(Editor-in-Chief Subhash Mishra) प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से – अंध श्रद्धा निर्मूलन कानून जरूरी है

अंधश्रद्धा उन्मूलन
From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra – Law to eliminate blind faith is necessary
– सुभाष मिश्रमहाराष्ट्र के नासिक से एक धर्मगुरु ने महाराष्ट्र में लागू अंध श्रद्धा निर्मूलन कानून जिसे महाराष्ट्र नरबलि और अन्य अमानुष अत्रिष्ट एवं अघोरी प्रथा तथा जादू टोना प्रतिबंधन एवं उन्मूलन अधिनियम 2013 नाम से अध्यादेश के जरिये अमल में लाया गया है, समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
स्व. डॉ. नरेद्र दाभोलकर और उनके बाद से साथियों ने महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के जरिये संघर्ष के बाद इसे लागू कराया। छत्तीसगढ़ में भी टोनही प्रताडऩा अधिनियम 30 सितम्बर 2005 से लागू है। बावजूद इसके आये दिन टोनही प्रताडऩा की खबरें मिलती रहती हैं। हमारा देश एक साथ कई सदियों में भी रहा है। हम एक ओर इक्कीसवीं सदी और टेक्नोलॉजी, विज्ञान के युग में भी रहे हैं वहीं दूसरी ओर हमारे समाज में घनघोर अंधविश्वास, सदियों से और अवैधानिक सोच है। बहुत सारे चालाक लोग धर्म आस्था और परपंरा के नाम पर लोगों का भयदोहन करते हैं। आस्था के बड़े पैमाने पर उत्पादन के उद्योग खुल गये हैं।
यहां अब यह सवाल भी है कि क्या अंध श्रद्धा के प्रसार का राजनीतिक पहलू है ? धार्मिक आस्था का चरित्र मूलत: निजी होता है लेकिन विशाल सामूहिक आयोजनों में भीड़ एकत्र कर उसे मास सोसायटी में समाहित किया जा रहा है और इसके जरिये धर्मप्राण जनता की निजी आस्था का दोहन कर उसे सामूहिक राजनीतिक पहचान के दायरे में खींच लिया गया है। अंध श्रद्धा और धार्मिक धर्मकांड धर्म के असली स्वरूप को विमुख करके अपनी गहरी जडं़े भारतीय समाज में जमा चुकी है। धार्मिक आस्था और अंधविश्वास की जड़ों को अब केवल धर्मनिरपेक्ष तरीके से नहीं हटाया जा सकता है। धर्म के नाम पर लोगों को बहका कर उनके कामनसेंस में भी अब यह बात शामिल हो चुकी है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, धार्मिक आयोजनों, प्रवचनों और कथित गुरुओं की आमद बढ़ जाती है। अब राजनेता खुलेआम धर्म निरपेक्षता के सिद्धांतों का ठेका दिखाकर धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगते दिख जाते हैं। मध्यप्रदेश में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धीरेंद्र शास्त्री पर महाराष्ट्र की एक संस्था महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने अंधविश्वास और जादू टोना को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया है। इन तमाम आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने यह स्पष्ट किया है कि वह समाज में किसी भी प्रकार का अंधविश्वास नहीं फैला रहे हैं।
महाराष्ट्र में 2013 को अंधविश्वास फैलाने के खिलाफ कानून बनाया गया था। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति भी समाज में फैले अंधविश्वास को दूर करने के लिए काम करती है। इस समिति का गठन 1989 में किया गया था। महाराष्ट्र की इस समिति के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हत्या कर दी गई थी। डॉ. दाभोलकर धर्मांध, जातिवादी, पाखंडी तत्वों के लक्ष्य बने रहेे और अज्ञात बंधूककधारियों ने उनकी 20 अगस्त, 2013 को निर्मम हत्या कर दी । हत्यारों का लक्ष्य डॉ. दाभोलकर के संगठन और विचार को कुचलना था। दाभोलकर की मृत्यु के कुछ ही दिनों पूर्व महाराष्ट्र अंधश्रद्ध निर्मूलन समिति ने सन् 1995 से की जा रही जादू-टोना प्रतिबंध अधिनियम पारित करने की मांग के प्रति महाराष्ट्र सरकार की निष्क्रियता, उपेक्षा और उदसीनता को अजागर करते हुए ‘कृष्णपत्रिका’ का प्रकाशन किया था। हत्या से उभरे लोकक्षोभ के घुटने देककर महाराष्ट्र सरकार अंतत: महाराष्ट्र नरबलि और अन्य अमानुष, अनिष्ट एवं अघोरी प्रथा तथा जादू-टोना प्रतिबंधक एवं उन्मूलन अधिनियम-2013 अध्यादेश के जरिये अमल में ले आई पर उसके लिए डॉ. नरेंद्र दाभोलकर को शहीद होना पड़ा। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की करीबन 200 शाखाएं राज्यभर में कार्यरत हैं। उसके जरिए राज्य में हजारों कार्यकर्ता सक्रिय हैं। उनमें छात्र, युवक, अध्यापकों की बढ़ी तादात है । समिति अंधविश्वास उन्मूलन, बुवाबाजी का पर्दाफाश, वैज्ञानिक जागरण, विवेकावादी जीवनदृष्टि का प्रचार-प्रसार, विवेकवाहिनी, व्यसन विरोध, अंतर्जातीय तथा धर्मीय विवाह समर्थन, ज्योतिष, भानमती, डाकिन, जादू-टोना का विरोध, धर्म चिकित्सा, पर्यावरण जागृति, यज्ञ संस्कृति, पुरोहित शाही, कर्मकांड का विरोध, प्रदूषण मुक्त त्यौहार (दीवाली, होली) आदि उपक्रम कर सभी जाति, धर्म निहित शोषण एवं भेदमूलक व्यवहार, परंपरा का विरोध कर उसकी जगह रचनात्मक गतिविधियां चलाती है और उनका समर्थन करती हैं।
हम सब जानते हंै कि सभी धर्मो में एक संकल्पना समान है। वह यह कि पवित्रता की भावना ही सच्चा धर्म है। पवित्र, अपवित्र और लौकिक इन प्रकारों में भेद करना धर्म का मूल है। व्यक्ति अद्वैतवादी हो या द्वैतवादी, क्रिश्चियन हो या मुस्लिम भेद करने की उसकी दृष्टि सब धर्मों में समान है।
तुम मेरा साथ दो, तुम्हें हिंदू राष्ट्र दूंगा: पं. धीरेद्र कृष्ण शास्त्री
रायपुर के गुढिय़ारी में आयोजित श्रीसीताराम विवाहोत्सव के अंतिम दिन बागेश्वर धाम के महाराज पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कथा प्रसंग के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उनकी वीरता को याद किया गया। श्रद्धालुओं से कहा कि जिस तरह नेताजी ने देश को आजाद कराने के लिए नारा दिया था कि ‘तुम मुझे खून दो मंै तुम्हे आजादी दूंगा’ उनसे प्रेरणा लेकर मैं आम सभी को यह विश्वास दिलाता हूं कि भारत देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए आप सभी मेरा साथ दें। मैं आपको यह नारा दे रहा हूं- तुम मेरा साथ दो, मै तुम्हें हिंदू राष्ट्र दूंगा। महाराज ने ऐलान किया-हिंदूओं चूड़ी पहनकर घर पर मत बैठना । समय आए तो अपने धर्म की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने से पीछे मत हटना। पं. शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म का झंडा बुलंद करने वाले संतों को सदियों से प्रताडि़त किया जा रहा है, लेकिन संत किसी के आगे नहीं झुके। सनातन धर्म की रक्षा के लिए संतों ने भगवान से प्रेम और भक्ति करना नहीं छोड़ा। मीराबाई, संत तुलसीदास रैदास जैसे अनेक संतों ने भक्ति की अलख जगाकर भगवान के प्रति विश्वास जगाया। आततातियों ने जब महान संतों को नहीं छोड़ा तो हम जैसे साधारण संतों को क्या छोड़ेंगे? हमें किसी से डरना नहीं है।
सनातनियों एकजुट हो जाओ, महाराज ने पंडालों में मौजूद एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के समक्ष कहा-सभी हिदू एकजुट हो जाएं तो भारत को हिंदू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। मुझे राजनेता नहीं बनना है, चुनाव नहीं लडऩा है बस मेरा उद्देश्य समस्त सनातनियों को एक करना है। प्रत्येक सनातनी आगे आएं और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के साथ भगवा ध्वज भी लहराएं। बागेश्वर सरकार को पंडोख धाम आने का न्यौता देकर पंडित गुरुशरण शर्मा ने नया चैलेंज दे दिया है। उन्होंने कहा कि वो पंडोखर आएं उनकी सारी शंका दूर की जाएगी।
देश भर इस वक्त एक नाम सुर्खियों में है। उनका नाम है धीरेंद्र शास्त्री लोग उनको बागेश्वर सरकार के नाम से भी जानते हैं। बाबा पिछले दिनों नागपुर में एक कार्यक्रम के लिए गए थे। कार्यक्रम उनकी कथा और दरबार का था और वहीं पर बाबा के साथ एक विवाद हो गया है। बाबा पर आरोप लगा कि जब उनके चमत्कारों को लेकर चुनौती दी गई तो बाबा नागपुर से भाग निकले। इस बीच एक नागपुर की इस संस्था को एक और पीठाधीश्वर ने चैलेंज कर दिया है। पंडित गुरूशरण शर्मा ने श्याम माधव को पंडोखर आने का न्यौता दे दिया है। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कार दिखाने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि लोगों को सिद्धियां मिलती है। रामकृष्ण परमहंस और भगवान बुद्ध इसके उदाहारण हैं। सिद्घियों से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन चमत्कार नहीं दिखाना चाहिए, ये जादूगरों का काम है, ये उचित नहीं है। सिद्धियों का प्रयोग चमत्कार है। इससे जड़ता आती है, धर्म बचाने का ठेका लेने वाले धोखे में हैं।
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि जादू होने के संदेह में पिछले सप्ताह प्रदेश में 3 घटनाएं हुई है, जिनमें 2 मामले जशपुर जिले के हैं। तीसरा मामला कवर्धा के पोड़ी का है। डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि मनुष्यों की बीमारियों के अलग-अलग कारण होते हैं। संक्रमण, बैक्टीरिया, वायरस, फंगस से होता है। कुपोषण से व्यक्ति कमजोर और बीमार होता है, दुर्घटनाओं से भी व्यक्ति बीमार हो जाता है। जादू-टोने का कोई अस्तित्व नहीं है। इसलिए जादू-टोने से बीमार करने की धारणा अंधविश्वास है। कोई नारी टोनही नहीं होती सिर्फ अंधविश्वास के कारण किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना, उसकी जान लेना गलत, गैरकानूनी और आपराधिक है। सभी दोषी व्यक्तियों पर कार्यवाही होनी चाहिए।

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