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Jagannath पुरी चार धामों में एक हैं.
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यहां प्रत्येक साल Jagannath रथ यात्रा एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
Jagannath रथ यात्रा का आरंभ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर होता है.
साल 2022 में रथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होगी और इसका समापन 12 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन होगा.
Jagannath रथ यात्रा (Rath Yatra 2022) के दिन श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलराम और मां सुभद्रा के रथ को रस्सियों के सहारे खींचते हुए गुंडीचा मंदिर ले जाते हैं.
गुंडीचा मंदिर, Jagannath मंदिर से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस अवसर पर रथ खींचने में सहायक होना भी सौभाग्य की बात मानी जाती है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि रथ यात्रा (Rath Yatra 2022) में शामिल होने वाली भगवान जगन्नाथ,
बलराम और सुभद्रा जी की मूर्तियों में हाथ, पैर और पंजें क्यों नहीं होते हैं. चलिए जानते हैं इसके बारे में.
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इसलिए अधूरी है भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम की मूर्ति
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार भगवान जगन्नाथ, बलराम और माता सुभद्रा की मूर्तियों का निर्माण खुद विश्वकर्मा जी कर रहे थे.
इस दौरान विश्वकर्मा जी ने तत्कालीन राजा से कहा कि जब तक तीनों विग्रह मूर्तियों का निर्माण नहीं हो जाता तब तक उस कमरे में कोई भी प्रवेश नहीं करेगा.
कहते हैं कि राजा ने भगवान विश्वकर्मा जी की शर्त को दरकिनार कर उस कमरे का दरवाजा खोल दिया.
जिसके बाद भगवान विश्वकर्मा जी ने उन मूर्तियों का निर्माण कार्य अधूरा ही छोड़ दिया.
यही वजह है कि आज भी भगवान जगन्नाथ,
श्रीबलराम जी और सुभद्रा जी की मूर्तियां अधूरी ही बनाई जाती हैं. फिर भी भक्त पूरी श्रद्धा और धूमधाम से इन विग्रहों की पूजा करते हैं.
नीम की लकड़ियों से बनाई जाती तीनों मूर्तियां
रथ यात्रा (Rath Yatra 2022) में शामिल भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ बलराम जी और सुभद्रा जी की मूर्तियों को नीम की लकड़ी से बनाई जाती हैं.
खास बात ये है कि जिस तरह भगवान जगन्नाथ का रंग सांवला है, तो उनकी मूर्ति बनाने में भी ऐसी नीम की लकड़ी चुनी जाती है जो देखने में सांवला है.
इसी प्रकार बलराम जी और बहन सुभद्रा जी की मूर्तियों को भी उनके रंग के हिसाब से लकड़ी चुनी जाती है.
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