Jagdalpur : 7 बटुकों का उपनयन संस्कार, महासभा के बाद निकाली जायेगी श्रीरामनवमी की विशाल शोभायात्रा – ईश्वर खंभारी

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Jagdalpur 7 बटुकों का उपनयन संस्कार, महासभा के बाद निकाली जायेगी श्रीरामनवमी की विशाल शोभायात्रा – ईश्वर खंभारी

Jagdalpur जगदलपुर। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा रियासत कालीन श्रीजगन्नाथ मंदिर में चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि में शुभ श्रीरामनवमी के अवसर पर 07 बटुकों चि.योगेंद्र पाणिग्राही, चि.देवराज पाणिग्राही, चि.रितेश पाणिग्राही (ग्राम आसना) चि.किरण पाणिग्राही (ग्राम मरेठा), चि.हर्ष पांडे(जगदलपुर), चि.लाभांश पाणिग्राही (बड़े आमाबाल) चि.अंशु जोशी (तितिरगांव) का दो दिवसिय सामुहिक नि:शुल्क उपनयन संस्कार किया किया जा रहा है !

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Jagdalpur : 7 बटुकों का उपनयन संस्कार, महासभा के बाद निकाली जायेगी श्रीरामनवमी की विशाल शोभायात्रा – ईश्वर खंभारी

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उपनयन संस्कार तय कार्यक्रम अनुसार 29 व 30 मार्च को संपन्न होगा, 30 मार्च को 360घर आरण्यक ब्राह्मण समाज की वाार्षिक आम सभा(महासभा)के संपन्नता के साथ 30मार्च की संध्या 4:30 बजे प्रतिवषानुसार इस वर्ष भी श्रीरामनवमी की विशाल शोभायात्रा आकर्षक झांकी के साथ निकाली जायेगी।

Jagdalpur 360घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंभारी ने बताया कि 22 मार्च को श्रीराम मंदिर में हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा तिथि को कलश स्थापना के साथ रियासत कालीन परंपरानुसार चैत्र नवरात्र पूजा-अनुष्ठान प्रारंभ हुआ आज अष्टमी तिथि में श्रीराम मंदिर में अष्टमी हवन संपन्न किया गया।

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इसके साथ ही 7 बटुकों का उपनयन संस्कार किया जा रहा है, उपनयन संस्कार 30 मार्च को संपन्न होगा। श्रीरामनवमी 30 मार्च को 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज की सामान्य सभा (महासभा)संपन्न होगी। इसके बाद 30 मार्च को संध्या 04:30 बजे श्रीरामनवमी की विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी।

ईश्वर खंभारी ने बताया कि 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा शताब्दियों से रियासत कालीन श्रीजगन्नाथ मंदिर में शुभकर्म विवाह/उपनयन संस्कार किया जाता रहा है, इस परंपरा को समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्व. मोहन पानीग्राही के द्वारा अपने स्वयं के खर्च पर नि:शुल्क विवाह/उपनयन संस्कार की परंपरा को आगे बढ़ाया, जिसका अनुसरण उनके पुत्र स्व. उमेश पानीग्राही ने भी बखूबी निभाया वर्तमान में स्व. उमेश पानीग्राही के पुत्रों उत्तम पानीग्राही, हेंमत एवं जोगेंद्र पानीग्राही व अन्य परिजनों के द्वारा इस परंपरा को तीसरी पीढ़ी में अनवरत निर्वहन किया जा रहा है।

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