Narayanpur : Emergency का लगना स्वतंत्र भारत के इतिहास मे सबसे अलोकतांत्रिक काल था–केदार कश्यप

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Emergency NARAYANPUR Even today the situation is not good in Congress ruled states- Kedar Kashyap

NARAYANPURआज भी कांग्रेस शासित राज्यो मे हालात ठीक नही–केदार कश्यप

NARAYANPUR- भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने प्रेस को जारी बयान मे कहा की हम सब जानते है 25 जून 1975से 21 मार्च 1977 तक का 21महीने की अवधि मे भारत मे अपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अलि अहमद ने तब के प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352के अधिन अपातकाल लगा दिया था, स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे अलोकतांत्रिक काल था ।

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NARAYANPUR Emergency में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई, लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधी कहा था ।आज ही के दिन देशभर में आपातकाल लगाए जाने की घोषणा की थी. भारत में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 इमरजेंसी लगी थी उस वक्त इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर शख्स को जेल में बंद करवा दिया था.

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देश में Emergency के ड्राफ्ट पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने 25 जून की आधी रात को हस्ताक्षर किए थे. जिसके बाद पूरा देश इंदिरा गांधी और संजय गांधी का बंधक बना दिया गया था.

Emergency मे जेल भेजे गए इंदिरा विरोधीदेश में आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जा रहे जयप्रकाश नारायण को 26 जून की रात डेढ़ बजे गिरफ्तार कर लिया गया था.

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उनके साथ इंदिरा की नीतियों का विरोध कर रहे कई और नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया और देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया वही छत्तीसगढ़ समेत जिन मुट्ठी भर प्रदेशो मे कांग्रेस या उसके प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष समर्थित दलो का शासन है यंहा क्या हो रहा है देख लीजिये महाराष्ट्र मे किस तरह से असहमति के कारण अभिनेत्री का घर ढाह दिया जाता है ,पत्रकारो के साथ कैसा सलूक होता है,

पालघर के साधुओं को भीड़ द्वारा लिंच कर देने की खबर दिखाने के कारण अर्णव गोस्वामीऔर उनकी टीम के साथ कांग्रेस समर्थित सरकार ने वहा कैसा बर्बर अत्याचार किया यह उदाहरण सामने है ये तमाम चीजे महज संयोग नही बल्कि प्रयोग है,यही आपातकाल वाली कांग्रेस की मूल वृति है आप पश्चिम बंगाल का उदाहरण देख लीजिए कांग्रेस – कम्युनिस्टों के प्रत्यक्ष समर्थन से चुन कर आयी सरकार सत्ता मे आते ही कार्यकर्ताओं द्वारा किस नृशंस तरीके से हत्या,बलात्कार और लूट आदि को अंजाम दे रही है ,वास्तव मे ऐसे तमाम उदाहरण आपातकाल जैसी मनोवृति के ही है प्रदेश की अभी की कांग्रेस सरकार का उदाहरण तो सबसे नया और अनूठा है जहा किसी ट्वीट को रीट्वीट तक करना बड़ा अपराध बना दिया जाता है,जहा शासन के संसाधनो और समय का पुरा उपयोग भाजपा प्रवक्ता की आवाज को पुलिसिया ड़र दिखा कर दबाने ,राष्ट्रीय पत्रकारो पर सौ-सौ मुकदमे दर्ज करने मे लगा दिया जाता है जहा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिस स्टेशन के सामने ही पत्रकारो से बर्बरता से हिंसा तक की जाती है महज इसलिए क्योकी वह आपसे असहमत है और आप वैसे ही उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करना चाहते है जैसा इंदिरा जी ने किया था,आपातकाल के संदर्भ मे एक खास बात हमे बार बार स्मरण रखने की है की आज 2022 मे हम जिस आजादी की हवा मे सांस ले रहे है,यह आजादी हमने कांग्रेस से लड़ हासिल की है ,फिरंगियो अंग्रेजो से गाँधी – सुभाष के नेतृत्व मे लड़ कर हमे जो आजादी मिली थी । यह दुसरी आजादी हमने कांग्रेस से लड़ कर पाईं है कांग्रेस ने अपनी आजादी की विरासत को तब ही खत्म कर दिया था,भारतीय संविधान और लोकतंत्र आज के भाजपा (तब का भारतीय जनसंघ ) के इतिहास पुरुष अटल आडवाणी नानाजी जैसे राष्ट्रवादियो का हासिल किया लोकतंत्र है लोकनायक जयप्रकाश नारायण का कमाया लोकतंत्र है,यह जिसका हम आनंद ले रहे है बात चाहे इस आपातकाल की हो या पहली आजादी के बाद देश के विभाजन की,या उसके बाद भी,कांग्रेस ने लगातार यह साबित किया है की भारतीय लोकतंत्र के पवित्र शब्दो का भारत के लोगो द्वारा आत्मसमर्पित भारत के संविधान की आत्मा का देश की एकता और अखंडता का कांग्रेस के लिये तब कोई महत्व नही रहता है जब उसकी सत्ता नही हो या जाने वाली हो बांटो और राज करो की विभाजनकारी सिद्दांत हमेशा ही कांग्रेस ,खासकर नेहरु परिवार का मूलमंत्र रहा है,हमने अपने पुरखो के बलिदान से भले आजादी दुबारा हासिल करने मे सफलता पायी हो ,लेकिन इस आजादी पर खतरे हमेशा बने रहेगे जब तक कांग्रेस कायम है आपातकाल भले 1977 मे खत्म हो गया लेकिन आपातकाल की मनोवृती वाले तत्व और संगठन आज भी मौजूद है हर क्षण प्रतिफल लोकतंत्र विरोधी तत्वो के खतरे के प्रति सावधान रहने की जरूरत है।

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