India’s jet engine deal with America : भारत का अमेरिका के साथ जेट इंजन सौदा क्यो है इतना खास…जरूर जानिए

India's jet engine deal with America : भारत का अमेरिका के साथ जेट इंजन सौदा क्यो है इतना खास...जरूर जानिए

India’s jet engine deal with America : भारत का अमेरिका के साथ जेट इंजन सौदा क्यो है इतना खास…जरूर जानिए

India’s jet engine deal with America :  प्रधानमंत्री की अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा के दौरान एक बड़ी डील हुई है. जीई एयरोस्पेस और एचएएल के

India's jet engine deal with America : भारत का अमेरिका के साथ जेट इंजन सौदा क्यो है इतना खास...जरूर जानिए
India’s jet engine deal with America : भारत का अमेरिका के साथ जेट इंजन सौदा क्यो है इतना खास…जरूर जानिए

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India’s jet engine deal with America : बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इसके तहत जीई भारत में फाइटर जेट इंजन बनाएगी. भारत में अत्याधुनिक एफ 414 इंजन बनाए जाएंगे.

इस सिलसिले में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, ” हम साथ मिलकर दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए रास्ता खोल रहे हैं.

जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने भारत में एफ 414 लड़ाकू जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर लिए हैं. ये सौदा बहुत ही अहम है.’

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बीच सैन्य सौदे पर बातचीत भी हुई थी.

इसी सिलसिले में फरवरी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ बैठक की थी.

यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज का संचालन इसी बातचीत के बाद किया गया था.

जीई एयरोस्पेस वेबसाइट के मुताबिक जीई  414 इंजन में टर्बोफैन इंजन सैन्य विमान इंजनों हिस्सा है.

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इसे अमेरिकी नौसेना 30 से ज्यादा सालों से इस्तेमाल करती आई है.

वेबसाइट के मुताबिक इंजन 22,000 पौंड या 98 केएन के थ्रस्ट क्लास में हैं. इसमें फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक

कंट्रोल जैसी उन्नत तकनीक है – इंजन को कंट्रोल करने का तरीका पूरी तरह से डिजिटल है.

जीई के एयरोस्पेस वेबसाइट के मुताबिक, मौजूदा वक्त में आठ देशों के पास एफ 414 इंजन से संचालित विमान या तो इस्तेमाल में हैं या ऑर्डर दिए जा चुके हैं.

एफ 414-जीई -400 इंजन अमेरिकी नौसेना के बोइंग एफ /ए -18 ई / एफ सुपर हॉर्नेट और ईए 18 जी ग्रोलर इलेक्ट्रॉनिक का

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अटैक एयरक्राफ्ट है. इसमें ग्रिपेन ई/एफ फाइटर्स एफ414जी का इस्तेमाल किया जाता है. रिपोर्टों से पता चलता है कि

अमेरिका सौदे के मूल्य के 80 प्रतिशत तक की प्रमुख प्रौद्योगिकी को स्थानांतरित करने को तैयार है – यह LCA-Mark2 को

मजबूती प्रदान करेगा, जो भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट का एक उन्नत संस्करण है.

बता दें कि इस सौदे के बाद जनरल इलेक्ट्रिक एचएएल के साथ साझेदारी में भारत में न केवल सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड

बनाने के लिए  निर्माण प्रक्रियाओं की शुरुआत हो जाएगी, दहन के लिए लेजर ड्रिलिंग, पाउडर मेटलर्जी विज्ञान को भी बढ़ावा मिलेगा.

सौदा क्यों इतना खास

अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे कुछ ही देशों ने लड़ाकू विमानों में इस तरह के इंजन के इस्तेमाल में महारत हासिल की है.

भारत हमेशा क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन सहित कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्माण में आत्मनिर्भरता पर जोर देता आया है,

लेकिन अभी तक देश के फाइटर जेट में इस तरह के इंजन लगाए नहीं गए थे.

इस डील के बाद भारत की जनरल इलेक्ट्रिक HAL  में न केवल सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड बनाने के लिए जरूरी निर्माण

प्रक्रियाएं  शुरू होगी, साथ ही दहन के लिए लेजर ड्रिलिंग, पाउडर मेटलर्जी विज्ञान की मशीनिंग और कई प्रमुख काम भारत में

ही होंगे. साथ ही कंप्रेशन डिस्क और ब्लेड का निर्माण भी भारत में होगा.

डील के बाद भारतीय वायु सेना के पास विश्वसनीय और लंबे समय तक चलने वाले जेट इंजन होंगे. इन जेट इंजनों को कई

हजार घंटे तक ओवरहाल किया जा सकता है. भारत अभी रूस से जो जेट या इंजन लेता है उन्हें अक्सर कुछ सौ घंटों में

ओवरहाल की जरूरत होती थी. विशेषज्ञों का कहना है कि जीई इंजन हल्के, अधिक शक्तिशाली, अधिक ईंधन कुशल हैं

और भविष्य में इस्तेमाल के लिए उन्नत किए जाने की क्षमता रखते हैं.

यह सौदा दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों में सुधार की तरफ उठाया गया एक और कदम है. खासकर ऐसे समय में जब चीन

भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है.

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