Supreme court : कॉलेजियम पर सरकार बनाम न्यायपालिका
Supreme court सर्वोच्च अदालत और उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका दोनों आमने सामने आ गए हैं। पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय कानून मंत्री लगातार कॉलेजियम सिस्टम को लेकर बयान दे रहे थे।
Supreme court उन्होंने कई ऐसी बातें कहीं, जो आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं कही जाती हैं। उन्होंने कहा कि जज राजनीति में लगे रहते हैं, नियुक्तियों को लेकर राजनीति होती है, जजों को न्यायिक कामों पर ध्यान देना चाहिए आदि। उन्होंने यहां तक कहा कि दुनिया के किसी भी देश जजों की नियुक्ति जज नहीं करते हैं। पिछले एक महीने में उन्होंने दो तीन बार इस तरह की बातें कहीं।
Supreme court अब न्यायपालिका की ओर से परोक्ष रूप से जवाब दिया गया है। हालांकि नए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे कॉलेजियम सिस्टम को लेकर उठ रहे सवालों पर गंभीरता से विचार करेंगे। लेकिन उनके कामकाज संभालने के दो दिन के बाद ही सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज और कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय ओका की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
Supreme court जस्टिस कौल की बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कॉलेजियम की ओर से जजों की नियुक्ति के लिए भेजी गई सिफारिशों पर फैसला करने में देरी क्यों हो रही है? ध्यान रहे केंद्र सरकार कॉलेजियम की ओर से भेजी गई सिफारिश को एक बार वापस कर सकती है लेकिन अगर दूसरी बार वही सिफारिश भेजी जाती है तो सरकार उसे मंजूर करने के लिए बाध्य है। लेकिन मौजूदा सरकार ऐसा नहीं कर रही है।
कॉलेजियम की ओर से उच्च अदालतों में नियुक्ति के लिए 10 नाम दोबारा भेजे गए हैं। लेकिन उन पर सरकार ने फैसला नहीं किया है। तभी सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने केंद्र सरकार के विधि सचिव और प्रशासन व नियुक्ति देखने वाले अतिरिक्त सचिव को नोटिस जारी करके पूछा है कि नियुक्तियों पर फैसला क्यों नहीं हो रहा है। अदालत ने इसका कारण पूछा है। इससे ऐसा लग रहा है कि कॉलेजियम का मामला अब निर्णायक मोड़ की तरफ बढ़ रहा है।