(Integrated Garden Development Program) एकीकृत बाड़ी विकास कार्यक्रम के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा

(Integrated Garden Development Program)

(Integrated Garden Development Program) परंपरागत आदिवासी कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने के नाम पर लूट 

(Integrated Garden Development Program) फर्जी बिलों और पावतियों के जरिए शासन के धन की जमकर बंदरबांट 

(Integrated Garden Development Program) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना में से एक है कोदो, कुटकी, रागी जैसे लघु धान्य अनाज की पैदावार को बढ़ावा देना, ये लघु धान्य गुणवत्तायुक्त भोज्य पदार्थ और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।

(Integrated Garden Development Program) मगर जनपद पंचायत कर्मियों और जनप्रतिनिधियों ने इस योजना को भी अवैध कमाई का जरिया बना लिया है। बस्तर जिले में परंपरागत आदिवासी कृषि प्रणाली को पुनर्जिवित करने तथा गरीब तबके के आदिवासी किसानों की बाड़ियों में मक्का और सब्जियों की खेती को प्रोत्साहित कर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के उद्देश्य से राज्य शासन ने एकीकृत बाड़ी विकास कार्यक्रम आरंभ किया है। इस कार्यक्रम में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। किसानों को रत्तीभर भी लाभ पहुंचाए बगैर उनके नाम से लाखों रु. के वारे न्यारे किए जा रहे हैं।

(Integrated Garden Development Program) अकेले बकावंड जनपद क्षेत्र में ही लाखों का फर्जीवाड़ा किया गया है। एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत आदिवासी किसानों को बाड़ियों के सुधार के लिए अनुदान और कोदो, कुटकी, कुलथी, मक्का आदि के बीज उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।

राज्य शासन अब कोदो, कुटकी, रागी जैसी फसलों को भी समर्थन मूल्य के दायरे में लाकर किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य शासन के आदेश के अनुसार वर्ष 2022 – 23 में गुणवत्तायुक्त कोदो, कुटकी एवं रागी का क्रय 15 दिसम्बर 2022 से 25 फरवरी 2023 तक लघु वनोपज संघ द्वारा किया जा रहा है।

कोदो, कुटकी एवं रागी लघु धान्य वार्षिक फसलें है, जिनके लिए राज्य शासन द्वारा समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत कोदो 30 रूपए प्रति किलोग्राम, कुटकी 31 रूपए तथा रागी 35.78 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी किसानों से की जा रही है।

शासन द्वारा किसानों से कोदो, कुटकी एवं रागी खरीदी करने के लिए क्रय मानक निर्धारित किया गया है। निर्धारित मानक अनुसार किसानों से गुणवत्तायुक्त कोदो, कुटकी एवं रागी को क्रय महिला स्व- सहायता समूह द्वारा भी किया जा रहा है। साथ ही कोदो एवं रागीे प्रति एकड़ 3.5 क्विंटल तथा कुटकी प्रति एकड़ 2 क्विंटल का ही क्रय किया जाएगा।

खरीदी गई लघु धान्य फसलों का भुगतान प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों द्वारा सीधे किसानों के खातों में किया जाता है।

वहीं दूसरी ओर परंपरागत आदिवासी कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्रीय मद की रकम से अच्छी योजना शुरू की है। एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत बस्तर जिले के अनेक विकासखंडों में यह योजना चलाई गई, मगर योजना मद की राशि की बंदरबांट जनपद पंचायत के कर्मियों और जनप्रतिनिधियों ने कर ली है।

इसके तहत बीपीएल श्रेणी के आदिवासी किसानों को बाड़ी सुधार के लिए आर्थिक मदद और कोदो, कुटकी, मक्का बीज के किट्स उपलब्ध कराए जाने थे। बीज किट आपूर्ति का काम ऐसे जनप्रतिनिधियों को दे दिया गया, जो मेडिकल स्टोर, कॉपी, पुस्तक दुकान, जनरल स्टोर्स आदि के संचालक हैं। कृषि बीज खाद आदि व्यवसाय से उनका दूर दूर का भी नाता नहीं है। इन जनप्रतिनिधियों ने किसानों को बीज के एक दो पैकेट दे दिए और फर्जी बिल और किसानों से फर्जी पावती लेकर पूरी रकम आहरित कर ली।

जनपद पंचायत बकावंड में बड़ा खेल

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के विभिन्न विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में कोदो, कुटकी, मक्का, रागी की खेती के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। बस्तर जिले की बकावंड जनपद की ग्राम पंचायत कोसमी, उड़ियापाल, मोंगरापाल में फर्जी बिल, पावती आदि जमा कर फर्जी हितग्राहियों के नाम से बड़ी रकम का आहरण कर लिया गया है।

800 रु. का सामान देकर निकाल लिए 16 हजार रु.!

मंडल भाजपा बकावंड के अध्यक्ष धनुर्जय कश्यप ने कहा है कि कोसमी ग्राम पंचायत में ही लगभग सोलह हितग्राही गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी किसानों को कोदो, कुटकी, मक्का बीज किट तथा बाड़ी सुधार के नाम से फावड़ा, कुदाल, तगाड़ी जैसे मामूली औजारों का वितरण कर हर हितग्राही के नाम पर 16 हजार 500 रु. का आहरण जनपद पंचायत के कर्मियों और जनप्रतिनिधियों ने कर लिया है।

जबकि संबंधित किसानों को जो बीज किट और औजार उपलब्ध कराए गए हैं, उनकी कुल कीमत बमुश्किल आठ – नौ सौ रु. से ज्यादा नहीं है।

इस तरह जनप्रतिनिधियों और जनपद कर्मियों ने केंद्र सरकार के लाखों रु. की अफरा तफरी की है। धनुर्जय कश्यप ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने सार्थक पहल की है, लेकिन बकावंड जनपद के कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर इस योजना को पलीता लगाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है।

कश्यप ने कहा कि कलेक्टर अपनी निगरानी में इस मामले की जांच कराएं। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो किसानों को साथ लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया जाएगा।

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