Global business गुपचुप बदलता रास्ता?
Global business ठोस धरातल पर देखें, तो भारत ऐसे कदम उठा रहा है, जो एकध्रुवीय दुनिया और वैश्विक कारोबार में डॉलर के वर्चस्व को कमजोर करते दिख रहे हैँ। जबकि अब तक वह अपने इस रुख के बारे में भ्रम कायम रखने में सफल रहा है।
Global business विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी मास्को यात्रा के दौरान दो ऐसी बातें कहीं, जिनसे इस समय की वैश्विक खेमेबंदी में शामिल दोनों पक्षों को यह महसूस हो सकता है कि भारत उनके साथ है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ वार्ता के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि लगातार अधिक बहुध्रुवीय होती जा रही दुनिया के बीच यह संवाद हो रहा है।
Global business जिस समय रूस और चीन खुल कर दुनिया पर अमेरिकी वर्चस्व को तोडक़र बहुध्रुवीय दुनिया बनाने के प्रयासों में जुटे हैं, यह बयान मास्को और बीजिंग में सराहा जाएगा। इसके बाद जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पुरानी टिप्पणी दोहरा दी कि यह युद्ध का समय नहीं है। पश्चिमी राजधानियों में इसकी व्याख्या इस रूप में की जाएगी कि मास्को जाकर भारतीय विदेश मंत्री ने यूक्रेन में युद्ध छेडऩे के लिए रूस की आलोचना की है।
Global business बहरहाल, ठोस धरातल पर देखें, तो भारत ऐसे कदम उठा रहा है, जो एकध्रुवीय दुनिया और वैश्विक कारोबार में डॉलर के वर्चस्व को कमजोर करते दिख रहे हैँ।
रूस के साथ रुपया-रुबल लेन-देन का सिस्टम पहले ही चालू हो चुका है। अब यह खबर उससे कम महत्त्वपूर्ण नहीं है कि भारत ने यही सिस्टम श्रीलंका, मालदीव और कई अफ्रीकी देशों के साथ कारोबार में भी लागू करने का निर्णय पिछले जुलाई में लिया था।
Global business इस रूप में भारत डॉलर का वर्चस्व करने की कोशिशों में एक सक्रिय भागीदार बनता दिख रहा है। जब ब्रिक्स के मंच पर आपसी कारोबार का नया मुद्रा बास्केट अमल में लाने पर गंभीर विचार-विमर्श हो रहा है और ब्रिक्स में शामिल होने के लिए अर्जी देने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है, तब डॉलर से अपने कारोबार को हटाना एक दूरगामी महत्त्व का फैसला बन जाता है। ब्रिक्स में अगर ये सहमति बन गई, तो देर-सबेर चीन के साथ भी भारत का कारोबार अलग मुद्रा में हो सकता है। उसका और भी ज्यादा दूरगामी परिणाम होगा।
गौरतलब यह है कि भारत ने अपनी ये भूमिका गुपचुप बनाई है। इस बीच ये गौरतलब है कि भारत के रुख के बारे में आम तौर पर भ्रम बना हुआ है।