Goal of male-female equality नर-नारी समता का लक्ष्य दूर

Goal of male-female equality

Goal of male-female equality नर-नारी समता का लक्ष्य दूर

Goal of male-female equality
Goal of male-female equality नर-नारी समता का लक्ष्य दूर

Goal of male-female equality इस रिपोर्ट ने हमें फिर आगाह किया है कि समस्या या संकट चाहे जो भी हो या जैसा भी हो, उसकी सबसे ज्यादा मार महिलाओं पर ही पड़ती है। संभवत: ऐसा इसलिए होता है कि मानव समाजों में उन्हें पहले से ही वंचित और कमजोर अवस्था में रखा गया है।

https://jandhara24.com/news/114278/bjp-mission-2023-chhattisgarh-will-embark-on-a-new-pattern-regarding-election-preparations-bjp-know-bjp-initiative-campaign-launched/.
Goal of male-female equality हाल के विभिन्न संकटों ने दुनिया के लैंगिक अंतर को और बड़ा कर दिया है। यह आम तजुर्बा भी है और यही बात अब महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की संस्था- यूएन वूमन और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कही है।

Goal of male-female equality कहा गया है कि इस मसले के समाधान के लिए जिस गति से प्रगति हो रही है, उससे तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 300 और साल लग जाएंगे। कार्यस्थलों पर नेतृत्व में समान प्रतिनिधित्व के लिए 140 साल और राष्ट्रीय संसदीय संस्थानों में समान प्रतिनिधित्व के लिए कम से कम 40 साल और इंतजार करना होगा।

Goal of male-female equality
Goal of male-female equality नर-नारी समता का लक्ष्य दूर

Goal of male-female equality इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत 2030 तक सार्वभौमिक लैंगिक समानता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित समय से बहुत दूर हो चुका है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया एकजुट होकर महिलाओं और लड़कियों की प्रगति में तेजी लाने के लिए उचित निवेश करे।

Goal of male-female equality रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियां जैसे कि कोविड-19 महामारी और उसके बाद हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और महिलाओं के खिलाफ यौन हमले के कारण लैंगिक समानता की खाई और चौड़ी हो गई है। इस साल के अंत तक लगभग 38.3 करोड़ महिलाओं और लड़कियों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया जाएगा और उन्हें प्रति दिन 1.90 अमेरिकी डॉलर में जीवन बिताना होगा।

इसकी तुलना में समान रूप से स्थिति से पीडि़त पुरुषों और लडक़ों की संख्या लगभग 36.8 करोड़ होगी। इस रिपोर्ट ने हमें फिर आगाह किया है कि समस्या या संकट चाहे जो भी हो या जैसा भी हो, उसकी सबसे ज्यादा मार महिलाओं पर ही पड़ती है।

India Jodo Yatra of Congress कॉंग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा

संभवत: ऐसा इसलिए होता है कि मानव समाजों में उन्हें पहले से ही वंचित और कमजोर अवस्था में रखा गया है। इस रिपोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधुनिक दौर में चाहे लैंगिक समता की जितनी बातें हुई हों, जमीन पर उसे साकार करने के उपाय उसी अनुपात में नहीं किए गए हैं। नतीजतन, सूरत और बिगड़ गई है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU