(Energy crisis) एक और ऊर्जा संकट की आहट ने बढ़ाई भारत की चिंता

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(Energy crisis)  जनवरी में बिजली की मांग पहुंच गई चरम स्तर पर 211 गीगावाट तक 

 

(Energy crisis)  नईदिल्ली। भारत के कुछ हिस्सों में उच्च तापमान ने हाल के सप्ताहों में बिजली की मांग को लगभग रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा दिया है, जिससे बिजली सप्लाई पर दबाव इस साल भी बढ़ सकता है।

(Energy crisis)  जनवरी में बिजली की मांग चरम स्तर पर 211 गीगावाट तक पहुंच गई, जो पिछली गर्मियों में एक सर्वकालिक उच्च स्तर के करीब थी। पिछली साल गर्मियों में बिजली की मांग ने 122 साल पुराने गर्मी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था।

(Energy crisis) पिछले सप्ताह कुछ क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 11सी अधिक रहा है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को गेहूं और अन्य फसलों को गर्मी से बचाने की सलाह दी है।

गर्म मौसम की असामान्य रूप से शुरुआत और ये पूर्वानुमान है कि सिंचाई पंप और एयर कंडीशनरों का उपयोग पूरी क्षमता के साथ किया जाएगा। इस कारण बिजली की खपत में वृद्धि होगी। जिस तेजी से पारा चढ़ रहा है, उसी रफ्तार से बिजली की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में यह चिंता खाई जा रही है कि क्या लगातार दो वर्षों के व्यवधान के बाद देश के एनर्जी नेटवर्क पर एक नया तनाव आएगा।

इस चिंता को ध्यान में रखते हुए आयातित कोयले का उपयोग करने वाले पावर स्टेशनों को पहले ही गर्मी के मौसम में ब्लैकआउट से बचने और घरेलू कोयले की आपूर्ति पर दबाव कम करने के लिए तीन महीने के लिए पूरी क्षमता से काम करने का आदेश दिया गया है। भारत के ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल में बिजली की मांग 229 गीगावाट की नई ऊंचाई तय कर सकती है।
राजस्थान के बिजली मंत्री भंवर सिंह भाटी के अनुसार, ‘जिस तरह से तापमान बढ़ रहा है- फरवरी में यह काफी असमान्य है। यह स्थिति हमारे लिए चिंता का विषय बनती जा रही है।’ उन्होंने कहा कि बिजली की मांग पिछली गर्मियों की तुलना में 20 से 30 फीसदी तक बढ़ सकती है। बिजली आपूर्ति में कटौती के अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।’

राजस्थान देश के सबसे गर्म राज्यों में से एक है और सौर ऊर्जा का हब है, फिर भी गर्मी के महीनों में पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान को संघर्ष करना पड़ सकता है अगर अन्य क्षेत्रों के खदानों से कोयला प्राप्त करने में देरी हो रही है।

भारत में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से होता है, और बिजली स्टेशनों पर भंडार वर्तमान में 45 मिलियन टन के लक्ष्य से काफी नीचे है जिसे सरकार ने मार्च के अंत तक पूरा करने के लिए कहा था।

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