Kaushalendra Rao Law College : नवीन भारतीय न्याय संहिता, दंड से न्याय की ओर एक बड़ा कदम

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Kaushalendra Rao Law College : नवीन भारतीय न्याय संहिता, दंड से न्याय की ओर एक बड़ा कदम

Kaushalendra Rao Law College : बिलासपुर। कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.सतीश तिवारी बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में 511 धाराएं हैं, जिन्हें भारतीय न्याय संहिता से बदला जा रहा है। इसमें 358 धाराएं होंगी। विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और 19 धाराओं को हटा दिया गया है। इनमें से 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है, जबकि 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है।

23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है। इसी तरह से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (531 धाराओं के साथ) सीआरपीसी की जगह लेगी। बिल में कुल 177 प्रविधानों को बदला गया है और इसमें नौ नई धाराएं और 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं। भारतीय साक्षक्ष्य अधिनियम में मूल 167 के स्थान पर 170 प्रविधान होंगे। दो नए प्रविधान और छह उपप्रविधान जोड़े गए हैं और छह प्रविधानों को हटाया गया है।

Kaushalendra Rao Law College : जन-जन तक पहुंचे पुलिस अधीक्षक

पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह नए कानून को लेकर लगातार जन-जन तक पहुंच रहे हैं। शिक्षण संस्थाओं में अनेक कार्यक्रम और कार्यशाला के माध्यम से नवीन कानून: दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर विषय पर लोगों को जागरूक किया है। यह बदलाव औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाए गए कानूनों की खामियों को दूर करने के लिए किया गया है।

 

Kaushalendra Rao Law College : नए कानून में यह खास

 

01 संगठित अपराध: संगठित अपराध को रोकने के लिए 111 सेक्शन बनाए गए हैं, जिससे अपराधियों को सजा मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

02 साइबर फ्राड: साइबर फ्राड को रोकने के लिए भी प्रविधान किए गए हैं और आम जनता से अनजाने फोन काल को तुरंत रिएक्ट न करने की अपील की गई है।

03 महिला सुरक्षा: दुष्कर्म पीड़ित महिला के प्रकरण की सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में होगी और लैंगिक समानता के अंतर्गत तृतीय लिंग को भी परिभाषित किया गया है।

04 आनलाइन एफआइआर: नए कानून में आनलाइन एफआइआर और जियो एफआइआर की भी सुविधा दी गई है।

 

Kaushalendra Rao Law College : विधि छात्रों की जुबानी

 

बच्चियों से दुष्कर्म पर अब मौत की सजा: अर्णव विधि छात्र अर्णव शर्मा कहते हैं कि नए कानून में संगठित अपराध और साइबर फ्राड के खिलाफ जो प्रविधान किए गए हैं, वे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इससे अपराधियों को पकड़ने और सजा देने में आसानी होगी। 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ अपराध करने पर मौत की सजा का प्रविधान किए गए हैं।

जमानत का प्रविधान, अनुमति जरूरी: अमन विधि छात्र अमन सोनी का कहना है कि आनलाइन एफआइआर और जियो एफआइआर की सुविधा भी काफी प्रभावी होगी। इससे एफआइआर दर्ज करने की प्रक्रिया सरल और त्वरित हो जाएगी। 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए तीन वर्ष से कम सजा वाले अपराधों में जमानत का प्रविधान डीएसपी रैंक के अधिकारी की अनुमति से किया गया है।

सात दिवस के भीतर मिलेगी रिपोर्ट: तुलसी विधि छात्र तुलसी जांगड़े कहती हैं कि अपराध की कमाई से अर्जित संपत्ति की कुर्की, साक्षी सुरक्षा योजना और मेडिकल रिपोर्ट की सात दिवस के भीतर रिपोर्ट देने का प्रविधान भी नए कानून में शामिल किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह बदलाव न्याय प्रणाली को अधिक समावेशी और प्रभावी बनाएगा।

राष्ट्रहित में सबसे अच्छा काम हुआ: अभय विधि छात्र अभय तिवारी ने कहा कि निश्चित रूप से यह एक बड़ा कदम है। हमें इन बदलावों के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा, ताकि वे इनका सही तरीके से उपयोग कर सकें। अभी तक लोगों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। खासकर ग्रामीण अंचल में कार्यशाला के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

 

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महिला सुरक्षा पर प्रविधान सराहनीय: नेहा विधि छात्र नेहा तिवारी कहती हैं कि महिला सुरक्षा के लिए जो प्रविधान किए गए हैं, वे भी बहुत सराहनीय हैं। महिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में सुनवाई से पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलने में मदद मिलेगी। 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ अपराध पर मौत की सजा का प्रविधान समाज में एक मजबूत संदेश देगा।

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