Martyr jawan : 38 साल बाद मिला शहीद जवान का शव
नैनीताल ! दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्र सियाचिन से 38 साल बाद उत्तराखंड के एक जवान का शव बरामद हुआ है। सेना की ओर से रविवार को इसकी जानकारी हल्द्वानी में रह रहे शहीद की पत्नी व परिजनों को दी गयी। लंबे समय बाद एक बार फिर परिजनों के घाव फिर हरे हो गये।
उपजिलाधिकारी मनीष कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला सेना की 19 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात थे। वर्ष 1984 में वह सियाचिन में तैनात थे। बताया जाता है कि उनके दल को पाकिस्तान सेना के खिलाफ मेघदूत आपरेशन की जिम्मेदारी दी गयी।
एक अधिकारी समेत कुल 17 जवानों का एक दल साजो सामान के साथ खेरू से सियाचिन के लिये पैदल रवाना हुआ। इसी बीच पूरा दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया और लापता हो गया। सेना ने कुछ समय बाद सभी शहीदों के शव बरामद कर लिये थे लेकिन लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का कोई पता नहीं चल पाया। वह तभी से लापता थे।
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इतने साल बाद परिजनों को भी उनके बचने की उम्मीद नहीं रह गयी थी। इसी दौरान सेना ने उनका शव बरामद कर लिया। 19 कुमाऊं रेजीमेंट के एक अधिकारी व रिकार्ड आफिसर की ओर शहीद की धर्मपत्नी शांति देवी से संपर्क किया गया और इसकी जानकारी उन्हें दी गयी।
साथ ही पुष्टि के लिये शहीद के बैंच नंबर की जानकारी ली गयी। इस सूचना के बाद शहीद के परिजन एक बार फिर व्याकुल हो गये। उप जिलाधिकारी मनीष कुमार भी रविवार को शहीद के परिजनों से मिले और शोक संवेदना व्यक्त की। श्री कुमार ने बताया कि शव को हल्द्वानी लाने की प्रक्रिया की जा रही है। माना जा रहा है कि मंगलवार तक शव हल्द्वानी लाया जा सकेगा।
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बताया जा रहा है कि शहीद हरबोला मूल रूप से कुमाऊं के अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत के बिंता गांव के निवासी हैं। वह 1971 में कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। शहीद की धर्मपत्नी शांति देवी वर्तमान में अपनी सुपुत्री के साथ हल्द्वानी के सरस्वती विहार में रहती हैं।