(Makar Sankranti) तिलकुट से गुलजार हुआ गया का बाजार

(Makar Sankranti)

(Makar Sankranti) मकर संक्रांति के दिन तिलकुट खाने और दान करने की पौराणिक परंपरा

(Makar Sankranti) गया !  मकर संक्रांति को लेकर बिहार में गया का बाजार तिलकुट से गुलजार हो गया है। मुख्य रूप से शहर के रमना रोड और टिकारी रोड में तिलकुट की दुकानें सजी हुई हैं, जहां लोग बड़े पैमाने पर खरीददारी कर रहे हैं। वैसे तो गया शहर में सालों भर तिलकुट का व्यवसाय होता है लेकिन मकर संक्रांति के दिन तिलकुट खाने और दान करने की पौराणिक परंपरा है।

इसे लेकर शहरवासी बड़े पैमाने पर तिलकुट की खरीददारी कर रहे हैं। टिकारी रोड और रमना रोड मुहल्ला स्थित तिलकुट की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।

(Makar Sankranti) वहीं, तिलकुट की बिक्री भी बड़े पैमाने पर हो रही है, हालांकि महंगाई के कारण तिलकुट की बिक्री पर इसका खासा असर पड़ा है। खोया का तिलकुट 400 रुपये प्रति किलो, गुड़ का तिलकुट 320 रुपये प्रति किलो एवं अन्य तरह के तिलकुट की बिक्री 300 रुपये प्रति किलो की दर से हो रही है। इसके बावजूद लोग बढ़-चढ़कर तिलकुट की खरीददारी कर रहे हैं।

चारों ओर तिलकुट कूटने की धम-धम की आवाज और तिल भूंजने की सोंधी महक से गया शहर का खुशबूदार हो गया है। नवंबर से लेकर फरवरी के बसंत पंचमी तक गया शहर में तिलकुट का कारोबार परवान पर होता है। एक आंकड़े के अनुसार नवंबर से फरवरी तक इन चार महीनों में तिलकुट का व्यापार लगभग 50 करोड़ रुपए का होता है।

(Makar Sankranti) तिलकुट बनाने वाले दुकानदार श्रीनंदन कुमार गुप्ता ने बताया की गया की जलवायु तिलकुट निर्माण के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यही वजह है कि गया में निर्मित तिलकुट का स्वाद अन्य जगहों पर बनने वाले तिलकुट से अलग होता है। वैसे तो अब तिलकुट का निर्माण गया के अलावा देश के अन्य राज्यों एवं शहरों में किया जाने लगा है लेकिन गया की आबो-हवा में निर्मित तिलकुट का स्वाद निराला होता है।

गया में तिलकुट कई प्रकार के बनाए जाते हैं जैसे खोवा का तिलकुट, गुड़ का तिलकुट, ड्राई फूड का तिलकुट, चीनी का तिलकुट। इसके अलावा तिल से भी कई व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे तिलवा, तिल पापड़ी, रेवड़ी मस्का, बादाम पट्टी आदि।

आयुर्वेद और चिकित्सीय सलाह की मानें तो जाड़े के दिनों में तिल की तासीर गर्म होती है। तिलकुट खाने से पेट की बीमारियां दूर होती है। घुटनों या जोड़ों में दर्द के लिये भी तिल से बने व्यंजन बहुत ही फायदेमंद होते हैं।

मकर संक्रांति पर्व पर चूड़ा, दही और तिलकुट का सेवन किया जाता है। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन परिवार की सुख, समृद्धि शांति के लिए तिल दान का भी प्रावधान है। वैसे तो महंगाई का असर तिलकुट पर पड़ा है फिर भी लोग अपनी जरूरत के हिसाब से तिलकुट की खरीददारी कर रहे हैं।

तिलकुट व्यवसाय से जुड़े लोग भी इस उद्योग को पेटेंट करवाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि गया में निर्मित तिलकुट का स्वाद अन्य जगहों पर बने तिलकुट से बेहतर माना जाता है। यही वजह है कि तिलकुट की बिक्री देश के विभिन्न राज्यों के अलावा जापान, अमेरिका, सिंगापुर, नेपाल जैसे देशों में भी की जाती है।

उन्होंने बताया कि तिलकुट का निर्माण चीनी को एक तार की चाशनी बनाने के बाद ठंडा कर उसे लट द्वारा बनाया जाता है। उसके बाद तिल को गर्म कर सोंधा होने तक भूंजा जाता है। तिल में चीनी और गुड़ के लट में कूट-कूट कर खस्ता बनाया जाता है। बेहतर तिलकुट निर्माण के लिए चीनी का कम और तिल का ज्यादा उपयोग किया जाता है।

तिलकुट खरीदने वाले खरीददार दिलीप कुमार सिकंदर ने बताया कि मकर संक्रांति पर तिलकुट खाने की पौराणिक परंपरा रही है। यही वजह है कि परिवार एवं रिश्तेदारों के लिए तिलकुट खरीद रहे हैं, वैसे तो महंगाई के कारण तिलकुट ज्यादा कीमत पर बिक रहा है इसलिए इसकी खरीददारी कम कर रहे हैं।

पहले जिन रिश्तेदारों को दो किलो तिलकुट भेजते थे, उन्हें अब आधा किलो या एक किलो तिलकुट ही भेज पा रहे हैं। तिलकुट खाने से शरीर स्वस्थ रहता है.

स्थानीय निवासी संतोष ठाकुर ने बताया कि मकर संक्रांति के पर्व पर तिल खाने से कई तरह के शारीरिक फायदे होते हैं। पेट साफ रहता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, इस दिन तिल खाने की पुरानी परंपरा है इसलिए वह परिवार के लिए तिलकुट की खरीददारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई का असर भी तिलकुट की खरीदारी पर पड़ा है, इसलिए पहले जहां वह ज्यादा खरीददारी करते थे वहीं अब कम मात्रा में खरीद रहे हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU