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Global वैश्विक सोच को प्रभावित करने में समर्थ है भारत की चेतना शक्ति: जयशंकर

Global वैश्विक सोच को प्रभावित करने में समर्थ है भारत की चेतना शक्ति: जयशंकर

Global भारतीय चेतना की शक्ति

Global नयी दिल्ली .विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के सॉफ्ट पॉवर (भारतीय चेतना की शक्ति) के विभिन्न आयामों को लेकर लिखे गये लेखों का एक समृद्ध संग्रह ‘कनेक्टिंग थ्रू कल्चर’ (संस्कृति से समन्वय) का बुधवार शाम को यहां लोकार्पण किया।


Global इस अवसर पर श्री जयशंकर ने कहा कि उपनिवेशवादी व्याख्याओं को सुधारने और विश्व पटल पर बिना आक्रामक हुए अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित संवर्धित करने में भारत की सॉफ्ट पॉवर बहुत कारगर है।


Global विदेश मंत्री ने कहा कि सॉफ्ट पॉवर के जरिये भारत संवाद में पाश्चात्य दृष्टिकोण के प्रभुत्व का सामना करने तथा परिस्थितियों को पुनर्परिभाषित करने में सक्षम है। उन्होंने कहा,“ ‘कनेक्टिंग थ्रू कल्चर’ पुस्तक भारत की विरासत की एक बेहतर समझ और सांस्कृतिक कूटनीति के बाबत एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है। मेरी नजर में सॉफ्ट पॉवर वैश्विक शक्ति संतुलन और प्रभुत्व के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण है।”


यह अपने तरह की पहली किताब है जिसे प्रोजेक्ट के रूप में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने एक साथ किया है।
सुषमा स्वराज भवन, चाणक्यपुरी में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि थे।


इस पुस्तक में कुल 23 लेख हैं जिसका सम्पादन विनय सहस्रबुद्धे,अध्यक्ष (आईसीसीआर) और सच्चिदानंद जोशी, सदस्य सचिव,इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने मिल कर किया है। इसमें भारत के महाकाव्यों, आयुर्वेद से लेकर भारतीय शास्त्रीय नृत्यों और भारतीय व्यंजनों इत्यादि से जुड़े संस्कृति के व्यापक पहलुओं को समाहित किया गया है। इसमें भारतीय जनतंत्र और प्रवासी भारतीयों को भारतीय सॉफ्ट पॉवर के महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा गया है।

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संग्रह का एक स्वतंत्र खंड भारत के सार्वभौम महानायकों गौतम बुध,  गुरु नानक, स्वामी विवेकानंद, रविन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी को समर्पित किया गया है।
इस संग्रह में जिन शोधकर्ताओं, संस्थानों और कलाकारों ने सहयोग किया है उनमें प्रमुख रूप से – लेखक अमीश त्रिपाठी, शोधकर्ता पुष्पेश पन्त, जया जेटली, क्रिष्टोफर बेनिन्गर , कपिल कपूर,गाँधीवादी विचारक राजीव वोरा शरीक हैं। इसके इतर आरिफ मोहम्मद खान और दोनों सम्पादकों ने भी अपने लेखों द्वारा इस संग्रह को अति समृद्ध किया है।

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