Gaumaata श्रीमद्भागवत की कथा
Gaumaata सक्ती ! धर्म को हानि पहुंचाने वाले दुष्टों के भार से दबने लगती है धरती तब गौ माता का रूप धारण कर भगवान को पुकारती है रायपुर जिला के खरोरा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के से छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्य राजेंद्र शर्मा द्वारा व्यासपीठ से भक्तजनों को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाते हुए कहा गया कि गौमाता पुकारते हुए कहती है कि प्रभु अब आप को अवतार लेना होगा ।
Gaumaata अजन्मा कहलाने वाले भगवान तब संपूर्ण विश्व का कल्याण करने के लिए अवतार भी लिया करते हैं , संसार के समस्त प्राणियों का जन्म अपने कर्मों के कारण होता है किंतु भगवान का अवतार करुणा वश होता है । श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ है जिसके माध्यम से वैदिक और पौराणिक काल के दिव्य ज्ञान प्राप्त कर मानव जीवन कृत्य कृत्य होता है !
Gaumaata यह उद्गार नगर पंचायत खरोरा में आयोजित संगीत में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से आचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया ।
Gaumaata आचार्य द्वारा भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला में पूतना वध , मैया यशोदा को वैष्णवी माया , वृंदावन लीला , कालिदास से कालिया नाग को रमणक द्वीप भेजना , गोवर्धन लीला चीरहरण एवं महाराज की कथा का सरस वर्णन कर बताया गया कि श्रीकृष्ण की लीलाओं में माधुर्यता और विचित्रता दोनों ही है ।
Gaumaata इन लीलाओं के माध्यम से श्री कृष्ण ने मनुष्यों को प्रेरित करते हुए अपने सारे कर्म को सत्कर्म में बदलने और मनुष्य जीवन को अति विशिष्ट था पूर्ण निर्वाह करने की प्रेरणा दिया है , कालिया नाग का मर्दन कर यमुना नदी को कालिया नाग के विष से मुक्त किया है ।
गोवर्धन लीला करते हुए इंद्र का अभिमान तोड़कर संसार के मनुष्य को प्रकृति की पूजा करने की प्रेरणा दी है क्योंकि जब तक धरती में हरियाली रहेगी तब तक ही मनुष्य और उसकी भावी पीढ़ी तथा समस्त प्राणी अपना जीवन यापन कर सकेंगे । जब तक इस धरती में गौ माता , गंगा मैया , गायत्री और हमारी गौरी अर्थात कन्या सुरक्षित रहेंगे तब तक ही हमारा अस्तित्व बचा रहेगा l
आचार्य द्वारा पूतना प्रसंग में कन्या शिक्षा तथा सुरक्षा पर विशेष आग्रह किया गया कि बेटी के जन्म लेने पर माता-पिता के मुख से आह न निकले और बेटे के जन्म लेने पर वाह ना हो । बेटे और बेटियां दोनों ही बराबर है , दोनों को ही समान शिक्षा और सम्मान देने की आवश्यकता है ।
चीर हरण लीला का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि जो भगवान द्रोपदी की लाज बचाने के लिए स्वयं वस्त्र बन जाते हैं वे भला गोपियों का वस्त्र हरण कैसे कर सकेंगे । चीर हरण लीला तो गोपियों को नियम पालन करने की शिक्षा की दिव्य लीला है , श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए जो गोपिया कात्यायनी की पूजा और व्रत रखती हैं , वह बिना वस्त्र के ही यमुना में स्नान करती है , जो जल देवता का अपमान है , श्री कृष्ण ने गोपियों को कहा की व्रत के नियम तोड़कर सिद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती , इसलिए नियमों का पालन सभी के लिए अनिवार्य है ।
चीर हरण लीला का भाव यह है कि स्त्रियां अपना आंचल संभाल कर चले और पुरुष अपना आचरण , क्योंकि आंचल के गिर जाने पर मर्यादा गिरती है और आचरण के गिर जाने पर सब कुछ गिर जाता है ।
पांचवें दिन की कथा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के प्रांतीय संयोजक अजय शुक्ला , ईश्वरी देवांगन , हेमंत कुमार वर्मा , प्रदीप किरण कुंभकार , एकनाथ पाटील , उषा श्रीवास , राजेंद्र वर्मा , श्रीमती अंबिका बंछोर , वंदना शर्मा , अन्नपूर्णा शंकर लाल कुंभकार एवं सैकड़ों श्रोता उपस्थित थे ।