Fertilizer बिकने से बची फर्टिलाइजर का निपटान कैसे ?

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राजकुमार मल

Fertilizer सहकारी समितियों और ओपन मार्केट का सवाल

Fertilizer भाटापारा- वन नेशन- वन फर्टिलाइजर। पुरानी पैकिंग के निपटान के लिए उर्वरक कंपनियों को 31 दिसंबर 2022 तक का समय दिया गया है लेकिन ओपन मार्केट और सहकारी समितियों के सामने यक्ष प्रश्न है कि उनके गोदाम में बची खाद का निपटान कैसे किया जाएगा क्योंकि नई व्यवस्था के तहत 2 अक्टूबर से नई पैकिंग में ही उर्वरक का विक्रय किया जाना अनिवार्य होगा।

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Fertilizer एक राष्ट्र- एक उर्वरक की अवधारणा से उर्वरक बाजार को इनकार नहीं है लेकिन नई नीति का पालन कर पाना, ऐसी समितियां और ऐसी संस्थानों के लिए संकट की बड़ी वजह बन रहा है जिनके पास विक्रय से बची खाद की अच्छी-खासी मात्रा गोदामों में मौजूद है।

यह क्षेत्र सवाल उठा रहा है कि कंपनियों की तरह हमें भी निपटान का समय क्यों नहीं दिया गया ? यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि खरीफ सत्र की मांग, अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। लिहाजा बची खाद के विक्रय के लिए अतिरिक्त समय की मांग उठाने के संकेत मिल रहे हैं।

चाहिए और समय

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Fertilizer बिकने से बची फर्टिलाइजर का निपटान कैसे ?

सरकारी समितियां और ओपन मार्केट। खरीफ सत्र के लिए जारी उर्वरक की अच्छी-खासी मात्रा विक्रय से रह गई है। इसका उठाव अब रबी सत्र में ही हो पाएगा क्योंकि खरीफ की मांग अंतिम चरण में है।

नई नीति के तहत 2 अक्टूबर 2022 से नई पैकिंग का उर्वरक विक्रय करना है। रबी सत्र के लिए अभी कम से कम 3 माह का समय शेष है। ऐसी स्थिति में पुरानी पैकिंग की उर्वरक कैसे बेची जाएगी ? इसलिए यह क्षेत्र कम से कम रबी सत्र तक का समय चाहता है ताकि शेष उर्वरक का सुविधा पूर्वक निपटान किया जा सके।

किसानों का सवाल

सहकारी समितियों और खुले बाजार में भंडारण की अच्छी- खासी मात्रा शेष है लेकिन उचित दिशा- निर्देश के स्पष्ट नहीं होने से शेष उर्वरक का विक्रय किया जाना संभव नहीं होगा।

इसलिए रबी सत्र की मांग कैसे पूरी होगी ? क्योंकि तब तक रबी सत्र की शुरुआत हो चुकी होगी और बोनी का काम भी चालू हो चुका होगा। लिहाजा किसान भी जल्द- से- जल्द स्पष्ट निर्देश की मांग उठा रहा है।

मिलता था अतिरिक्त समय

इसके पहले बदलाव के दौर में सक्षम अधिकारियों की उपस्थिति में व्यवस्था बनाई जाती थी ताकि शेष बची खाद का निपटान हो सके। इसमें वजन और कीमत में बदलाव जैसे महत्वपूर्ण फैसले का पालन किया गया था।

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Fertilizer नई व्यवस्था में इस बात को लेकर साफ-साफ निर्देश नहीं हैं कि शेष उर्वरक का निपटान कैसे हो पाएगा? इसलिए क्रेता और विक्रेता दोनों के सामने धर्म संकट ही है, नई नीति।

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