(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple) श्रद्धा, मनोरंजन व रोजगार का संगम है गोरखनाथ मंदिर का खिचड़ी मेला

(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple)

(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple) विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति से शुरू

 

(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple) गोरखपुर !  उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति से शुरू होकर माह भर चलने वाला खिचड़ी मेला बेमिसाल है और यह मेला श्रद्धाए मनोरंजन और रोजगार का संगम भी है।

(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple) पूरी प्रकृति में ऊर्जा और जीवन का संचार करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की त्रेतायुगीन यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है।

मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचाए खाली हाथ नहीं लौटा। ठीक वैसे ही जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता।

(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple) गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार में पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं।

उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे । राप्ती और रोहिन के तट पर जंगलों में बसे इस स्थान पर धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न ;चावल, दाल दान करते रहे।

इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरानुसार शिवावतारी गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाकर समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना करते हैं।

उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ.साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन भोर में चार बजे सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित करते हैं। इसके बाद नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ाई जाती है।

इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में निवेदित होनी शुरू हो जाती है। खिचड़ी महापर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सज धजकर तैयार हो रहा है।

यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला एक दिन पूर्व ही प्रारम्भ हो जाता है। मंदिर प्रबंधन की तरफ से उनके ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरा इंतज़ाम किया जाता है।

गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान सबकी दुकानें हैं। यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है।

यही नहीं मंदिर परिसर में माहभर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति.धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है।

मंदिर परिसर में नियमित रोजगार करने वालों से लेकर मेला में दुकान लगाने वालों तक बड़ी भागीदारी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की होती है। उन्होंने कभी कोई भेदभाव महसूस नहीं किया बल्कि अपनेपन के भाव से विभोर होते रहते हैं।

मेले में खरीदारी से लेकर मनोरंजन के साधनों तक भरपूर इंतज़ाम होता है। तरह.तरह के झूले और करतब देखकर बच्चों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता।

(Khichdi Fair of Gorakhnath Temple) गोरक्षपीठ के प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी के अनुसार शिवावावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर्व ;खिचड़ी, 15 जनवरी, 2023 ;रविवार को मनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि माघ मास, कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि के ब्रह्म मुहूर्त मे 03 बजकर 02 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करेंगे।

बताया जाता है कि इस पर्व पर ऊनी वस्त्र, तेल, घी, तिल और गुड़ आदि द्रव्यों का दान करना श्रेयस्कर होता है।

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