Bhatapara शहर में कांक्रीट निगल गए परिंदों के घोंसले…

Bhatapara

राजकुमार मल

 

Bhatapara अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट, नजर नहीं आ रहे घोंसले

पक्षियों की विविधता में आ रही गिरावट

 

 

Bhatapara भाटापारा– कांक्रीट से बनी सड़कें और पक्की संरचनाएं अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट की बड़ी वजह मानी जा रहीं हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में यह स्थिति पक्षियों की विविधता में गिरावट का प्रमुख कारण है। शहरी क्षेत्रों के पेड़ों में कम होते घोंसले प्रमाण के रूप में हम सबके सामने हैं।

जलवायु परिवर्तन के साथ बढ़ता तापमान, मानव और मवेशियों के बाद, अब उन पक्षियों को अपना घोंसला छोड़ने के लिए विवश कर चुका है, जो शहरी क्षेत्र के वृक्षों में रहते हैं। घोंंसले कम नजर आ रहें हैं। पक्षी ऐसे आश्रय स्थल की खोज में हैं, जहां का तापमान सहनशीलता के भीतर है। इसके बावजूद चुनौती बरकरार है।

Bhatapara  क्या है अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट

 

 

कांक्रीट की ठोस सड़के और कांक्रीट से बने भवन। यह सभी संरचनाएं सूर्य की गर्मी को तेज गति से ग्रहण करतीं हैं लेकिन वातावरण को वापस उत्सर्जित करने वाली गर्मी की मात्रा लगभग दोगुनी होती है। इसके अलावा शहरी गतिविधियां, यातायात, उद्योग और एयर कंडीशनिंग सिस्टम भी हीट आईलैंड इफेक्ट की वजह माने जा रहे हैं। पूरी प्रक्रिया में वेस्ट मैनेजमेंट की अनदेखी भी ऐसी स्थिति को बढ़ा रही है। यही वजह है कि छोटी-छोटी दूरी पर तापमान में भारी अंतर महसूस होता है।

Bhatapara  नजर नहीं आ रहे घोंसले

 

अर्बन हीट आईलैंड की वजह से शहरी क्षेत्र के वृक्षों में अब घोंसले नजर नहीं आते। आसमान और धरती की गर्मी की वजह से पक्षियों का प्राकृतिक रहवास खत्म हो रहा है। इसलिए ऐसे स्थल के लिए पक्षी उड़ान भर रहे हैं, जहां भरपूर हरियाली है। पक्षियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे वैज्ञानिकों में यह परिवर्तन इसलिए चिंताजनक है क्योंकि प्रजनन और गैर प्रजनन दोनों सीजन पर अर्बन हीट आइलैंड नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

Bhatapara  पक्षियों के लिए चुनौती

 

 

जलवायु परिवर्तन के दौर में शहरों के और भी अधिक गर्म होने की आशंका है। ऐसे में शहरी क्षेत्रों में रह रहे पक्षियों के लिए चुनौतियां और बढ़ने की प्रबल आशंका है। मालूम हो कि पक्षी पहले से ही बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती गर्मी की वजह से उजड़ते आवास जैसी प्रतिकूल स्थितियों का सामना कर रहे हैं।

Bhatapara  चिंताजनक स्थितियां

 

पक्की संरचनाएं और घटती हरियाली अर्बन हीट आईलैंड जैसा वातावरण बना रहीं हैं। यही वजह है कि पक्षियों के घोंसले प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से खत्म हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में यह बदलाव पक्षियों के लिए चुनौती का समय है।

 

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-डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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