Ganga Dussehra माँ गंगा दशहरा पर्व : भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने गंगा माँ को अपने जटाओं में धारण किया

Ganga Dussehra

Ganga Dussehra माँ गंगा दशहरा पर्व : भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने गंगा माँ को अपने जटाओं में धारण किया

 

Ganga Dussehra आज गंगा दशहरा पर्व है। संसार की सबसे पवित्र नदी है गंगा। माँ गंगा के निर्मल जल पर लगातार हुए शोधों से भी विज्ञान की हर कसौटी पर भी खरा उतरा है गंगाजल । विज्ञान भी मानता है कि गंगाजल में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है जिस कारण इसका जल हमेशा पवित्र रहता है। यह सत्य भी विश्वव्यापी है कि माँ गंगा नदी  में एक डुबकी लगाने से लगभग सभी पाप धुल जाते हैं। हिन्दू धर्म में तो गंगा को देवी माँ का दर्जा दिया गया है। यह माना जाता है कि आज ही के दिन माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।

Ganga Dussehra इस दिन यदि संभव हो तो गंगा मैया के दर्शन कर उनके पवित्र जल में स्नान करें अन्यथा स्वच्छ जल में ही मां गंगा को स्मरण करते हुए स्नान करें यदि गंगाजल  हो तो थोड़ा उसे भी पानी में मिला लें। स्नानादि के पश्चात मां गंगा की प्रतिमा की पूजा  करें। इनके साथ राजा भागीरथ और हिमालय देव की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

माँ गंगा पूजा के समय प्रभु शिव  की आराधना विशेष रूप से करनी चाहिए क्योंकि भगवान शिव ने ही गंगा जी के वेग को अपनी जटाओं पर धारण किया। पुराणों के अनुसार राजा भागीरथ ने माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने तथा गंगा जल से अपने पूर्वजों के उद्धार हेतु बहुत तपस्या की थी। भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर माँ गंगा ने भागीरथ की प्रार्थना स्वीकार 🙌🏻 की किन्तु गंगा मैया ने भागीरथ से कहा – “पृथ्वी पर अवतरण के समय मेरे वेग को रोकने वाला कोई चाहिए अन्यथा मैं धरातल को फाड़ कर रसातल में चली जाऊँगी और ऐसे में पृथ्वीवासी  अपने पाप कैसे धो पाएंगे। राजा भागीरथ ने माँ गंगा की बात सुनकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने गंगा माँ को अपने जटाओं में धारण 💫 किया तथा अपनी एक जटा खोल दी। पृथ्वी पर अवतरण से पूर्व माँ गंगा ब्रहमदेव के कमंडल में विराजमान थी अतः गंगा मैया पृथ्वी पर स्वर्ग की पवित्रता साथ लेकर आई थी। इस पावन अवसर  पर श्रद्धालुओं को माँ गंगा की पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य भी करना चाहिए। सत्तू, मटका , फल, मीठा जल और हाथ का पंखा इत्यादि दान करने से दुगुने फल की प्राप्ति होती है।

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