Friday Remedies : बेहद खास है शुक्रवार का ये टोटका, चुटकियों में दूर हो जाएगा कर्ज और पैसे का संकट…जानिए
सप्ताह के सात दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होते हैं। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष में देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया गया है।

कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के घर में रहने से सभी भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है कि उन पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे
ज्योतिष शास्त्र में देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा बनाए रखने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। हर शुक्रवार को नियमित रूप से ऐसा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं
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और सभी सुख-सुविधाएं प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र:
आदि लक्ष्मी
सुमनस वंदित सुंदरी माधवी चंद्र सिहोदरी हेमये।
मुनिगन वंदित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणी वेदानुते।
पक्काजवासिनी देवासुपुजित सद-गुण वार्शिनी शांतिनुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी आदिलक्ष्मी परिपालय माता।

धन्या लक्ष्मी:
अयकाली कलामश नाशिनी कामिनी वैदिक रूप वेदमाया।
क्षीर समुद्भव मंगल रूपाणी मंत्रनिवासिनी मन्त्रानुत।
मंगलदायिनी अंबुजवासिनी देवगणस्रित पद्युते।
जय जय हे मधुसूदंकमिनी धनलक्ष्मी परिपालय माता।
धैर्य लक्ष्मी:
जयवर्षिणी वैष्णव भार्गवी मन्त्र स्वरूपपाणि मन्त्रमय।
सुरगना ने जल्द ही फलदायी ज्ञान विकसित किया, शास्त्रों की पूजा की।
भवभयहरिणी पापविमोचन मुनि जनाश्रित पद्युते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी धैर्यलक्ष्मी सदापालय माता।
गज लक्ष्मी:
जय जय दुर्गाति नाशिनी कामिनी वैदिक रूपिनी वेदमय।
राधागज तुर्गपदाती संवृत परिजन मण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवा हीट निवारिनी पद्युत।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी गजलक्ष्मी रूपेन पलाया मां।

बच्चे लक्ष्मी:
अय खगवाहिनी मोहिनी चक्रानी राघविवर्धनिनी ज्ञानमय।
गुना गणवारिधि लोकहिती सप्तस्वर भुषित गनुते।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वंदित पद्युते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी संतलक्ष्मी परिपालय माता।
विजय लक्ष्मी:
जय कमलासानी, सदा चलती रहने वाली दयानी ज्ञानविकासिनी गणमय।
अनुदीन मर्चिट कुमकुम ग्रे भूषित वसित वद्यानुते।
कनकधरस्तुति वैभव वंदित शंकरदेशिक वैध पद।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी विजयलक्ष्मी परिपालय माता।
विद्या लक्ष्मी:
प्रणत सुरेश्वरी भारती भार्गवी शोकविनाशिनी रत्नमये।
मणिमय भूषण कर्णविभूषण शांतिपूर्ण हास्य।
नवनिधिदायिनी कालीमल्हारिणी कामित फलदायी जल्दबाजी।
जय जय हे मधुसूदन कामिनी विद्यालक्ष्मी सदा पलाई माता।
धन लक्ष्मी:
धिमिधिमी दिंधिमि दिंधीमि-दिंधिमि दुंधुभि नाद सुप्राणमय।
घुमघुम घुंहुम घुंहुम शंख निनाद सुवाद्यनुते।
वेद पुराणतिहास एक श्रद्धेय वैदिक मार्ग है।
जय जय हे कामिनी धनलक्ष्मी रूपेन पलाया मां।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वर्दे कामरूपिनी।
विष्णुवक्ष स्थलरुधे भक्तमोक्षप्रदायिनी।
शंख चक्र गधस्ते विश्वरूपिनीत जयः।
जगनमात्रे चा मोहिनी मंगलम शुभ मंगलम।
, इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम संपूर्णम।