द ही लोगों के प्रिय जननायक बन गये !
सन् 1854 में अंग्रेजों ने नए ढंग से टकोली कानून लागू की ! जिसके विरोध में आवाज उठाने के कारण रायपुर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर इलियट उनके घोर विरोधी हो गए !
व्यापारी का अनाज गरीबों में बंटवा दिया
Martyr Veer Narayan Singh सन 1856 में छत्तीसगढ़ में सूखा पड़ गया ! अकाल और अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कानून के कारण क्षेत्रवासी भूखमरी के शिकार होने लगे ! लेकिन कसडोल के व्यापारी सेठ माखन का गोदाम अन्न से भरा था ! वीर नारायण सिंह ने उसे अनाज को गरीबों में बांटने को कहा , लेकिन वह तैयार नहीं हुए !
इसके बाद वीर नारायण सिंह ने व्यापारी सेठ माखन के गोदाम के ताले तोड़ दिए और अनाज को गोदाम से निकालकर गरीबों में बंटवा दिया !
व्यापारी सेठ माखन ने ब्रिटिश शासन से वीर नारायण सिंह के इस कार्य की शिकायत की ! उसके इस कदम से नाराज होकर ब्रिटिश शासन ने 24 अक्टूबर 1856 को वीर नारायण सिंह को गिरफ्तार कर रायपुर की जेल में बंद कर दिया ! तो क्षेत्र के लोगों ने जेल में बंद वीर नारायण सिंह को अपना नेता मान लिया और स्वतंत्रता संग्राम के समर में शामिल हो गए !
वीर नारायण सिंह के साथ सोनाखान और आस-पास के गांवों की जनता ने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ बगावत करने की ठान ली !
Martyr Veer Narayan Singh जेल से भागकर अंग्रेजों से लोहा लिया , फिर सरेंडर कर दिया !
सन् 1857 को सैनिकों और समर्थकों की मदद से वीर नारायण सिंह जेल से भाग निकले और अपने गांव सोनाखान आ पहुंचे ! यहां करीब 500 बंदूकधारियों की सेना बनाकर अंग्रेजी सैनिकों से मुठभेड़ की ! इसी बगावत से चिढ़कर अंग्रेजी सरकार ने जनता पर अत्याचार बढ़ा दिया !
वीर नारायण सिंह अपने लोगों को अंग्रेजों के अत्याचार से बचाने के लिए ब्रिटिश शासन के समक्ष सरेंडर कर दिया !
रायपुर के जयस्तंभ चौक में दी गई फांसी!
इसके बाद अंग्रेजों ने रायपुर के जयस्तंभ चौक पर आम नागरिकों के सामने वीर नारायण सिंह को 10 दिसंबर सन् 1857 में फांसी दे दी ! वीर नारायण सिंह की बहादुरी से अंग्रेजों का छत्तीसगढ़ में कब्जा करने का सपना टूट गया ! बाद में वीर नारायण सिंह की जनता में लोकप्रियता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उसके शव को तोप के आगे बांधकर उड़ा दिया !
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