Kharsia News : जीवन में गरीबी होना अलग बात है दरिद्र होना अलग बात है कोई धनवान भी गरीब हो सकता है

Kharsia News : जीवन में गरीबी होना अलग बात है दरिद्र होना अलग बात है कोई धनवान भी गरीब हो सकता है

Kharsia News : जीवन में गरीबी होना अलग बात है दरिद्र होना अलग बात है कोई धनवान भी गरीब हो सकता है

 

ब्राह्मण दान देने का अधिकारी तो है परंतु भीख मांगने का नहीं

Kharsia News : खरसिया-भागवत कथा के सप्तम दिन व्यासपीठ पर प्रवचन करते हुए अतुल कृष्ण भारद्वाज द्वारा भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान सप्तम दिन सभी श्रद्धालुओं के समक्ष भामाशुर के विषय में कथा प्रारंभ करते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने भामाशाह सुर राक्षस द्वारा अपहृत की गई 16100 कन्याओं को युद्ध करके छुड़ाया समाज द्वारा उनका

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Kharsia News : तिरस्कार ना हो इसलिए स्वयं भगवान उसका अपने साथ विवाह किया भगवान श्री कृष्ण से बड़ा दयालु और कौन होगा जिनको दुनिया वाले त्याग देते हैं उसको स्वयं भगवान की शरण में जाना चाहिए भगवान स्वयं उसका वरन कर लेते हैं
आगे कथा व्यास में कहा सुदामा ब्राह्मण परंतु दरिद्र नहीं है जीवन में गरीबी होना अलग बात है दरिद्र होना अलग बात है कोई धनवान भी दरिद्र हो सकता है ब्राह्मण दान देने का अधिकारी तो है परंतु भीख मांगने का नहीं गरीबी होने पर सुदामा जी भी नहीं मांगते पूजा पाठ एवं कथा में जो आ जाए उसी को भागवत कृपा मानकर स्वीकार कर लेते हैं

लेकिन प्रसन्न रहते हैं सुदामा संतोषी है वह भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए गए और श्रीकृष्ण ने उन्हें आसन पर बैठाया चरणों में बैठ गए भगवान खूब रोए स्वागत ब्राह्मण का है कोई दरिद्र का नहीं है समाज को सुदामा से प्रेरणा लेनी चाहिए कि गरीबी हो या अमीरी भगवान का प्रसाद समझकर जीवन जीना चाहिए

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कथा व्यास ने कहा कि दत्तात्रेय के 24 गुरु थे उनका वर्णन करके बहुत ही सरल ढंग से समझाया कि छोटे-छोटे जीव का सम्मान करके उसमें परमात्मा का दर्शन करें प्रत्येक पशु पक्षी भी जीवन में मार्गदर्शक हो सकते हैं उनमें सीख लेनी चाहिए भगवान श्री कृष्ण का परिवार बहुत बड़ा हो गया उनके आग्रह पर पित्र आत्मा की शांति के लिए पूरे

परिवार को भीतर तर्पण हेतु सोमनाथ गए जहां तर्पण पश्चात भोग प्रसादी के समय परिवार के सदस्य मदिरापान करने को कहे परंतु भगवान श्री कृष्ण के बहुत मना करने पर भी नहीं माने और सभी ने मदिरापान किया और फिर नशे में आपस में लड़ बैठे देखते ही देखते भयंकर युद्ध होने लगा परिणाम स्वरूप पूरा परिवार नष्ट हो गया

अंत में परीक्षित के मोक्ष का वर्णन बड़े ही मार्मिक ढंग से किया मृत्यु उसे कहते हैं जब शरीर शांत हो जाए मुक्ति माया क्या है भ्रम जो दिख रहा है वह सत्य लगता है यह भी भ्रम है शरीर सब कुछ है यह भी भ्रम है नष्ट होने वाली वस्तुएं सारस्वत तो हैं यह भी भ्रम है मकान ज्यादा मेरा तेरा भ्रम है रिश्ते नाते सत्य हैं यदि धर्म है यही तो माया है मैं मेरा तू

तेरा जो व्यक्ति किस से अलग होकर श्याम को देखता है उसका धर्म तो मिटाना है लेकिन यह सत्य है के नजदीक पहुंच जाता है और सत्य वह है जो भगवान कह रहे हैं जो मुझसे अलग है मुझ से भिन्न है वही माया है और जो मुझ में रमा है उसमें जुड़ा है मुझे पाता है

भागवत कथा के सप्तम दिन आज भागवत प्रवचन करते हुए श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज द्वारा मार्मिक आध्यात्मिक बात को सुनते हुए लोग गदगद हो गए हरिराम सुल्तानिया परिवार द्वारा करवाए गए इस भागवत कथा से लोक धन्य हुए और उनके इस कथा करवाने पर उन्हें धन्यवाद दिया गया।

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