(Heaven on earth) सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश किसान अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बस्तर क्षेत्र एवं राज्य के संबंध में निम्नलिखित बातें कहीं-
(Heaven on earth) बस्तर ! क्षेत्र सहित संपूर्ण राज्य वासियों को सेवा जोहार। देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री एवं गुदड़ी के लाल स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। देश की सीमाओं की रक्षा करता हुआ सिपाही और खेत में खेती करता हुआ किसान ही हकीकत में सच्चा देशभक्त होता है। अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाले वीर गुंडाधुर और सभी शहीदों को कोटि-कोटि प्रणाम।
(Heaven on earth) बस्तर क्षेत्र के समस्त किसान भाईयों एवं आदिवासियों के समस्याओं को सुनने के लिए किसान नेता एवं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत जी का दंतेवाड़ा में 15-16/02/2023 को आगमन हुआ था। संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य के किसान एवं आदिवासी भाईयों के समस्याओं के समाधान के लिए मुझे भारतीय किसान यूनियन का छत्तीसगढ़ राज्य का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
राज्य के सभी किसान एवं आदिवासी भाइयों को आश्वस्त किया जाता है कि तय समय सीमा के भीतर उनकी सभी समस्याओं का संवैधानिक तरीके से जनता की भावना के अनुसार परिणाम दिया जाएगा। किसानों के सभी प्रकार की फसलों का उचित मूल्य दिलाना और आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों को दिलाना प्राथमिकता होगी।
(Heaven on earth) भारत देश की लगभग 60% आबादी खेती पर निर्भर है। इसलिए यदि भारत देश को सुपर पावर बनाना है तो इस देश के किसानों को पावरफुल बनाना होगा। वर्तमान में खेती को और अधिक आकर्षक तथा लाभदायक बनाने की जरूरत है।
बस्तर क्षेत्र में व्यवसायिक खेती की कमी यहाँ के मूल निवासियों एवं आदिवासी भाईयों के पिछड़ेपन का प्रमुख कारण है। सुकमा से सूरजपुर तक मूलवासी एवं आदिवासी भाईयों के संवैधानिक अधिकारों को दिलाने के लिए व्यापक जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा और तय समय सीमा में उन्हें परिणाम दिया जाएगा।
केंद्र एवं राज्य सरकारों को यह समझना आवश्यक है कि राज्य की मूलवासी और आदिवासी जनता का विकास कागजों एवं फाईलों पर नहीं जमीन पर करना होगा।बस्तर धरती का स्वर्ग है इसलिए बस्तर क्षेत्र में व्याप्त अंतहीन हिंसा से जुड़े हुए सभी पक्षकारों से यह अपील की जाती है कि जल्दी से जल्दी शांति वार्ता शुरू करें जिससे बस्तर को फिर से स्वर्ग बनाया जा सके।
सरकारी षड्यंत्र का शिकार बस्तर की जनता
प्रदेश किसान अध्यक्ष ने आगे कहा कि किरंदुल- विशाखापट्टनम रेलवे लाइन के दोहरीकरण कार्य हेतु जिस प्रकार सरकारी तंत्र द्वारा बस्तर की भोली-भाली मूलवासी आदिवासी जनता को बेवकूफ बनाया गया है अब मूलवासी एवं आदिवासी जनता चुप नहीं रहेंगे।
(Heaven on earth) संविधान की पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून लगे हुए बस्तर क्षेत्र में बिना ग्राम सभा की बैठक एवं अनुमति लिए हुए आदिवासी मूलवासी ग्रामीणों की फसल देने वाली जमीनों पर रेलवे लाइन के दोहरीकरण कार्य के संबंध में जुलाई, 2022 में मेरे द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत आरटीआई दाखिल किया गया था एवं इसकी प्रथम अपील कलेक्टर, जिला दंतेवाड़ा के कार्यालय में की गई थी। दंतेवाड़ा कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त सूचना को देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ कि पूरे दंतेवाड़ा जिले से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइन के अंतर्गत आने वाली आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीनों को सरकारी जमीन मान लिया गया है !
जबकि बाहरी क्षेत्र से आए हुए गैर-आदिवासी समुदाय के 4 व्यक्तियों के जमीनों को ही भूमि अधिग्रहण के अंतर्गत सरकारी मुआवजा (रुपए 1,182,491/-) देने के योग्य माना गया है। आदिवासियों की जमीनों पर रेल लाइन बिछाने के पहले संबंधित ग्राम सभा की बैठकों एवं इससे संबंधित किसी भी प्रकार के पत्र-व्यवहार की जानकारी भी आरटीआई के तहत मांगी गई थी लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस जानकारी को अभी देने से इंकार कर दिया गया है।
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के सामने इस मामले का विरोध करने पर राजस्व विभाग के अधिकारियों को डुमांम एवं कांवड़गांव में जमीनों का सर्वे करने के लिए भेजा गया एवं इन दो गांवों से 11 आदिवासी किसानों की भूमियों को रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए अधिग्रहित माना गया है।
(Heaven on earth) रेलवे लाइन के दोहरीकरण से प्रभावित दंतेवाड़ा एवं बस्तर जिले के सभी किसान भाईयों को न्याय दिलाने के लिए बहुत जल्दी एक व्यापक आंदोलन खड़ा किया जाएगा। हसदेव जंगल बचाओ आंदोलन सहित राज्य में संघर्षरत सभी किसान एवं आदिवासी आंदोलनों को एक नई दिशा दी जाएगी एवं तय समय सीमा के भीतर परिणाम देने की कोशिश रहेगी।