Jandhara Exclusive- पढ़ाई में कमजोर छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाते निजी स्कूल

Jandhara Exclusive-

Jandhara Exclusive- Private schools putting the future of weak students at stake

संजय दुबे
रायपुर Jandhara Exclusive । हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा लें और पढ़-लिखकर उनका नाम रोशन करें। अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिये वे अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं, भले ही उन्हें बच्चों को पढ़ाने में अपने खर्चों में कटौती ही क्यों न करनी पड़े। लेकिन अभिभावकों के अरमान उस समय चकनाचूर हो जाते हैं जब इतना खर्च करने के बाद भी उनके बच्चों को बीच सत्र में ही स्कूल से निकाल दिया जाए। और कारण सिर्फ इतना ही कि बच्चे पढ़ाई में थोड़ा कमजोर हों।
राजधानी के आधा दर्जन से अधिक नामी-गिरामी पब्लिक स्कूलों ने अपना स्टैंडर्ड बनाये रखने के लिए हाल ही में अनेक छात्र-छात्राओं को जबरन टीसी पकड़ाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। ये बच्चे 9 वीं और 11 वीं कक्षा के विद्यार्थी हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन स्कूलों में ब्राइटन इंटरनेट स्कूल, केपीएस, होली क्रॉस, डीपीएस जैसे पब्लिक स्कूल शामिल हैं। सालाना लाखों रुपये की मोटी फीस वसूलने वाले शिक्षा के इन कथित मंदिरों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य सवारने के लिए विद्यार्थियों को उनके स्कूलों में दाखिला दिलाया है। आज की जनधारा और एशियन न्यूज की टीम ने जब इन स्कूलों में जाकर खबर की पड़ताल की तो हमें एक से बढ़कर एक चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। स्कूल से निकाले गए बच्चों के भविष्य को लेकर कोई भी कोई भी संतोषजनक जवाब इन स्कूलों के पास नहीं था। ज्यादातर सम्बंधित स्कूलों के उच्च प्रबंधन ने इस विषय में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।

बोर्ड रजिस्ट्रेशन के बाद स्कूल बदलना आसान नहीं

सीबीएसई बोर्ड वाले स्कूलों में नौंवी और ग्यारहवीं में ही बोर्ड परीक्षा का रजिस्ट्रेशन हो जाता है। एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद उसी शहर के किसी दूसरे सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले स्कूल में एडमिशन काफी मुश्किल भरा होता है। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट असोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता के मुताबिक सीबीएसई से दूसरे बोर्ड में जाना आसान है लेकिन सीबीएसई से उसी बोर्ड में शहर के भीतर स्कूल बदलने की इजाजत जल्दी नहीं मिलती। राजधानी के जिन बड़े स्कूलों ने बच्चों को निकाल है वे सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले हैं और उनका रजिस्ट्रेशन हो चुका था।

बच्चों में आती है आत्मविश्वास की कमी- मनोविज्ञानी

मनोविज्ञानी मानते हैं कि बच्चों को नकारा बताकर स्कूल से बाहर करने के कई दुष्प्रभाव होते हैं। ऐसी घटनाएं उनके बाल मन पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। पंडित रविशंकर शुक्ल विवि के मनोविज्ञान विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मीता झा के मुताबिक ऐसी घटनाओं से बच्चों में तनाव बढऩे और उनके आक्रामक होने की आशंका बढ़ जाती है। जो बच्चे ज्यादा संवेदनशील हैं उनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। माता-पिता, स्कूल और समाज का दायित्व है कि ऐसे बच्चों का हौसला बढ़ाये और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिये प्रोत्साहित करे।

बच्चों के भविष्य के सवाल पर भड़क उठी प्राचार्या

नामी स्कूलों में शुमार ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल में नौवीं और ग्यारहवीं के 5 बच्चों को पढ़ाई में कमजोर होने के कारण निकाल दिया गया है। स्कूल की प्राचार्या जयश्री नायर से इस बारे में पूछा गया तो वे बंगले झांकने लगीं। इन बच्चों के भविष्य को लेकर किये गए सवाल पर तो वे इतनी भड़क उठी कि अपने हाथ से कैमरा बंद करने लगीं। अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि जिन बच्चों को निकाला गया है वे पढऩा ही नहीं चाहते थे। जब हमने उनसे पूछा कि क्या हर साल इसी तरह कमजोर बच्चों को निकाला जाता है तो उनका जवाब था- ऐसा कभी कभार हो जाता है। सीबीएसई बोर्ड रजिस्ट्रेशन के सवाल पर उनका तर्क था कि बच्चों को शहर के दूसरे स्कूलों में एडमिशन लेने में बोर्ड के नियम आड़े नहीं आएंगे।

सवाल सुनकर दुबक गया होली क्रॉस स्कूल प्रबंधन

रायपुर के होली क्रॉस स्कूल बैरनबाजार और काँपा में भी करीब 4 बच्चों को कमजोर परफॉर्मेंस के कारण निकालने की शिकायत प्राप्त होने के बाद हमारी टीम ने स्कूल प्रबंधन से जानकारी लेनी चाही। स्कूल में पहुँचने के बाद वहां की सुपरवाइजर ने हमसे पूछा क्या जानकारी चाहिए। जब उनसे स्कूल से निकाले गए बच्चों के सम्बंध में प्राचार्या या प्रबंधन के किसी बड़े अधिकारी से बात कराने का आग्रह किया गया तो वे अंदर पूछने गईं। बाद में बताया गया कि इस बाबत किसी भी अधिकारी से बात नहीं कराई जा सकती।

पलकों से ऐसी खबरें लगातार मिल रही हैं कि शहर के कई बड़े निजी स्कूलों से पढ़ाई में कमजोर बच्चों को बीच सत्र में टीसी दे दिया है, ताकि स्कूलों का स्टैण्डर्ड खराब न हो। स्कूलों की इस हरकत से बच्चों का भविष्य खराब होने की आशंका है। इस तरह की प्रवित्ति पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।
– धीरज दुबे, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ

कमजोर बच्चों को टीसी देने कुछ मामला सामने आया है। तीन-चार बच्चों को सीजी बोर्ड के स्कूलों में हमने अपने स्तर पर पहल कर प्रवेश दिलाया है। ऐसे बच्चों को लेकर स्कूल प्रबंधन और पालकों को संवेदनशील होने की जरूरत है।
– राजीव गुप्ता, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट असोसिएशन

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