Mamata’s politics ममता की राजनीति क्या है?
Mamata’s politics कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक पर पीता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसा ही कुछ कर रही हैं। पिछले राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ उनका जैसा अनुभव रहा उसे देखते हुए उन्होंने राज्य के कार्यकारी राज्यपाल ला गणेश के साथ संबंध सुधार शुरू कर दिया है। गणेश भी पूर्णकालिक राज्यपाल नहीं होने की वजह से वे भी ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। उनको मणिपुर और पश्चिम बंगाल दोनों साथ साथ देखने हैं और दूसरे वे अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु में भी समय देते हैं। सो, जुलाई में उनके कार्यवाहक राज्यपाल बनने के बाद सरकार और राजभवन के बीच सद्भाव दिख रहा है।
यह सद्भाव इतना है कि ममता बनर्जी, जो केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के लिए दिल्ली आने से भी परहेज करती हैं वे राज्यपाल ला गणेश के बड़े भाई के जन्मदिन के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए चेन्नई चली गईं। अब सवाल है कि इससे वे क्या मैसेज देना चाहती हैं? क्या कार्यवाहक राज्यपाल के साथ संबंध सुधार से उनकी पार्टी को केंद्रीय एजेंसियों से राहत मिल जाएगी?
या यह किसी सौदेबाजी का हिस्सा है, जिसके आरोप पिछले कुछ दिनों से लग रहे हैं? ध्यान रहे ममता बनर्जी ने पिछले दिनों भाजपा पर हमला कर दिया है और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की भी तारीफ की थी। सो, उनकी राजनीति ने विपक्षी पार्टियों को कन्फ्यूज किया है। वे विपक्षी पार्टियों से भी दूरी बना कर चल रही हैं। ऐसा लग रहा है कि वे अपने राज्य में हिंदू मतदाताओं को पूरी तरह से अपने खिलाफ होने से रोकने की राजनीति कर रही हैं तो साथ ही केंद्रीय एजेंसियों से कुछ राहत हासिल करने के प्रयास भी कर रही हैं।