Local vs Global लोकल बनाम ग्लोबल

Local vs Global

Local vs Global लोकल बनाम ग्लोबल

Local vs Global दरअसल, यह तो सरकार से ही पूछा जाएगा कि उसके आठ साल के शासनकाल के बाद भी भारतीय उद्योग जगत आत्म निर्भर भारत बनाने की उसकी परियोजना में सक्रिय भागीदारी क्यों नहीं निभा रहा है?

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Local vs Global पहले वित्त मंत्री और अब वाणिज्य मंत्री के बयानों से यह साफ है कि नरेंद्र मोदी सरकार देसी उद्योगपतियों से खुश नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने इस बात पर कौतूहल जताया था कि उद्योगपति निवेश क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों की तुलना भगवान हनुमान से की और कहा कि उन्हें अब अपनी शक्ति याद दिलाए जाने की जरूरत है।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मुक्त व्यापार समझौतों के प्रति उद्योगपतियों के विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि जहां दुनिया का भारत की ताकत में भरोसा है, वहीं उद्योगपति संशय से भरे हुए हैं। निहितार्थ यह कि भारतीय उद्योगपति निवेश बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं और उन्हें नहीं लगता कि मुक्त व्यापार समझौतों के बाद वे विभिन्न देशों से आने वाली प्रतिस्पर्धा में टिक पाएंगे। मुमकिन है कि इसका कारण उद्योगपतियों का स्वार्थ या जैसाकि गोयल ने कहा कि उनका पुराने जमाने की संरक्षणवादी मानसिकता से ग्रस्त होना हो।

लेकिन अधिक संभव यह है कि इसका कारण स्थानीय हकीकत से उनका बेहतर परिचित होना हो। उद्योग जगत की लंबे समय से यह शिकायत है कि भारतीय बाजार में घटते उपभोग के कारण मांग गायब है। क्या यह सच नहीं है? और जब मांग नहीं है, तो उद्योगपति आखिर किसके लिए उत्पादन बढ़ाएंगे? निर्यात की परिस्थितियां भी उन्हें अपने अनुकूल मालूम नहीं पड़तीं।

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असल में सीतारमन और गोयल को आत्म निरीक्षण कर अपनी सरकार के दुस्साहसी फैसलों के नतीजों पर गौर करना चाहिए। नोटबंदी, दोषपूर्ण जीएसटी और औचक लॉकडाउन जैसे निर्णय आखिर किसने लिए, जिनकी वजह से भारतीय उपभोक्ताओं की कमर टूट गई? उद्योग जगत कम से कम दो साल से मांग कर रहा है कि सरकार मांग बढ़ाने के उपाय करे। इसके लिए लोगों को सीधे नकदी हस्तांतरण की मांग भी की गई है।

लेकिन सरकार कुछ सफल उद्योगपतियों को और सफल बना कर अर्थव्यवस्था को उनके जरिए आगे बढ़ाने की नीति पर चल रही है। ऐसे में वास्तविक आर्थिक विकास का आधार ही कमजोर हो गया है। इसके बीच उद्योगपतियों को फटकार लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा, बल्कि इसे मंत्रियों के अपने असंतोष की अभिव्यक्ति ही माना जाएगा।

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